जब छुटटी मिलती है और कहीं घूमने का मन करता है तो आप तैयारी करते हैं और निकल पडते हैं । एक प्रोग्राम बनाया होता है , एक मंजिल तय की ...
जब छुटटी मिलती है और कहीं घूमने का मन करता है तो आप तैयारी करते हैं और निकल पडते हैं । एक प्रोग्राम बनाया होता है , एक मंजिल तय की जाती है पर मंजिल तक आप पहुंच पाओगे या नही ये आपके हाथ में नही होता । आपके हाथ में तो निकलना भी नही होता कई बार , इसीलिये कुछ यात्राऐं अधूरी रह जाती हैं तो कुछ शुरू ही नही हो पाती । इन सबसे इतर कुछ यात्राऐं अपना स्वरूप खुद तय करती हैं वो आपके कहे अनुसार नही चलती । स्वरूप कैसे बदलता है वो इस यात्रा में मैने देखा । आज की पोस्ट दिल्ली से नैनीताल वहां से रानीखेत होते हुए कर्णप्रयाग तक Delhi to nainital to ranikhet to Karnprayag
घर से चलने पर कम से कम 7 दिन का कार्यक्रम बनाया था और कुछ अच्छी मंजिल यानि डेस्टिनेशन तय की थी । 2 दिन पहले से ही जुकाम हो गया और जुकाम मुझे जब होता है तो बेहिसाब बुरी तरीके से होता है कि आंख और नाक दोनो से पानी जाता है । शरीर बुखार जैसी हालत से भी बेकार हो जाता है । मेरे साथ वैसे तो कई मित्रो ने चलने के लिये कह रखा था पर समय पर दो ही मित्र रह गये जिनमें से एक महिला मित्र शालिनी श्रीवास्तव भी थी जो कि छिंदवाडा मध्य प्रदेश से आयी थी । वे पहले वृंदावन घूमकर आये और उसके बाद दिल्ली पहुंचे । उनकी वजह से हमारी यात्रा देरी से शुरू हुई दिन के 12 बजे करीब । पहली मंजिल थी कि कार्तिक स्वामी जाना है और उसके बाद देवरिया ताल भी घूम आयेंगें । उसके बाद एक और ट्रैक का कार्यक्रम था लेकिन वो तो हो नही पाया । फिलहाल दिन के 12 बजे निकलने का मतलब था कि हम रूद्रप्रयाग तक नही जा सकते हैं इसलिये बीच में कहीं रूकने का तय हुआ । वैसे तो सीधे रास्ते दो हैं एक रिषीकेश होकर तो दूसरा पौडी होकर पर अचानक मन में आया कि अभी हाल में ही इन रास्तो से कम से कम चार पांच बार यात्रा कर चुका हूं इसलिये क्यों ना नैनीताल nainital से चला जाये । शादी के बाद मै और लवी एक बार नैनीताल nainital गये थे उसके बाद से दोबारा जाना नही हुआ ।
नैनीताल nainital जाने से एक नुकसान ये होना था कि कम से कम 100 किलोमीटर ज्यादा लगने थे क्योंकि नैनीताल nainital जाने का मतलब है कि वहां से रानीखेत होते हुए कर्णप्रयाग जाना पडता । पर इस सौ किलोमीटर पर भारी था एक नये रास्ते को देखने का शौक । सडक नापना ही ज्यादा बढिया लगता है आजकल इसलिये अचानक से मोदीनगर के पास से गाडी मोडी और नेशनल हाईवे 24 पर पहुंच गये 20 किलोमीटर चलकर । यहां से रोड बढिया भी है बस पिलखुआ में हल्का सा ट्रैफिक था पर उसके बाद सब बढिया रहा । मुरादाबाद तक कोई स्टाप नही लिया क्योंकि मुरादाबाद में सीएनजी डलवानी थी । यहां सीएनजी पम्प मुरादाबाद से पहले पाकबाडा नाम की जगह पर है । पाकबाडा से भी करीब 4 किलोमीटर पहले और वो भी दूसरी साइड में । ना कोई बोर्ड और ना कोई और साइन बस जिसे पता है या जो पूछता है वही जा पाता है ।