कोलकाता का एक दृश्य कोलकाता आबादी के मामले में भारत के बडे महानगरो में से एक है । बंगाल की खाडी से 180 किलोमीटर दूर हुगली नदी के किनारे ...
कोलकाता का एक दृश्य |
कोलकाता आबादी के मामले में भारत के बडे महानगरो में से एक है । बंगाल की खाडी से 180 किलोमीटर दूर हुगली नदी के किनारे बसे इस महानगर को जाय आफ सिटी के नाम से भी जाना जाता है । इस शहर की पहचान कोई एक नही बल्कि अनेको हैं जिसके बारे में देश के कोने कोने में लोग जानते हैं ।
अंग्रेजो ने यहीं से शुरूआत की और कोलकाता को बसाने में अपना योगदान दिया । उनकी छाप यहां की इमारतो में आज भी देखी जा सकती है । हिंदू धर्म के लोगो में यहां स्थित काली देवी के मंदिर की काफी मान्यता है तो शिल्पकला के लोगो को यहां की इमारतो में रूचि है । खेल के दीवाने इस शहर में क्रिकेट और फुटबाल दोनो के लिये बराबर रूचि है ।
यहां प्राचीनता के साथ आधुनिकता का भी समावेश है । यहां काफी समय से मैट्रो भी चलती है तो यहां के हावडा ब्रिज की इंजीनियरिंग को आज भी देखकर लोग भौंचक्के रह जाते हैं । यहां की सडको पर बस और ट्राम एक साथ चलती हैं ऐसा भारत में केवल एक ही शहर है ।
फिलहाल मै आपको बता दूं कि उडीसा के पुरी और भुवनेश्वर की यात्रा करने के बाद हम आज सुबह कोलकाता के मशहूर हावडा ब्रिज स्टेशन पर उतरे । उतरने के बाद पहले तो काफी देर तक स्टेशन को ही देखते रहे क्योकि ये भी गजब की सुंदरता लिये हुए है । वैसे तो आजकल खूब पैसे लगाकर एक से एक इमारत बना दी जाती है पर पुराने समय की खूबसूरत कलाकृति है हावडा स्टेशन भी ।
यहां स्टेशन से बाहर निकलने के बाद सामना हुआ कोलकाता की पहचान और प्रसिद्ध पीली टैक्सियो से । इतनी लम्बी लाइनो और भीड में थी ये टैक्सियां कि समझ ही नही आया कि हम क्या करें । यहां स्टेशन के बाहर एक प्रीपेड बूथ बना हुआ है जहां से आप तय रेट पर टैक्सी ले सकते हैं पर उसके लिये काफी लम्बी लाइन लगी थी साथ ही वहां पर ये तो बताना पडता कि हमें कहां जाना है जो कि हमें पता नही था ।
हमने ट्रेन की बुकिंग करा रखी थी बाकी कुछ नही । आज हम यहां पर उतरे थे तो यहां एक होटल लेना था जिसे हम कल दोपहर बारह बजे तक रखते और उसके बाद कल शाम को हमारी ट्रेन थी यहां से तो हमें अभी होटल लेने में फायदा था । स्टेशन के बाहर हमने एक दो से पूछा तो थोडी ही देर में कई टैक्सी वाले हमारे पास आ गये । उनमें से एक ने केवल सौ रूपये मांगे होटल दिखाने के और चाहे हम कितने होटल देखें वो इससे ज्यादा नही लेगा । हमने अपना सामान गाडी की डिग्गी में रखा और होटल देखने निकल पडे । दो तीन होटल देखने के बाद हमें एक होटल ठीक सा लगा । पांच सौ रूपये प्रति कमरे में हमने दो कमरे बुक कर लिये ।वैसे सच्ची बात तो ये है कि हम फंस गये थे इस होटल को लेकर वो कैसे मै बाद में बताउंगा
गर्मी बहुत ज्यादा थी इतनी कि हम उत्तर प्रदेश में रहने वालो से भी बर्दाश्त नही हो रही थी । फिर भी आये थे तो घूमना ही था और कल तक की बात थी उसके बाद तो हमें ठंडे इलाके में चला जाना था बस यही सोचकर होटल वाले से कोई टैक्सी के बारे में पूछा । उसने आज के लिये एक हजार रूपये और कल के लिये पन्द्रह सौ रूपये में पूरे दिन के लिये टैक्सी बुक करवा दी ।
अब हमने आज घूमना था सबसे पहले विक्टोरिया मैमोरियल को , उसके बाद काली बाडी यानि काली माता के मंदिर जाना था । उसके बाद हमे शहर के मशहूर मार्केट न्यू मार्केट में जाना था । इसके लिये ही हमने गाडी की थी क्योंकि हमारे पास समय कम था और हमें ज्यादा जगह घूमनी थी ।
इस पोस्ट में मै आपको दिखा रहा हूं कोलकाता शहर के दिमाग और जिंदादिली का नमूना जो कि दूसरे नम्बर के चित्र में है । शहर की बडी बडी बिल्डिंगो पर तो सब विज्ञापन देते हैं यहां पर तो पानी के बीच में भी विज्ञापन देने का जुगाड बना दिया गया ।
