पाराशर मंदिर के चारो ओर का नजारा भी बडा मनमोहक है । पाराशर मंदिर और झील दोनो का एक पैनोरमा व्यू आप देख सकते हो । यहां झील जो है वो चारो और से पहाडियो से घिरी है उसे आप उन पहाडी के उपर चढकर ही देख सकते हो । उस पहाडी
पाराशर मंदिर के चारो ओर का नजारा भी बडा मनमोहक है । पाराशर मंदिर और झील दोनो का एक पैनोरमा व्यू आप देख सकते हो । यहां झील जो है वो चारो और से पहाडियो से घिरी है उसे आप उन पहाडी के उपर चढकर ही देख सकते हो । उस पहाडी के चारो ओर बाड लगायी गयी है जिसमें दो या तीन जगह गेट बनाये गये हैं । गेट ऐसे हैं कि तीन सीढी लोहे की बनी हुई हैं इनके उपर चढकर आदमी अंदर प्रवेश करते हैं । ऐसा क्यों किया गया है इसका यही कारण मुझे समझ में आया कि शायद यहां पर भालू या और कोई जानवर आ जाते होंगें पानी पीने के लिये इसलिये सुरक्षा के लिये ये बाड लगा दी गयी है ।
हिमाचल के लोगो में सिर्फ ग्रामीण ही बलि के अंधविश्वास का शिकार नही हैं बल्कि हर तरह के लोगो में ये फैला हुआ है । इसमें वो लोग हैं जो नीचे कटोल से पैदल यात्रा करके आते हैं तो वो लोग भी हैं जो बढिया लगजरी टैम्पो ट्रैवलर गाडी से यहां पर दर्शन करने आते हैं उनके हाथो में भी एक मेमने की डोर तो रहती ही है ।
अब चलने का समय हो चुका था । कुछ देर मै उपर बनी एक दुकान पर बैठा यहां पर मैगी और चाय के साथ केवल बिस्कुट और नमकीन मिल सकती थी । मैने आते समय कटोल में भी चाय पी थी पर एक बार फिर से यहां पर चाय ले ली । खाना खाने के बारे में मैने अभी सोचा ही नही था अभी तो मेरा ध्यान था कि आज मै कहां तक आगे जा सकता हूं ।
मुझे लगता था कि अभी आधे बचे दिन में मै बिजली महादेव तक पहुंच जाउं तो वहां के दर्शन करके मै कुल्लू या भुंतर में रूक सकता हूं । एक तरीका ये भी था कि मै आज सीधा मणिकर्ण जाकर रूक जाउं । देखते हैं कि आगे क्या होता है
हिमाचल के लोगो में सिर्फ ग्रामीण ही बलि के अंधविश्वास का शिकार नही हैं बल्कि हर तरह के लोगो में ये फैला हुआ है । इसमें वो लोग हैं जो नीचे कटोल से पैदल यात्रा करके आते हैं तो वो लोग भी हैं जो बढिया लगजरी टैम्पो ट्रैवलर गाडी से यहां पर दर्शन करने आते हैं उनके हाथो में भी एक मेमने की डोर तो रहती ही है ।
अब चलने का समय हो चुका था । कुछ देर मै उपर बनी एक दुकान पर बैठा यहां पर मैगी और चाय के साथ केवल बिस्कुट और नमकीन मिल सकती थी । मैने आते समय कटोल में भी चाय पी थी पर एक बार फिर से यहां पर चाय ले ली । खाना खाने के बारे में मैने अभी सोचा ही नही था अभी तो मेरा ध्यान था कि आज मै कहां तक आगे जा सकता हूं ।
मुझे लगता था कि अभी आधे बचे दिन में मै बिजली महादेव तक पहुंच जाउं तो वहां के दर्शन करके मै कुल्लू या भुंतर में रूक सकता हूं । एक तरीका ये भी था कि मै आज सीधा मणिकर्ण जाकर रूक जाउं । देखते हैं कि आगे क्या होता है
यात्रा का सुख इस मायने में भी अद्भुत है कि इस सुंदर दुनिया के बहुत सारे लोगों से हम मिल लेते हैं उन्हें हम देख लेते हैं जो शायद न निकलने से हमें कभी नहीं मिलते।
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