केदारकंठा ट्रैक , जुडा का तालाब और बेस कैम्प

रात के 9 बजे सांकरी गांव में पहुंचे तो सबसे पहले जो मन में बात थी वो थी कि बस खाना मिल जाये । यहां मै पिछले साल आया तो यहां पर खाने में नेप...


रात के 9 बजे सांकरी गांव में पहुंचे तो सबसे पहले जो मन में बात थी वो थी कि बस खाना मिल जाये । यहां मै पिछले साल आया तो यहां पर खाने में नेपालियो का होल्ड ज्यादा देखा था । नेपाली लोगो के कई परिवार यहां पर दुकाने चला रहे हैं । ये लोग पूरे परिवार के साथ रहते हैं और इनके परिवार की महिलाऐं खाना वगैरा बनाती हैं । इसी तरह की एक दुकान अभी खुली थी और यहां मौजूद महिला ने मुस्कुराकर कहा कि गर्म खाना मिल जायेगा । खाने का आर्डर दे दिया और हम होटल देखने लगे । पिछले साल हम जिस होटल में रूके थे उसमें बात की तो उसने 1000 रूपये बताये । हम रैस्टोरैंट के सामने ही मौजूद होटल में गये और वहां पर बात की तो उसने 600 रूपये में टैरेस पर मौजूद कमरा दिखाया जिसमें डबल बैड था । बढिया सुंदर कमरा और बढिया व्यू पर जाट देवता नही माने बोले तीन बैड का ही लेना है ।

असल में मै खर्राटे लेता हूं और वो भी जबरदस्त वाले तो जाट देवता इसी मारे तीन बैड को कह रहे होंगें । इसी बीच खाना तैयार हो गया तो पहले खाना खाया भरपेट । यहां पर ज्यादा लग्जरी रैस्टोरैंट नही हैं । बाहर जो होटल हैं सभी में 60 रूपये थाली में भरपेट खाना मिलता है दो सब्जी और रोटी अचार सब के साथ । खाना खाने के बाद जाट देवता कमरा देखने लगे जबकि मै पास की एक दुकान में आग सेक रहे चार पांच लोगो के बीच पहुंच गया । मैने वहां जाकर केदारकांठा के लिये पोर्टर पूछा तो उनमें से एक लडके ने हमसे हमारे बारे में ही पूछना शुरू कर दिया कि कहां से आये हो , कैसे जाओगे । हमने उसे बताया कि हम केदारकांठा करने आये हैं और हमारे पास अपना टैंट और स्लीपिंग बैग सब कुछ है यहां तक कि हम खाने और बनाने का सामान भी सब लाये हैं बस हमें पोर्टर चाहियें । उस लडके ने हमें बताया कि आजकल यहां पर बर्फ बहुत ज्यादा हो गयी है इसलिये यहां उपर रास्ते वगैरा बंद से हो गये हैं और यहां पर केदारकांठा करवा रही सभी कंपनियो ने अपने कैम्प समेट लिये हैं । इसमें यूथ हास्टल , इंडिया हाइक , रेनोक एडवेंचर और कई और कम्पनियां भी हैं जो अपना सामान समेट कर नीचे आ गयी हैं तो अब ट्रैक दोबारा मार्च से शुरू होगा । अगर फिर भी आप जाना चाहते हो तो मेरे भाई ने वहां पर कैम्प लगाया हुआ है जो वैसे तो पैकेज वाले कस्टमर के लिये होता है लेकिन जब हमारे अपने ग्राहक कम होते हैं तो हम बाहरी ग्राहको को भी अपने यहां पर सुविधा दे देते हैं । उसका चार्ज 1000 रूपये है जिसमें हम आपको कल दोपहर या शाम वहां पर पहुंचने पर चाय स्नेक्स , रात का खाना , परसो सुबह का नाश्ता और समिट यानि पीक या चोटी करके आने के बाद का खाना भी देते हैं । साथ में टैंट लगे हुए हैं बडे वाले जिसमें काफी सुविधा है और रात को बोनफायर तो है ही ।

इतनी सारी सुविधायें 1000 रूपये प्रति व्यक्ति थी और हमारे तीन बंदो के 3000 लगने थे । अगर हम पोर्टर भी लेते तो वे 600 या 700 रूपये रोज से तो कम नही आने थे और दो दिन के लिये भी ले जाते तो 1200 रूपये और दो ही पोर्टर लेते तो 2400 रूपये लग जाने थे । इस के बाद हमें 600 रूपये में खाना पीना और बाकी चीजे नही कर सकते थे । हमें ये पैकेज बढिया लगा और हमने उस बंदे को पैसे जमा करा दिये । मजे की बात ये थी कि वो बंदा प्रशांत का भाई था और आरचिड होटल में रिसेप्शन पर था जिस होटल में हम पिछले साल रूके थे और इस बार जाट देवता को उन्होने 1000 रूपये किराया बताया था तीन बैड वाले का । हम पैसे जमा कराने होटल में गये तो मैने उस लडके से उसके भाई के बारे में पूछा और उसे बताया पिछले साल के रूकने के बारे में । वो लडका जिसका नाम प्रमोद था खुश हो गया और बोला कि आप इस बार भी यहीं रूको और उसने हमें 3 बैड का बेहतरीन और बडा रूम सिर्फ 600 में दे दिया । हमें इससे ज्यादा और क्या चाहिये था । कमरे में जाकर सामान रखा और सो गये ।

