अल्मोडा 50 किलोमीटर के लगभग था । चलो आज अल्मोडा ही चलते हैं बाकी वहां से कल देखूंगा कि कहां पर जाना है और हो सका तो रात को अल्मोडा में रूककर कुछ वहां की जगह देखू्ंगा । यही सोचकर भुवाल पहुंचा और वहां से अल्मोडा के रास्ते पर चलने लगा ।
वापसी के सात आठ किलोमीटर के रास्ते में यही लगा रहा कि किधर चलूं इधर चलूं
घर की ओर या उधर चलूं । फिर सोचा कि सुबह से काफी सफर कर लिया अभी कोई
थकान नही कुछ नही तो आगे मोड पर बोर्ड देखा कि अल्मोडा 50 किलोमीटर के लगभग
था । चलो आज अल्मोडा ही चलते हैं बाकी वहां से कल देखूंगा कि कहां पर
जाना है और हो सका तो रात को अल्मोडा में रूककर कुछ वहां की जगह देखू्ंगा ।
यही सोचकर भुवाल पहुंचा और वहां से अल्मोडा के रास्ते पर चलने लगा ।
अल्मोडा तक का रास्ता बढिया था ।ये काफी चौडा और नदी के साथ साथ हैयहां से
आगे जाकर कैंची मोड आता है जहां पर कैंची धाम के नाम से मंदिर स्थित है ।
इस मंदिर की भव्यता इतनी महत्वपूर्ण नही है जितनी कि इस की लोकेशन क्योंकि पहाडो की गोद में , नदी के किनारे और कैंची के जैसी एक दूसरे को काटती सडक पर स्थित होना ही अपने आप में एक लोकेशन है । इस मंदिर को मैने लवी के साथ अपने आठ दिवसीय आगरा नैनीताल कौसानी यात्रा में देखा था अंदर जाकर भी सो आज मेरा मूड नही था कि मै इसे दोबारा देखूं । वैसे तो मैने अल्मोडा भी देखा था तब पर तब हम एक मिनी बस में थे और वो भी सबसे पिछली सीट पर तो फोटो और रास्ते का इतना मजा नही ले पाये थे । कभी कभी आदमी को कुछ चीजे छोड भी देनी चाहियें ताकि अगर दोबारा कभी आना हो और समय मिले तो देख सकें ऐसा ना हो कि आपने सब कुछ देख डाला हो और आगे देखने को कुछ भी बाकी ना हो तो आपको किसी वजह से उस जगह पर जाना पडा तो आल्स्य आता है कम से कम मेरे जैसे बंदे को तो बिलकुल आता है । मै पहले अल्मोडा में एक घंटे के लिये रूका था और हमारी बस के साथियो ने वहां पर दोपहर का खाना खाया था । इसके अलावा वहां की बाल मिठाई भी काफी प्रसिद्ध है इसलिये आज अल्मोडा में ही रूकने का मन था मेरा आगे जाकर रास्ता नदी के साथ साथ चलता है । कभी रास्ता उंचा हो जाता है और नदी एक घाटी में को चलती दिखायी देने लगती है । कभी कभी रास्ता नदी के समानांतर सा आ जाता है और तब चूंकि इस नदी में ज्यादा पानी तो है नही पर पत्थरो में को बहती नदी काफी सुंदर लगती है । रास्ता काफी चौडा है और एक तरफ सिर उठाये पहाड खडा है तो दूसरी तरफ सुंदर नदी । काफी मनोरम नजारा हो जाता है यहां । इस रास्ते पर काफी सारे गांव भी आते है जो पहाडो की गोद में बसे होने के कारण काफी सुंदर लगते हैं । आप खुद इस नजारे को देखियेएक जगह नदी मोड ले रही थी और मोड के सामने कोई मंदिर जैसी इमारत थी । मै इस खूबसूरत नजारे को अपने कैमरे में कैद करने के लिये रूक गया । तभी एक बाइक और एक स्कूटी पर चार विदेशी जिनमें एक लडका और तीन लडकिया थी आकर वहां पर रूके । मुझे फोटो लेते देखकर उन्होने कहा कि हमारा भी एक फोटो ले दो । मेरे फोटो लेने के बाद उनमें से एक ने अपने साथ मेरा फोटो लेने को कहा मैने अपना कैमरा भी दे दिया । ये चारो इजरायली थे और दिल्ली से किराये पर बाइक और स्कूटी लिये हुए थे । थोडी देर इनसे बात हुई । ये सब अल्मोडा रानीखेत से वापस आ रहे थे और अब दिल्ली जा रहे थे । इनका तरीका मुझे काफी बढिया लगा ।
