shikara ride at dhudhni lake सिलवासा दादरा हवेली की राजधानी है । वर्तमान में जो ये जगह है एक समय मे 72 गांवो का समूह थी । 1779 तक तो यह...
shikara ride at dhudhni lake |
सिलवासा दादरा हवेली की राजधानी है । वर्तमान में जो ये जगह है एक समय मे 72 गांवो का समूह थी । 1779 तक तो यहां पर मराठा शासन था । भारत जब ब्रिटिशो से आजाद हुआ उसके बाद यहां पर भी आंदोलन हुए और गोआ , दमन और दीव के साथ साथ ये जगह भी भारत के अधीन हो गयी । सही नाम सिलवास होने के बावजूद लोग इसे सिल्वासा या सिलवासा कहकर पुकारते हैं ।
दादरा और नगर हवेली दो अलग अलग क्षेत्रो सेे मिलकर बना है दादरा और नगर हवेली । लगभग 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह क्षेत्र वलसाड , ठाणे और नासिक जिलो से लगा हुआ है । इस क्षेत्र में ज्यादातर वन हैं और इसीलिये ये वन्य जीवो के लिये आदर्श क्षेत्र है ।
दमनगंगा नदी दादरा और नगर हवेली से होते हुए दमन में जाकर अरब सागर में समा जाती इस क्षेत्र को वर्षा के अनुकूल बनाते हैं इसलिये यहां पर वर्षा भी काफी होती है । इस क्षेत्र पर है । यहां की राजधानी सिलवासा है । यहां पर पहाडियां काफी हैं और साथ ही वन भी जो मराठो , राजपूतो और पुर्तगालियेो का वर्चस्व रहा है । सबसे ज्यादा समय तक यहां पर पुर्तगालियो ने ही शासन किया । बाद में जनता द्धारा संघर्ष करके पुर्तगालियो को यहां से भगाया गया । उसके बाद 1954 से 1961 तक यह क्षेत्र स्वतंत्र राज्य की तरह रहा । उसके बाद भारत में शामिल हो गया ।
यहां पर केन्द्र शासित होने के कारण उघोग धंधो को विशेष रियायते दी गयी फलस्वरूप यहां पर अनेको फैक्ट्रिया लग गयी । शहर में आपको जगह जगह कम्पनिया दिखेंगी । शहर ज्यादा बडा भी नही है । इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ये गुजरात और महाराष्ट्र राज्य की बीच में पडता है इसलिये यहां की संस्कृति में इन दोनो राज्यो का मिश्रण भी आ गया है । वर्ली भाषा जो कि गुजराती और मराठी भाषा के मिश्रण से बनी है यहां पर खूब चलती है । अंग्रेजी जानने वाले भी बहुत हैं ।
हम तो दादरा और नगर हवेली का नाम सुनकर ही सोचा करते थे कि कौन सी हवेलियां हैं वहां पर देख कर आयेंगें । हवेली तो कोई नही दिखी और ना ही शहर में होटल और रैस्टोरेंट के अलावा देखने को जगह है । देखने की असली जगह शहर से थोडा बाहर की ओर हैं ।
शहर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर दुधनी झील नाम की जगह है । यहां तक जाने का रास्ता ही रोमांचक है और थोडी चढाई चढते वक्त लगता है जैसे मसूरी या शिमला के रास्ते पर जा रहे हों । यहीं नही रास्ते में आने वाली हरियाली और कई किलोमीटर दूर से दिखती दुधनी झील की झलक भी मन को मोहती है ।
दुधनी झील यहां एक नदी पर बने बांध के पानी से बनी झील है । यहां पर करने के लिये बहुत कुछ है । सबसे बडी बात है सुंदर नजारो की । दूर दूर तक फैली झील और उसमें बीच में आइलैंड भी है जहां पर जाकर आप ट्रैकिंग कर सकते हो । यहां पर वाटर स्पोर्टस काम्पलैक्स भी है जिसमें आप वाटर स्कूटर और राफिटंग का मजा ले सकते हो । राफिटंग का मजा हालांकि तभी लिया जा सकता है जब बांध से पानी छोडा गया हो । यहां से लोकल कुछ गांवो के लिये फेरी भी चलती है । शायद ये वो गांव होंगे जो इस बांध के बनने में विस्थापित हुए हों या फिर उनकी सडके इस बांध ने लील ली हो ।
इन गांवो के लोग अपनी बाइक और गाडियो आदि को भी इस बडी सी फेरी में रखकर ले जाते हैं । ये सब तो है ही पर इसके अलावा यहां की खास बात है यहां श्रीनगर की डल झील की तरह के शिकारे जो कि इस झील में चलते हैं । यकीन नही होता पर वे शिकारे हूबहू ऐसे ही हैं और इतना ही मजा देते हैं क्योकि वाटर स्कूटर आदि का रोमांच थोडी देर का होता है पर ये शिकारे आपको चार पांच घंटे तक घुमाने का कार्यक्रम रखते हैं और आप बोर नही हो सकते ।
यहां तो पानी में पैर डालकर बैठने का मजा ही कुछ और है । हमारे लाला जी तो मौका देखकर ड्राइवर के साथ लग गये गाडी धोने के लिये । यहां पर्यटको की भी काफी भीड है स्कूली छात्र छात्रओ के अलावा युगल भी काफी आते हैं । तीन से चार घंटे के दूरी पर मुम्बई वालो के लिये ये वीकेंड की आदर्श जगह है जहां पर वे एक दिन या उससे ज्यादा भी बिता सकते हैं ।
सिलवासा शब्द पुर्तगाली के सिल्वा से लिया गया है जिसका मतलब होता है लकडी । ये जगह बैगपैकर्स और ट्रैकर्स के लिये स्वर्ग है । दुधनी झील और सिलवासा के रास्ते में एक मंदिर भी है जिसे मधुबन कहा जाता है और यहां पर भी ठहरकर कुछ समय बिता सकते हैं । इसलिये जब भी गुजरात और महाराष्ट्र के बीच से गुजरें तो इस जगह को देखना ना भूलें
NORTH INDIA YATRA-
shikara ride at dhudhni lake |
Dudhni lake , silwassa , Dadra and nagar haweli , दुधनी झील , सिलवासा , दादरा व नगर हवेली |
Wonderful narration compels the reader to read upto end and encourage for a visit.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 03/05/2014 को "मेरी गुड़िया" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1601 पर.