नैनीताल कैसे जाये सीएनजी पम्प से गूगल मैप देखा तो वो दो रास्ते दिखा रहा था । एक कालाढूंगी को होते हुए और दूसरा अपना वही रूद्रपुर को होकर । रामपुर से कुछ किलोमीटर आगे ये रास्ते अलग होते है। स्वार को होकर कालाढूंगी और वहां से नैनीताल nainital पर मैप में देखने से लग रहा था कि ये रास्ता जंगल वाला होगा और हमें रामपुर से समय देखकर अंदाजा हो गया था कि नैनीताल nainitalअंधेरे में जाना ही संभव हो पायेगा । मै पहले इस रास्ते से नही गया था और ना कोई आईडिया था इसलिये अभी यहां से जाने का इरादा त्याग दिया और रूद्रपुर वाले रास्ते को ही चल पडे । इतना ट्रैफिक और बेकार सडक नैनीतालnainital से 25 किलोमीटर पहले तक आयी कि बहुत बुरा लगा कि इससे बढिया तो जंगल को ही चले जाते तो ठीक था ।
रात को अंधेरे में करीब साढे सात बजे नैनीताल nainital पहुंचे और यहां पहुंचने से पहले ही अंदाजा हो गया था कि सीजन आफ है । नैनीताल तक की सडको पर ना जाम और ना ही नार्मल गाडियो की आवाजाही । नैनीताल में बिलकुल बस स्टैंड के पास एक होटल वाले से सडक पर गाडी रोककर ऐसे ही पूछा कि रेट क्या हैं । उसने बोला कि सीजन में तो 3500 लेते हैं पर आजकल 1000 का है । वहीं मोलभाव करके 800 मे कमरा तय कर लिया और गाडी वहीं पर पार्क कर दी । कमरे में सामान रखकर झील की तरफ घूमने चले गये पर यहां से रौनक बिलकुल गायब थी क्योंकि पर्यटक दिख ही नही रहे थे और उपर से झील पर बहुत बुरी ठंडी हवाऐं चल रही थी । वहीं तल्लीताल की तरफ एक होटल में खाना खाया और वापस कमरे में आकर पसर गये ।
सुबह सवेरे 6 बजे ही उठकर सबसे पहले झील घूमने के लिये निकल पडे । झील पर हमारे अलावा एक आध ही पर्यटक और था । झील किनारे रोड पर घूमना अपने आाप में एक आनंद की चीज है । हर मोड और हर व्यू पांइट से झील और शहर का अलग नजारा दिखाई देता है । पूरी झील का चक्कर लगाने के बाद ही चाय वाले सडक किनारे खडे दिखे तो चाय पी । बीच में कोई भी दुकान खुली हुई नही थी । यहां रास्ते में कार वाले पूछते चलते हैं कि कहीं घूमना हो तो आईये । मै और लवी जब नैनीताल घूमने आये थे उसकी यादे ताजा हो गयी । करीब दस साल हो गये नैनीताल आये । उसके बाद नैनीताल nainital रोड पर तो आया था रूपकुंड जाने और मुनस्यारी जाने के दौरान लेकिन बाईपास निकल गये थे । एक घंटा बमुश्किल घूमने के बाद वापस कमरे में आ गये और तैयार होकर आठ बजे के करीब निकल लिये । कल हमने नैनीताल nainital तक 120 और उससे पहले भी करीब 120 यानि 240 किलोमीटर का सफर किया था । आज भी इतना ही करना था पर पहाडी इलाके में एक घंटे में 30 से ज्यादा का औसत नही आ पाता है इसलिये शाम तक सफर ही करना था । नैनीताल nainital से भुवाली को होते हुए रानीखेत पहुंच गये । भुवाली से आगे कैंची मोड पर बाबा नीम करौली वाले के आश्रम पर भी रूककर फोटो खिंचवाये । इसके बाद ये रोड अल्मोडा Almora और रानीखेत Ranikhet के लिये साथ साथ चलती है कोसी के किनारे लेकिन एक जगह पुल से