सुबह उठकर सबसे पहले सामान की अलट पलट की । मै घर से ट्रैक में काम आने वाला सामान लेकर चला था जैसे बिस्कुट के पैकेट , सूप के पैकेट , चीनी , चाय , भुने चने , रेवडी , और भी काफी सामान । इनमें से केवल चने बिस्कुट और रेवडी रख लिये बाकी सब हमें जरूरत नही थी । प्रमोद ने हमें रात को ही पर्ची दे दी थी प्रशांत के नाम लिखकर जिसे हमें उपर जाकर दिखाना था । उसके बाद हमने अपना बाकी सामान गाडी में रख दिया जो होटल के बाहर खडी थी । यहां से हम बराबर में ही मौजूद दुकान पर गये जहां नाश्ते के लिये परांठे बनाने का आर्डर दे दिया । ये दुकान रात वाली नही थी और अभी 7 बजे भी यहां पर किसी के पास उबले आलू नही थे इसलिये हमें एक घंटे का समय दिया गया परांठो के लिये ।

आलू उबलकर परांठे बनने की प्रक्रिया के दौरान हमने कुछ सामान खरीदा । मेरे पास चश्मा नही था और बर्फ में चश्मा जरूर चाहिये । दस्ताने भी मै नही ला पाया था और वो भी यहां पर ठीक मिल गये । 6 परांठे बंधवा लिये और ​हम चलने ही वाले थे कि मुझे दुकान पर पिछले साल हर की दून यात्रा में ओसला गांव के बलबीर मिल गये जिनके घर पर हम रूके थे दो रात । ये सुखद आश्चर्य था । मेरे बताने के बाद वो पहचान गये और हमने एक फोटो लिया । वो खच्चर चलाते हैं ओसला से यहां पर आकर और आज भी वो सामान लाने के लिये जा रहे थे केदारकांठा बेस कैम्प । हमने उन्हे कहा कि हम साथ चलेंगें पर हमें परांठो के चक्कर में काफी देर हो गयी और वो निकल गये । अब हमें वैसे तो कोई दिक्कत नही थी क्योंकि हमारे पास सामान कुछ खास नही था पर रास्ता तो बिलकुल भी पता नही था । एक जगह पूछकर चल दियो तालुका वाली तरफ को । यहां पर पहले सौड गांव आता है जहां पर यूथ होस्टल के कैम्प लगे हैं । इस गांव को पार करके जब रास्ता मुडता है तो सीधे हाथ पर सीढियां बनी हैं यहीं से ट्रैक शुरू होता है ।

पूरे सांकरी गांव और आसपास भी काफी बर्फ पडी हुई थी । ट्रैक की सीढियो के थोेडी दूर बाद ही ये खत्म हो जाती हैं और बेतरतीब तरीके से पडे हुए पत्थर मिलने लगते हैं लेकिन फिर भी रास्ते को आराम से पहचाना जा सकता है । रात को बर्फ पडी थी और सुबह जो घोडे वाले गये थे उपर से कैम्प का सामान लाने उनकी वजह से रास्ता बन गया था । चढाई पर चढते समय और उतरते समय बर्फ का होना बहुत बडी समस्या होता है पर बर्फ वाले रास्ते पर सुबह से 12 बजे तक इतनी दिक्कत नही होती अगर धूप बहुत तेज भी हो तो । अगर धूप ना निकली हो तो दिक्कत और भी कम हो जाती है क्योंकि बर्फ ​कम पिघलती है । चारो तरफ बढिया नजारे थे और गजब का मौसम था । आने वाले बर्फ के तूफान के प्रति जो चेतावनी थी उसको यहां का खिला सूरज और मौसम चुनौती दे रहे थे । जब सबने अपने प्रोग्राम रदद कर दिये थे और पहाड के मित्रो ने भी ये कह दिया था कि ट्रैक नही कर पाओगे तब हमारा जाना ही हमें सुखद आश्चर्य से कम नही लग रहा था । सांकरी में भी ह​में कई लोगो ने कहा पर जब उपर एक कैम्प की बात पता चली तो हमारी हिम्मत बढ गयी थी । अब रास्ते में हमें कई और घोडे वालो ने और पार किया जो उपर से सामान वापसी लेने जा रहे थे । उनकी वजह से रास्ते को पूछने में कोई दिक्कत नही आयी क्योंकि सांकरी से उपर चलने के बाद उपर से आते एक नाले पर दो जगह पुल बने हैं पगडंडी के दांयी ओर । हम घोडे वालो की वजह से बांयी ओर ही चलते रहे । हो सकता है ये रास्ते भी इसी में मिलते हों और हो सकता है कि इधर उधर जा रहे हों तो यहां पर भटकने की गुंजाइश हो सकती थी पर हमें बताने वाले मिल गये ।


