फिर से उसी रेलवे लाइन के पुल के नीचे को होते हुए हम वापिस ललता रो पुल से होकर चंडी मंदिर के पुल पर को आये । यहां पर मेरे भाईयो को ट्राली ...
फिर से उसी रेलवे लाइन के पुल के नीचे को होते हुए हम वापिस ललता रो पुल से होकर चंडी मंदिर के पुल पर को आये । यहां पर मेरे भाईयो को ट्राली में बैठने की लग चुकी थी । मैने उन्हे गाडी रूकवाकर वो रास्ता दिखाया जो कि चंडी मंदिर के पुराने रास्ते की बजाय सिर्फ एक किलोमीटर का ही है । ये बिजनौर जाने वाले रास्ते पर ही ट्राली के आफिस से मात्र 50 मीटर दूर है और बहुत से लोगो को तो इसकी जानकारी ही नही है ।
पर साढे तीन बजे उन्होने मुझे कुछ समय और कुछ ट्राली में बैठने की इच्छा का हवाला देकर राजी कर लिया । हम लोग ट्राली में बैठकर उपर गये । चंडी माता के मंदिर का रास्ता मंसा देवी के रास्ते की अपेक्षा लम्बा तो है पर जिस रास्ते की मै बता रहा हूं वो केवल मंसा देवी के रास्ते का दुगुना ही है बस । लेकिन जब आप यात्रा में किसी के साथ हों तो सबकी सुननी और माननी चाहिये जब तक वो बहुत ज्यादा गलत ना हो तब तक ।
चंडी देवी के मंदिर पर काफी भीड थी और कुछ दूर स्टील के पाईपो से बनी लाइना में चलना पडा । यहां पर मै कितनी बार आ चुका हूं मुझे खुद याद नही है और मै पहले भी एक बार माता के इस मंदिर का इतिहास और महात्मय लिख चुका हूं । यहां भी जूता स्टाल पर अपने जूते जमा कराने के बाद हाथ धोकर प्रसाद लिया और माता को अर्पित किया । माता के दर्शन करने के बाद वापसी में उतरते वक्त हरिद्धार शहर का बढिया नजारा दिखता है । बंदरो का आतंक यहां पर भी कम नही है । माता के मंदिर से दर्शन करने के बाद हम लोग गाडी में बैठकर रिषीकेश की ओर चल दिये । अब तो समय शाम का हो रहा था इसलिये रूकने का भी समय हो चला था तो रिषीकेश में रूकना ही सबकी राय थी । मैने अपने एक जानने वाले स्वामी सुकेतानन्द जी को फोन लगाया कि आपके आश्रम में रूकने की व्यवस्था है क्या ? उन्होने तो हां कर दी पर अपने भाई बोले कि नही आश्रम में नही रूकेंगें हम तो होटल में ही रूकेंगे । जैसी मर्जी भाई लोगो की
यहां त्रिवेणी घाट के सामने की रोड पर एक होटल आकाश गंगा में कूलर वाला कमरा ले लिया 1000 रूपये में एक रात के लिये । होटल के पास ही त्रिवेणी घाट था इसलिये यहां पर घूमने में सुविधा थी । रात को त्रिवेणी घाट पर घूमने गये और अपने मनपसंद राजस्थानी भोजनालय में खाना खाया
मनु भाई एक बात बताओ की आप बहुत सी यात्रा करते हे सालभर,क्या यात्रा के दौरान जगहो के नाम व कुछ खास बाते आप लिखते होगे या याद रहता है??
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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गये साल को है प्रणाम!
है नये साल का अभिनन्दन।।
लाया हूँ स्वागत करने को
थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।।
है नये साल का अभिनन्दन।।...
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नवल वर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन अलविदा 2013 और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (1 जनवरी, 2014) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
ReplyDeleteकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
“नव-वर्ष 2014
ReplyDeleteआपके और आपके समस्त परिवार के लिए
सुखद और समृद्धिशाली हो”
Wishing You and Your Family
a Very Happy & Prosperous
New Year 2014.
सादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
http://sarikamukesh.blogspot.com
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