उल्टे हाथ मुडकर रानीखेत Ranikhet को रास्ता चला जाता है जबकि सीधे अल्मोडा Almora को । रानीखेत Ranikhet में घुसने से पहले 20 रूपये की पर्ची कटी और थोडे किलोमीटर चलने के बाद रानीखेत Ranikhet में फिर से पर्ची कटने लगी । मैने पूछा तो उसने बोला कि नीचे को चले जाओ तो कोई पर्ची नही है इसलिये हम नीचे को चल दिये । यहीं रानीखेत Ranikhet से हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी जो इसके बाद पूरा दिन चलती रही ।
अब तक को तो सारा रास्ता देखा हुआ था और रानीखेत Ranikhetभी । मैने पोस्ट भी लिखी थी नैनीताल nainitalऔर रानीखेत Ranikhetकी पर जब ब्लाग से वेबसाइट बनायी तो कहीं गुम हो गयी वो और अब दोबारा लिखने की हिम्मत नही है । खैर रानीखेत Ranikhetसे आगे कर्णप्रयाग का रास्ता पहली बार जा रहा था इसलिये बडे आराम से गाडी चलाता रहा और पूरे मजे लेकर ये सफर किया । नया रास्ता , उसपर पडने वाले नजारे मुझे एक ही बार सुकून देते हैं । दोबारा किसी भी जगह को देखना मुझे सख्त नापसंद है इसलिये अगर ऐसा हो तो मै वहां से फिर तेजी से निकलता हूं ।
नैनीताल रात को |
नैनीताल में कमरा |
नैनीताल सुबह सुबह |
नैनीताल सुबह सुबह |
नैनीताल सुबह सुबह |
नैनी झील |
पता नही महाराज कहां से भीेगकर आये हैं या झील में स्नान किया है |
झील किनारे रोड |
इस फोटो में एक खास बात भी है बताने वाले को मेरे साथ चलना मिलेगा |
नैनी झील |
चलो अगले सफर पर |
कैंची मंदिर , नीम करोली बाबा मंदिर |
कैंची मंदिर , नीम करोली बाबा मंदिर |
अल्मोडा सीधे , रानीखेत बांये |
रानीखेत से कुछ पहले |
उपर को 20 रूपये नीचे को फ्री |
हमें द्धारहाट को जाना है बांये को |
ये सुंदर लोकेशन थी |
ये सुंदर लोकेशन थी |
यहां से रास्ता भटक गये थे ,वैसे दोनो जाते कर्णप्रयाग ही हैं |
भटकने का अंजाम ये मिला |
भटकने के बाद वापस उसी मोड से पीछे की दूरियां |
यहां से भी सीधे जाना था पर बांये हो गये , बाद में वापस आये |
गैरसैंण |
ये होली का लेडीज ग्रुप |
ये लुक्खो यानि बदमाश ग्रुप |
आदि बद्री के पास चांदपुर गढी |
जिंदगी के पूरे मजे तो आप ही ले रहे हो भाई
ReplyDeleteबढ़िया मनु भाई नैनीताल की दो यात्राएँ और दोनों बार अलग अलग साथी के साथ.....रूम भी सस्ता और बढ़िया मिल गया..मुझे तो बेड के सिरहाने शीशा पसंद आया बड़ा वाला.....और आपके कैमरा से pics के colourतो शानदार आते ही हैं.....
ReplyDeletebhai ji us photo me temple ,church,gurudwara,mosque ek saath hai
ReplyDeletebhai ji us photo me temple ,church,gurudwara,mosque ek saath hai
ReplyDeleteमनु भाई फोटो शानदार आए है शायद नया कैमरा है। और उस फोटो मे नैनादेवी मन्दिर, गुरूद्वारा, मस्जिद व चर्च दिख रही है।
ReplyDeleteगजब भाई, ऐसे ही अच्छी अच्छी फोटो खीचते रहे। मजा आ गया
ReplyDeleteशानदार यात्रा ,एक जानदार यात्रा बहुत अच्छा लग रहा है पढ़कर |सभी फोटो भी बहुत सुंदर हैं|
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