कोलकाता शहर में सडको के लिये जगह कम है आबादी के हिसाब से तो यहां पर अक्सर जाम रहता है । पर समय के साथ साथ यहां भी सडको के उपर सडक यानि फलाईओवर बना दिये गये जिससे यातायात सुगम हुआ । प्रसिद्ध हावडा ब्रिज तो अंग्रेजो के समय में बना था पर वर्तमान में विदयासागर सेतु बनाया गया है जो कि उसके जैसा ही लगता है और इस सेतु से गुजरते हुए आप हावडा ब्रिज और स्टेडियम जैसी कई जगहो को देख सकते हो
लाल रंग की बिल्डिंग जो कि हावडा का रेलवे स्टेशन है इसे तो आपने देख ही लिया है उसके बाद के चित्रो मे है हावडा ब्रिज जो कि इंजीनियरिंग का अदभुत नमूना है ।रास्ते में बाहर से राइटर बिल्डिंग भी देखी जो कि कोलकाता का शक्ति केन्द्र भी माना जाता है क्योंकि पूरे बंगाल की सारी गतिविधि यहीं से संचालित होती हैं । घंटाघर भवन , राज्यपाल भवन , रिजर्व बैंक और एक सुंदर सा चर्च भी देखा
इसके बाद है ईडन गार्डन स्टेडियम जो कि कोलकाता की एक और पहचान । एक ओबेराय होटल है जो कि कोलकाता का सबसे पहला और पुराना 5 स्टार होटल है और उसके बाद कोलकाता की न्यू मार्केट जिसमें मैने एक स्पेशल ट्राली खरीदी । ये ट्राली मैने एक आदमी के पास देखी थी । इस ट्राली के पहिये ट्राली वाले बैग से चार गुने बडे होते हैं । पूरी ट्राली स्टील की लगभग 3 किलो वजन की होती है पर फोल्डिंग होती है और जब चाहो पचास से अस्सी किलो वजन के बैग इस पर रखो और चलते बनो कैसी भी सडक पर । सात सौ रूपये की ये ट्राली यहीं पर मिली । साथ में कुछ कपडे भी खरीदे गये । उसके बाद हम अपने होटल में आ गये
कोलकाता शहर में सडको के लिये जगह कम है आबादी के हिसाब से तो यहां पर अक्सर जाम रहता है । पर समय के साथ साथ यहां भी सडको के उपर सडक यानि फलाईओवर बना दिये गये जिससे यातायात सुगम हुआ । प्रसिद्ध हावडा ब्रिज तो अंग्रेजो के समय में बना था पर वर्तमान में विदयासागर सेतु बनाया गया है जो कि उसके जैसा ही लगता है और इस सेतु से गुजरते हुए आप हावडा ब्रिज और स्टेडियम जैसी कई जगहो को देख सकते हो
लाल रंग की बिल्डिंग जो कि हावडा का रेलवे स्टेशन है इसे तो आपने देख ही लिया है उसके बाद के चित्रो मे है हावडा ब्रिज जो कि इंजीनियरिंग का अदभुत नमूना है ।रास्ते में बाहर से राइटर बिल्डिंग भी देखी जो कि कोलकाता का शक्ति केन्द्र भी माना जाता है क्योंकि पूरे बंगाल की सारी गतिविधि यहीं से संचालित होती हैं । घंटाघर भवन , राज्यपाल भवन , रिजर्व बैंक और एक सुंदर सा चर्च भी देखा
इसके बाद है ईडन गार्डन स्टेडियम जो कि कोलकाता की एक और पहचान । एक ओबेराय होटल है जो कि कोलकाता का सबसे पहला और पुराना 5 स्टार होटल है और उसके बाद कोलकाता की न्यू मार्केट जिसमें मैने एक स्पेशल ट्राली खरीदी । ये ट्राली मैने एक आदमी के पास देखी थी । इस ट्राली के पहिये ट्राली वाले बैग से चार गुने बडे होते हैं । पूरी ट्राली स्टील की लगभग 3 किलो वजन की होती है पर फोल्डिंग होती है और जब चाहो पचास से अस्सी किलो वजन के बैग इस पर रखो और चलते बनो कैसी भी सडक पर । सात सौ रूपये की ये ट्राली यहीं पर मिली । साथ में कुछ कपडे भी खरीदे गये । उसके बाद हम अपने होटल में आ गये
NORTH EAST TOUR-
अनूठा विचार |
नया सेतु |
फलाईओवरो की भरमार |
हावडा स्टेशन |
सामने हावडा ब्रिज दिख रहा है |
अदभुत संरचना , हावडा ब्रिज |
ईडन गार्डन |
न्यू मार्केट कोलकाता |
न्यू मार्केट कोलकाता |
न्यू मार्केट कोलकाता |
Ah Manu, thanks a lot for sharing such a nice post, you remind me the days when I was living in Kolkata. You made a small mistake in your post, Kolkata is known as the City of Joy, not as Joy of City... But anyways, thanks again for sharing your experience of Kolkata...
ReplyDeleteLekin ye to bataya hi nahi aapne ki hotel le ke fas kaise gaye ? :D Interesting views of Kolkata :)
ReplyDeleteभाई ट्राली के दर्शन तो करा देते हम भी देख लेते.हावडा ब्रिज के ओर फोटो अपलोड कर देते.
ReplyDeleteGreat shots..being a Kolkatan I can say you've picked them very well..:-)
ReplyDeleteबढिया लेखन और जानकारीयुक्त भी
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