इस विवाह के आयोजन हेतु और लक्ष्मी जी को भेंट करने हेतु विष्णु जी ने कुछ धन कुबेर देव से उधार ले लिया इस वादे के साथ कि वे इसे कलयुग तक चुका देंगें वो भी ब्याज सहित । इसलिये tirupati temple के भक्त केवल अपनी मनोकामना की पूर्ति् हेतु ही नही अपितु बालाजी के धन को चुकाने के लिये भी यहां पर सोना चांदी और अन्य जेवर चढाते हैं । इस कथा को भी यहां के चढावे से जोडकर माना जाता है । ये थी tirupati balaji mandir history in hindi
तिरूपति बालाजी का फोटो , गूगल से साभार , जिनकी साइट पर है उनका भी आभार |
तिरूपति जाने का रास्ता सबसे आसान हैदराबाद से है । हैदराबाद से हर समय आपको किसी न किसी एयरलाइन की उडान , ट्रेन और बस की सुविधा उपलब्ध मिलेगी । तिरूपति बालाजी कैसे जायें यही सबसे बडा प्रश्न रहता है हर श्रद्धालु के मन में । इसका सीधा सा तरीका यही है कि तिरूपति बालाजी जाने का रास्ता हैदराबाद से होकर निकलता है यदि आप सीधी उडान या ट्रेन नही पकड पा रहे हैं तो हैदराबाद पहुंच जाईये जैसा कि हमने किया । सुबह हैदराबाद उतरे और शाम को तिरूपति की ट्रेन पकडकर रात में पहुंच गये । इससे एक रात का होटल का किराया बचा और साथ ही हैदराबाद शहर घूमने का मौका मिला और तिरूपति बालाजी यात्रा भी सफल हो गयी
tirupati balaji temple ,tirupati balaji mandir history in hindi ,तिरूपति के बारे में
तिरू शब्द का अर्थ संस्कृत के श्री के समान है । जो धन धान्य के लिये भी प्रयोग किया जात है ।
यहा tirupati temple में रेलवे स्टेशन है और यहां tirupati temple के लिये स्पेशल ट्रेन आती है यानि की यहां से होकर नही गुजरती है । माने मोडना पडता है क्योंकि लाइन खत्म है यहां पर tirupati balaji temple से काफी बढिया संख्या में रेलगाडियां है और लगभग देश के सभी प्रमुख शहरो से हैं ।
यहा tirupati temple में रेलवे स्टेशन है और यहां tirupati temple के लिये स्पेशल ट्रेन आती है यानि की यहां से होकर नही गुजरती है । माने मोडना पडता है क्योंकि लाइन खत्म है यहां पर tirupati balaji temple से काफी बढिया संख्या में रेलगाडियां है और लगभग देश के सभी प्रमुख शहरो से हैं ।
tirupati balaji temple विश्व में सबसे ज्यादा धनी क्यों है और यहां पर सबसे ज्यादा चढावा क्यों चढता है ? इसके बारे में कह सकते है कि जहां पर भक्तो की या आमजनो की अपील ज्यादा सुनी जाती है वहीं पर ज्यादा चढावा चढता हैtirupati balaji temple के बारे में एक कथा भी कही जाती है ।इस पोस्ट में बता रहे हैं tirupati balaji mandir history in hindi
सागर मंथन जो कि राक्षसो और देवताओ ने मिलकर किया था और जिसके बारे में आप सबने पढा ही होगा , में विष के साथ साथ चौदह रत्न निकले थे । विष को तो शिव भोलनाथ ने अपने कंठ में धारण कर लिया । जो रत्न निकले उनमें एक लक्ष्मी जी भी थी । लक्ष्मी जी को देखकर और उनकी भव्यता को देखकर सभी चाहे वो देवता हो या राक्षस उनको पाने के लिये लालायित हो उठे । कुछ तो उनसे विवाह करना चाहते थे और कुछ उन्हे अपने पास रखना चाहते थे । किन्तु फैसला देवी को करना था और उन्होने सब में से Vishnu Ji को अपना वर चुना । तब विष्णु जी उन्हे अपने वक्ष पर स्थान दिया ।
अब इसी कथा में (tirupati balaji mandir history in hindi) आगे प्रसंग आता है कि एक बार धरती पर विश्व कल्याण हेतु यज्ञ किया गया । इस यज्ञ का फल किसे अर्पित किया जाये और उसके लिये सबसे उपयुक्त कौन है इस पर काफी विचार विमर्श के बाद भृगु रिषी को इसके लिये जिम्मेदार बना दिया गया कि आप जिसे चुनोगे उसी को इस यज्ञ का फल दिया जायेगा । भृगु रिषी ब्रहमा जी और शिव के पास गये पर जब वे विष्णु जी के पास गये तो विष्णु आराम कर रहे थे और उन्हेाने रिषी जी की ओर नही देखा । इस पर रिषी क्रोधित हो गये और उन्होने इसे अपना अपमान मानकर गुस्से में आकर विष्णु जी के वक्ष पर ठोकर मार दी । विष्णुजी ने इसके बाद भी क्रोध नही किया और रिषी महाराज के पैर पकड लिये और कहा कि महाराज कहीं आपको चोट तो नही आयी ? विष्णु जी की ये विनम्रता देखकर भृगु रिषी पिघल गये और उन्हेाने विष्णु जी को क्षमा कर दिया और यज्ञ का भाग अर्पित करने के लिये विष्णु भगवान को उपयुक्त पाया । लेकिन चुंकि विष्णु जी का वक्षस्थल लक्ष्मी जी का निवास स्थान था इसलिये देवी लक्ष्मी ने इसे अपना अपमान माना और उन्होने भृगु रिषी को भी श्राप दिया और विष्णु जी को छोडकर चली गयी ।