दो किलोमीटर तक लगातार चढते रहे और जंगल से निकलकर एक खुला मैदान आया जहां पर दो टैंट लगे थे । ये एक बुग्याल की तरह था जिसमें जंगल के बीच में खुला मैदान था । चाय की दुकान पर राकेश भाई पहले ही पहुंच चुके थे और चाय बनवा भी दी थी । हम तीनो में राकेश सबसे तेज था और मै सबसे धीमा । मेरी चाल बहुत मंदी ही रहती है या आप कह सकते हो कि मै रखता हूं ऐसी ही चढने और उतरने दोनो में । जाट देवता चाय नही पीते इसलिये हमने ही पी और साथ में परांठे भी खाये । चाय वाला मोदी का कटटर समर्थक था और उसकी बाते सुनना बडा मजेदार था । उसका परिवार भी यहां पर उसके साथ था । यहां से हम उपर की ओर चले तो दो किलोमीटर तक और लगातार ही चढाई थी । घने जंगल में बर्फ भी ज्यादा थी और धूप बिलकुल नही । ताजी बर्फ पर कच कच की आवाज जूतो से निकलती थी । अब हर मोड पर एक या दो मिनट सुस्ताना पड रहा था । 9 बजे हमने सांकरी के मोड से ट्रैक पर कदम रखा था । 11 बजे हम चाय की दुकान पर थे और साढे 12 बजे हम जुडा का तालाब पहुंच गये थे । जुडा का तालाब से पहले एक और खुला सा मैदान आया तो हम उसे ही जुडा का तालाब सोच रहे थे । यहां पर कैम्प आदि भी लगे थे जो अब उखाडे जा रहे थे । जब थोडी और दूर चलकर जुडा का तालाब पहुंचे तो यहां पर काफी लोग बैठे थे । उनसे बात करके पता चला कि वे सब यूथ हास्टल के पैकेज में आये थे और रात जुडा का तालाब पर रूके थे । ये उनका आखिरी बैच था और इसके बाद के सब रदद कर दिये गये हैं । इन लोगो को भी बेस कैम्प ले जाने के लिये भी मना कर दिया गया था केदारकांठा पीक की तो बात ही दूर की है ।


अब इन लोगो में से कुछ उत्साही लोगो ने जिद की तो एक गाइड उन्हे लेकर बेस कैम्प तक जायेगा और उसके बाद हरगांव नाम का कोई पडाव है वहां पर रात को रूकेंगें । ये लोग जो यहां पर थे बडे उदास थे कि केदारकांठा की चोटी नही कर पाये । इनका गाइड भी इन्हे हरगांव में ही रात को रूकवायेगा और कल सुबह ये सब वापिस सांकरी जायेंगें । जितने दिन के लिये आये हैं उतने तो पूरे करने ही हैं चाहे टैंट में रूक कर की पूरे करने पडें । इनके गाइड से जाट देवता की बात हुई तो उसने रास्ते के बारे में बताया कि जुडा का तालाब से उपर चढते ही सीधे हाथ को उपर चढना है । नीचे को गये तो हरगांव पहुंच जाओगे । उसके बताने से काफी फायदा हुआ वरना हम गारंटी से भटक गये होते क्योंकि अक्सर अकेले और बिना गाइड के आदमी सरल रास्ता चुनने की कोशिश करता है । एक समतल सा और एक चढाई वाले रास्ते में से समतल की तरफ को जाना पसंद करेगा । जुडा का तालाब से एक किलोमीटर के करीब खडी चढाई थी जबरदस्त और उसके बाद आधा किलोमीटर समतल सी । इस समतल से रास्ते से बेस कैम्प दिखने लगा था और थोडी देर बाद हम बेस कैम्प पहुंच गये थे ।