इस मंदिर की भव्यता इतनी महत्वपूर्ण नही है जितनी कि इस की लोकेशन क्योंकि पहाडो की गोद में , नदी के किनारे और कैंची के जैसी एक दूसरे को काटती सडक पर स्थित होना ही अपने आप में एक लोकेशन है । इस मंदिर को मैने लवी के साथ अपने आठ दिवसीय आगरा नैनीताल कौसानी यात्रा में देखा था अंदर जाकर भी सो आज मेरा मूड नही था कि मै इसे दोबारा देखूं । वैसे तो मैने अल्मोडा भी देखा था तब पर तब हम एक मिनी बस में थे और वो भी सबसे पिछली सीट पर तो फोटो और रास्ते का इतना मजा नही ले पाये थे । कभी कभी आदमी को कुछ चीजे छोड भी देनी चाहियें ताकि अगर दोबारा कभी आना हो और समय मिले तो देख सकें ऐसा ना हो कि आपने सब कुछ देख डाला हो और आगे देखने को कुछ भी बाकी ना हो तो आपको किसी वजह से उस जगह पर जाना पडा तो आल्स्य आता है कम से कम मेरे जैसे बंदे को तो बिलकुल आता है । मै पहले अल्मोडा में एक घंटे के लिये रूका था और हमारी बस के साथियो ने वहां पर दोपहर का खाना खाया था । इसके अलावा वहां की बाल मिठाई भी काफी प्रसिद्ध है इसलिये आज अल्मोडा में ही रूकने का मन था मेरा आगे जाकर रास्ता नदी के साथ साथ चलता है । कभी रास्ता उंचा हो जाता है और नदी एक घाटी में को चलती दिखायी देने लगती है । कभी कभी रास्ता नदी के समानांतर सा आ जाता है और तब चूंकि इस नदी में ज्यादा पानी तो है नही पर पत्थरो में को बहती नदी काफी सुंदर लगती है । रास्ता काफी चौडा है और एक तरफ सिर उठाये पहाड खडा है तो दूसरी तरफ सुंदर नदी । काफी मनोरम नजारा हो जाता है यहां । इस रास्ते पर काफी सारे गांव भी आते है जो पहाडो की गोद में बसे होने के कारण काफी सुंदर लगते हैं । आप खुद इस नजारे को देखियेएक जगह नदी मोड ले रही थी और मोड के सामने कोई मंदिर जैसी इमारत थी । मै इस खूबसूरत नजारे को अपने कैमरे में कैद करने के लिये रूक गया । तभी एक बाइक और एक स्कूटी पर चार विदेशी जिनमें एक लडका और तीन लडकिया थी आकर वहां पर रूके । मुझे फोटो लेते देखकर उन्होने कहा कि हमारा भी एक फोटो ले दो । मेरे फोटो लेने के बाद उनमें से एक ने अपने साथ मेरा फोटो लेने को कहा मैने अपना कैमरा भी दे दिया । ये चारो इजरायली थे और दिल्ली से किराये पर बाइक और स्कूटी लिये हुए थे । थोडी देर इनसे बात हुई । ये सब अल्मोडा रानीखेत से वापस आ रहे थे और अब दिल्ली जा रहे थे । इनका तरीका मुझे काफी बढिया लगा ।
एक इजराईल जोड़ा हमे वाण में भी मिला था। सही है ना।
ReplyDeleteमैंने भी देखा था केंची धाम अल्मोड़ा जाते समय ...बहुत ही सुंदर जगह है ..दोबारा जाने की इच्छा है ..
ReplyDeleteमनु भाई बहुत बढ़िया, अति सुंदर चित्र
ReplyDeleteआपसे एक बात पुचनी थी की अलमोरा मैं रुकने लायक कोई सस्ता और टिकाऊ होटल बताओ और घूमने के लिए आसपास कोई बड़िया जगह
आपके प्रत्युत्तर में
manu bhai 10% kismat hame bhee udhar de do
ReplyDeleteअल्मोड़ा गए और मुझे बताया भी नहीं
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