साल भर में एक ही बार भगवान को स्नान कराया जाता है इसलिये भी उन्हे ठंड लग जाती है । जून के महीने में पूर्णिमा के दिन भगवान बीमार हो जाते हैं और रथयात्रा से ठीक पहले स्वस्थ होते हैं । भगवान भले साल में एक बार बीमार पडते हों पर उनके इलाज के
ये जो दृश्य आप देख रहे है ये उस दिन का है जब भगवान जगन्नाथ जी पूरे साल में एक बार नहाते हैं और उस दिन सबको दर्शन भी देते हैं । हमें पूरी रस्म का पता था पर क्या करें इतनी भीड थी कि पूछिये मत । अभी रथयात्रा भी शुरू नही हुई थी तब ये हाल था कि हमें सडक पर खडे होने के लिये भी जगह नही थी । आस पास के सारे होटल और धर्मशालाओ की छते तक फुल थी क्योंकि इसके बाद भगवान को ठंड लग जानी थी और उन्हे बीमार पड जाना था पूरी रस्म क्या है इसके बारे में आपको बताते हैं
आज भांति भांति के सुगंधित द्रव्यो से स्नान के उपरांत तीनो भगवान बीमार हो जायेंगें क्योंकि उन्हे ठंड लग जायेगी । उसके बाद वैद्य उनका इलाज करेंगें । भगवान को दशमूलारिष्ठ से बनी गोलियां दी जायेंगी । जडी बूटियो के तेल से उनकी मालिश की जायेगी
उसकी एक वजह भी है कि साल भर में एक ही बार भगवान को स्नान कराया जाता है इसलिये भी उन्हे ठंड लग जाती है । जून के महीने में पूर्णिमा के दिन भगवान बीमार हो जाते हैं और रथयात्रा से ठीक पहले स्वस्थ होते हैं । भगवान भले साल में एक बार बीमार पडते हों पर उनके इलाज के लिये मंदिर में डाक्टरो का एक अलग ही विभाग है जो कि जडी बूटियो का जानकार होता है । वैसे पूरे जगन्नाथ् मंदिर में 36 विभाग हैं जिसमें पीढी दर पीढी काम सौंपा जाता है । अलग अलग काम करने वाले हैं जैसे पुजारी , वैद्य , श्रंगार करने वाले , स्नान कराने वाले आदि भगवान स्वर्ग भी सिधारते हैं
दरअसल स्वर्ग सिधारने का मतलब मरा माना जाता है पर यहां पर कुछ अलग ही बात है । तीनो भगवान यानि बलभद्र जी , सुभद्रा जी और सुदर्शन जी भी स्वर्ग सिधारते हैं
मंदिर के पीछे वाले हिस्से में चारो की समाधि हैं । 16 साल पहली इन समाधियो के बारे में यहां बताया गया कि अगली बार भगवान शायद 2015 में स्वर्ग सिधारेंगें तब उनकी समाधि नयी बनायी जायेगी । अघोरी नाम के पुजारी इन समाधियो की रक्षा करने वाले होते हैं जो मंदिर में ही नियुक्त होते हैं
आज भांति भांति के सुगंधित द्रव्यो से स्नान के उपरांत तीनो भगवान बीमार हो जायेंगें क्योंकि उन्हे ठंड लग जायेगी । उसके बाद वैद्य उनका इलाज करेंगें । भगवान को दशमूलारिष्ठ से बनी गोलियां दी जायेंगी । जडी बूटियो के तेल से उनकी मालिश की जायेगी
उसकी एक वजह भी है कि साल भर में एक ही बार भगवान को स्नान कराया जाता है इसलिये भी उन्हे ठंड लग जाती है । जून के महीने में पूर्णिमा के दिन भगवान बीमार हो जाते हैं और रथयात्रा से ठीक पहले स्वस्थ होते हैं । भगवान भले साल में एक बार बीमार पडते हों पर उनके इलाज के लिये मंदिर में डाक्टरो का एक अलग ही विभाग है जो कि जडी बूटियो का जानकार होता है । वैसे पूरे जगन्नाथ् मंदिर में 36 विभाग हैं जिसमें पीढी दर पीढी काम सौंपा जाता है । अलग अलग काम करने वाले हैं जैसे पुजारी , वैद्य , श्रंगार करने वाले , स्नान कराने वाले आदि भगवान स्वर्ग भी सिधारते हैं
दरअसल स्वर्ग सिधारने का मतलब मरा माना जाता है पर यहां पर कुछ अलग ही बात है । तीनो भगवान यानि बलभद्र जी , सुभद्रा जी और सुदर्शन जी भी स्वर्ग सिधारते हैं
मंदिर के पीछे वाले हिस्से में चारो की समाधि हैं । 16 साल पहली इन समाधियो के बारे में यहां बताया गया कि अगली बार भगवान शायद 2015 में स्वर्ग सिधारेंगें तब उनकी समाधि नयी बनायी जायेगी । अघोरी नाम के पुजारी इन समाधियो की रक्षा करने वाले होते हैं जो मंदिर में ही नियुक्त होते हैं
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