सांकरी 1920 मीटर की उंचाई पर है जबकि चाय वाले की दुकान को फोन के जीपीएस ने 2450 मीटर पर बताया । जुडा का तालाब पर उंचाई 2786 मीटर थी और बेस कैम्प पर 3029 मीटर । इस हिसाब से 1100 मीटर की चढाई हम चढ चुके थे अधिकतम 6 किलोमीटर के अंदर । 9 बजे चलकर हम 2 बजे बेस कैम्प में पहुंच गये थे यानि 5 घंटे में । जुडा का तालाब पर एक पत्थर पर बेस कैम्प ढाई किलोमीटर लिखा था जबकि नेट पर जो दूरियां दिखाते हैं वे सांकरी से जुडा 4 , जुडा से बेस कैम्प 4 और बेस कैम्प से पीक 4 किलोमीटर दिखाते हैं । यहां हमारे मेजबान जो कि रोज आते जाते हैं उन्होने बताया कि जुडा 4 , जुडा से बेस कैम्प 2 और बेस से पीक साढे 5 किलोमीटर है । मै डिस्टेंस्ट कैलकुलेटर चलाना भूल गया था वरना दूरियां भी सही बता देता आपको । यहां पर मै आपको समय के हिसाब से बता सकता हूं कि दो घंटे में यानि सांकरी से चाय की दुकान का सफर हमने किया । वहां से जुडा डेढ घंटा और जुडा से बेस डेढ घंटा हमें लगा । सांकरी से ट्रैक का शुरूआती मोड आधा किलोमीटर के करीब भी मानें तो हमें ढाई किलोमीटर चाय की दुकान और जुडा तक दो और किलोमीटर लगा । बेस कैम्प दो किलोमीटर जुडा से यानि बेस कैम्प सांकरी से साढे 6 किलोमीटर के करीब है ।



Kedarkantha Tadkeshwar-



Kedarkantha trek
पूरे जूम से दिखता उपर चोटी पर एक मकान
जाट देवता पहाडो की नाप लेते हुए
हर की दून को जाने वाला रास्ता जो तालुका तक गाडी का है
Kedarkantha trek
Kedarkantha trek
Kedarkantha trek
Kedarkantha trek
Kedarkantha trek
पहला पुल रास्ते पर
Kedarkantha trek
दूसरे पहाड पर दिखती बर्फ
सांकरी से थोडा उपर ही झौंपडी सी बनी हैं
इस पुल के बांये को ही गये हम इसे पार नही किया
संघर्ष है पेडो का घूप से
बुग्याल में चाय की दुकान
राकेश भाई मस्ती के मूड में
दोनो वीर जवान अपने पथ पर अग्रसर
kedarkantha trek
चाय की दुकान को पीछे छोडते हुए
सांकरी के उपर साइड की पहाडियां
हर की दून की साइड की पहाडियां । बांये हाथ हर की दून और दांये रनिसारा लेक
अपना भारत किसी से कम नही सुंदरता में
अपना भारत किसी से कम नही सुंदरता में
kedarkantha trek
जुडा का तालाब और यूथ हास्टल का ग्रुप
Juda ka talab
Kedarkantha trek
Kedarkantha trek
बेस कैम्प केदारकंठा
Base camp kedarkanth

COMMENTS

BLOGGER: 11
  1. प्रकृति की खूबसूरती की बडी सुन्दर चित्र दिखाए है । आगे की यात्रा वृत्तांत की प्रतिक्षा मे ।

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  2. तस्वीरे बेहतरीन है। वाह

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  3. तस्वीरे बेहतरीन है। वाह

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  4. बहुत ही शानदार फोटोग्राफी। प्रकृति का मनमोहक चित्र।

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  5. बढ़िया रोमांचक यात्रा रही ये तो मनु भाई....��
    तस्वीरें भी बहुत खुबसूरत है....��

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  6. बढ़िया रोमांचक यात्रा रही ये तो मनु भाई....��
    तस्वीरें भी बहुत खुबसूरत है....��

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  7. Waah kya khoobsoorat nazaare hain...dekh dekh ke mann hi na bhare!
    Beautiful!

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  8. उनका जानकारी ! अमरनाथ यात्रा से आने के बाद केदारकंठा की ट्रेकिंग तय है ! वक्त बहुत कम है और काम अधिक है पहाडों से इश्क की खुमारी अब चरम सीमा को पार कर गई है ! साथ चले तो हमारा सफर शानदार रहेगा नही तो अकेले है अकेले चलना पडेगा !इतनी खूबसूरती से अब दूर नही रह सकते है हम !

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  9. हम भी आ रहे हैं केदारकंठा... अभी पिछले साल मोरी तक देखा था, सँकरी सुना था... आपके इस यात्रा वृतांत से तस्वीर काफी कुछ साफ हो गई... हार्दिक आभार...👍💐

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TravelUFO । Musafir hoon yaaron: केदारकंठा ट्रैक , जुडा का तालाब और बेस कैम्प
केदारकंठा ट्रैक , जुडा का तालाब और बेस कैम्प
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TravelUFO । Musafir hoon yaaron
https://www.travelufo.com/2017/02/kedarkantha-trek-juda-talab-and-base.html
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