कालान्तर में भृगु रिषी को दिये गये श्राप के कारण उनके तीन वंश् में दैत्यगुरू शुक्राचार्य , च्यवन रिषी और परशुराम जी ने अपमान सहा इस बीच विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को ढूंढते हुए धरती पर श्रीनिवास के नाम से जन्म लिया और देवी लक्ष्मी ने पदमावती के रूप में । वे दोनो फिर से मिले और उनका विवाह भी हो गया । इस विवाह में सभी देवताओ ने भाग लिया और भृगु रिषी ने लक्ष्मी जी से क्षमा मांगी तो लक्ष्मी जी ने उन्हे क्षमा कर दिया । पर इस विवाह के आयोजन हेतु और लक्ष्मी जी को भेंट करने हेतु विष्णु जी ने कुछ धन कुबेर देव से उधार ले लिया इस वादे के साथ कि वे इसे कलयुग तक चुका देंगें वो भी ब्याज सहित । इसलिये tirupati temple के भक्त केवल अपनी मनोकामना की पूर्ति् हेतु ही नही अपितु बालाजी के धन को चुकाने के लिये भी यहां पर सोना चांदी और अन्य जेवर चढाते हैं । इस कथा को भी यहां के चढावे से जोडकर माना जाता है । ये थी tirupati balaji mandir history in hindi
tirupati temple जिस पहाडी पर मंदिर बना है उसे तिरूमला कहते हैं । इसे वेंकट पहाडी और शेषाचंलम भी कहते हैं । ये पहाडी जिसकी सात चोटियां हैं शेषनाग के फन के जैसी लगती हैं । इन सातो चोटियो के अलग अलग नाम भी हैं ।मंदिर को नौवी शताब्दी से लेकर पन्द्रहवी शताब्दी तक पल्लव राजाओ ,चोल राजाओ ,पांडया और विजयनगर के शासको का संरक्षण रहा । उन सभी ने tirupati temple का समय समय पर जीर्णो द्धार और विस्तार भी कराया । बाद में जब हिंदू राजाओ के राज का पतन हो गया तो कर्नाटक के मुसलमान राजाओ और उसके बाद ब्रिटिश राजाओ के अधिकार में भी tirupati temple रहा । अंग्रेजो ने यहां तिरूपति देवमाला देवस्थानम नाम से एक समिति की स्थापना की जिसे 1951 में भारत सरकार ने बोर्ड आफ ट्रस्टीज बनाने के साथ साथ एक सरकारी अधिकारी यहां पर तैनात किया ।
अगली पोस्ट में पढिये चेन्न्ई की यात्रा
SOUTH INDIA TOUR-
तिरूपति मंदिर , गूगल से साभार , जिनकी साइट से है उनका भी साभार धन्यवाद |
interesting and informative post.nice pics.
ReplyDeleteएक बार यह यात्रा की थी कई घन्टे लाईन में लगने के बाद दर्शन करने का नम्बर आता है, चलते रहो,चेन्नई देखना है क्योंकि देखा नहीं है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेख है और मुझे सबसे अच्छी कथा लगी . बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteरोचक रहा कथा को जानना। भृगु ऋषि द्वारा विष्णुजी के वक्ष पर लात मारने वाली कथा सुनी थी लेकिन सन्दर्भ नहीं पता था।
ReplyDeleteघर बैठे तिरुपति दर्शन करवाने के लिये आभार दोस्त।
सुंदर !
ReplyDeleteThanks for sharing. Try to go there and write your experience. That'd be fun to read. :)
ReplyDeleteलोग यहाँ बाल क्यों उतरवाते हैं कृपया बताएं. और इतने बाल जाते कहाँ हैं ये भी बताएं.
ReplyDeleteमन्नत पूरी होने पर बाल चढाने की प्रथा है ये बाल बाद में बिकते हैं
Deleteपहली बार तिरुपति कथा का ज्ञान हासिल हुआ .....इसके लिए धन्यवाद मनु भाई....|
ReplyDeleteलगे रहिये त्यागी साहब, देखते है हम कब जा पाते है ! जय बालाजी !
ReplyDeleteकाफी अच्छी जानकारियाँ दी हैं .
ReplyDeleteपहली बार आई यहाँ,बहुत अच्छा ब्लॉग है.
Bahut Badheya Lekha hai,Hamari Hindu Satye Sanatan Sanskrati Jenka Vajud Bahut Purana hai,Jo Satye hai,Jai Terupatibalaje Maharaj ki
ReplyDeletegood work keep it up
ReplyDeleteOnce it had traveled several hours to see the number that comes after being in line, go, see it is not seen in Chennai...
ReplyDeleteTirupati Balaji Darshan Chennai | Tirupati travel package from Chennai
बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने तिरूपति बालाजी के महात्मय का
ReplyDeletenice
ReplyDeleteअति सुन्दर कथा
ReplyDeletethanks
ReplyDeleteParbhu humpe apni kriya sadev banaye rakhiye ga Tirputi Balaji Bhagwan ki jai...
ReplyDeletetirupati balaji to bahut baar gaya hun but story nahi pata thi
ReplyDeletegood tampale
ReplyDeletegood lekh
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