साढे ग्यारह बजे हम लोग हरिद्धार में थे । हरिद्धार बाईपास से ही गाडियां जाती हैं क्योंकि शहर में तो अब पैदल लोग ही नही गुजर पाते इतनी भीड...
साढे ग्यारह बजे हम लोग हरिद्धार में थे । हरिद्धार बाईपास से ही गाडियां जाती हैं क्योंकि शहर में तो अब पैदल लोग ही नही गुजर पाते इतनी भीड रहती है । मेलो के दिनो के अलावा वहां के स्थानीय लोग अपने दुपहिया वाहनो पर सवारी करते दिख जाते हैं । बाईपास पर आते ही चंडी देवी और मंसा देवी माता के पहाड के दर्शन शुरू हो जाते हैं ।
हमें यहीं नही रूकना था । शिवजी की विशाल मूर्ति वाले पुल को पार करने के तुरंत बाद वाली पार्किंग ही मुझे रूकने के लिये अच्छी लगती है । उसकी वजह मेरी मोटरसाईकिल होती है जो कि वहां सीधे गंगा तट तक पहुंच जाती है और दो पुल पार करने के बाद हम । लेकिन इस बार हम छोटी कार में थे और कार भी कम भीड होने की वजह से गंगा किनारे तक ही पहुंच गयी थी । हमने अपने सब सामान को गाडी में ही रहने दिया और केवल तौलिया और निक्कर वगैरा हाथ में लिये पहुंच गये हर की पौडी पर ।
यहां पर 5 रूपये में पन्नी बिकती है जो काफी बडी होती है । दो पन्नी लेकर हमने उस पर अपना सामान रखा और कपडे उतारकर रखे । एक आदमी सामान के पास होता और तीन नहा रहे होते । उसके बाद फिर से नहाने वालो में से एक आदमी आकर सामान के पास खडा हो जाता । हर की पौडी धार्मिक स्थल है और भीड से हमेशा भरा रहता है इसलिये यहां पर अक्सर सामान चोरी होने और पाकेटमारी की संभावना रहती है और होती भी हैं ।
पर मै जो आपको बता रहा हूं वो कम से कम बीसवी बार हम लोग कर रहे थे । ठीक इसी जगह नहाना और ऐसे ही घूमना हरिद्धार में हमें पसंद है । गर्मियो के दिनो में खास बात ये होती है कि थोडी देर तक गंगाजी में रहने के बाद ठंड लगने लगती है और जैसे ही बाहर आते हैं तो दस मिनट में वो सारी ठंडाई निकल जाती है और फिर से जालिम पसीना आने लगता है । मन तो करता है कि सारे दिन ही गंगाजी में घुसे रहें ।
डेढ घंटे तक हम लोग नहाने का आनंद लेते रहे । सवा बजे हम लोग वापिस पार्किंग में आ गये । हर की पौडी तक जाना और आना एक शापिंग करने जैसा भी है क्योंकि यहां पर चल दुकाने पूरे रंग रूप में लगी रहती हैं । टैटू बनवाने से लेकर मालाओ तक जितनी दुकानदारी ये लोग कर लेते हैं इतनी तो अंदर शहर वाले दुकानदार भी नही करते होंगें क्योंकि आने जाने के अलावा नहाने के बाद सबसे पहला काम जो लोग करते हैं वो यही होता है कि रंग बिरंगी मालाओ से लदी इन दुकानो पर मालाये देखना और जब देखते हैं तो फिर लेने को भी मन कर ही जाता है । सौदेबाजी यहां की परंपरा है । आप थोडी ज्यादा मात्रा में लेना चाहें तो काफी सस्ती मिल जाती हैं ।
I loved my visit to Haridwar. Especially the Aarti was divine :)
ReplyDeleteAanchlik rang liye chitra..... Bahut sunder
ReplyDeleteManu Bhai hum hi yahi sab karte hai jab Haridwar jaate hai "यहां पर 5 रूपये में पन्नी बिकती है जो काफी बडी होती है । दो पन्नी लेकर हमने उस पर अपना सामान रखा और कपडे उतारकर रखे । एक आदमी सामान के पास होता और तीन नहा रहे होते । उसके बाद फिर से नहाने वालो में से एक आदमी आकर सामान के पास खडा हो जाता । हर की पौडी धार्मिक स्थल है और भीड से हमेशा भरा रहता है इसलिये यहां पर अक्सर सामान चोरी होने और पाकेटमारी की संभावना रहती है और होती भी हैं ।
ReplyDeleteपर मै जो आपको बता रहा हूं वो कम से कम बीसवी बार हम लोग कर रहे थे । ठीक इसी जगह नहाना और ऐसे ही घूमना हरिद्धार में हमें पसंद है । गर्मियो के दिनो में खास बात ये होती है कि थोडी देर तक गंगाजी में रहने के बाद ठंड लगने लगती है और जैसे ही बाहर आते हैं तो दस मिनट में वो सारी ठंडाई निकल जाती है और फिर से जालिम पसीना आने लगता है । मन तो करता है कि सारे दिन ही गंगाजी में घुसे रहें ।"