Disclaimer- This traveling content is published for educational purpose. पोस्ट पढने से पहले — माफ कीजिये मै इस पोस्ट को अश्लील तो नही कह स...
Disclaimer- This traveling content is published for educational purpose.
पोस्ट पढने से पहले — माफ कीजिये मै इस पोस्ट को अश्लील तो नही कह सकता क्योेंकि ये सब हमारे ही देश में मंदिरो पर उकेरी गयी प्रतिमाऐें हैं । इन्हे कैसे लिया जाये ये व्यक्ति के अपने नजरिये पर निर्भर करता है । ये हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है और अब भी है पर फिर भी महिलायें और बच्चे या जो एतराज मानते हों उनके लिये दूर रहना श्रेयस्कर है ।
पोस्ट पढने से पहले — माफ कीजिये मै इस पोस्ट को अश्लील तो नही कह सकता क्योेंकि ये सब हमारे ही देश में मंदिरो पर उकेरी गयी प्रतिमाऐें हैं । इन्हे कैसे लिया जाये ये व्यक्ति के अपने नजरिये पर निर्भर करता है । ये हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है और अब भी है पर फिर भी महिलायें और बच्चे या जो एतराज मानते हों उनके लिये दूर रहना श्रेयस्कर है ।
मध्य प्रदेश के भ्रमण के दौरान अभी तक हम बारिश से सुरक्षित थे और घूम भी रहे थे । ओरछा , दतिया और जबलपुर के भ्रमण के दौरान बारिश की झलक ही मिली थी । उधर होटल के कमरे में टीवी देखने या अखबार पढने से ही पता चल रहा था कि बारिश ने इस साल हाहाकार मचा रखा है । बस किस्मत की ही बात थी कि कई जगह हम फंसने से बाल बाल बचे । जबलपुर में दो तीन दिन से मौसम खुला ही नही था पर हमारे पहुंचने के दिन एक दो बार ही हल्की बूंदाबांदी हुई । पूरा दिन जबलपुर में घूमने के बाद हम होटल में आकर कार्यक्रम बनाने लगे । अब हमें यहां से खजुराहो जाना था । खजुराहो जाने के लिये हमें सुबह सवेरे ट्रेन पकडनी थी और फिर बस से खजुराहो जाना था । जबलपुर से सतना के लिये पैसेंजर ट्रेन सुबह सवेरे जाती है और उससे हम सडक मार्ग के सफर से बच सकते थे । चार से पांच घंटे का सफर और उम्मीद थी कि सुबह ट्रेन खाली मिलेगी । सतना से खजुराहो के लिये बस पकड लेंगेें ।
सुबह सोकर उठे तो बारिश भयंकर हो रही थी । ऐसी बारिश में जायें कि ना जायें ये सोचकर परेशान थे । फिर मन बना ही लिया कि चलना है और होटल वालो से कोई आटो बुलाने को कहा । कहां तो हम 70 रूपये में यहां तक आये थे और कहां अब 130 में जाना पडा । स्टेशन पर ट्रेन आने में 5 मिनट ही थे ऐसे में टिकट लेकर लोगो से पूछते हुए भागना पडा कि ट्रेन कहां पर है । ट्रेन 4 नम्बर प्लेटफार्म पर आयी थी जिसके लिये ओवरब्रिज को होकर जाना था इसलिये और भी देर हो गयी । ट्रेन चल ही पडी थी जब हमने पकडी । अंदर देखकर हैरान थे क्योंकि भीड इतनी ज्यादा थी कि सांस भी ना मिले । सुबह के 5 बजे इतनी भीड क्यों थी इसका जवाब बाद में पता चला कि भारी बारिश ने प्रदेश में कई जगह सडके बंद करवा दी हैं और ऐसे में बस की जगह रेल यातायात ही चालू है । इस कारण भीड सामान्य से ज्यादा थी । बहुत देर तक हम खडे रहे और एक स्टेशन के बाद टीटी आया और उसने टिकट मांगना शुरू किया । टिकट तो सभी के पास थे पर जब उसने सीट आरक्षण बताना शुरू किया तो अपना दिमाग घूम गया । पैसेंजर ट्रेन में सीट आरक्षण । टीटी ने बताया कि जिसको सीट चाहिये होती है उसे पन्द्रह रूपये ज्यादा देने होते हैं वरना सीट खाली करनी पडेगी । शायद हम सैकेंड क्लास वगैरा में थे । यहां ट्रेन में ये हाल था कि सीट खाली करने को तो तैयार थे लोग पर पैसे देने को नही । हमारी लाटरी सी खुल गयी । हमने टीटी को फट से तीस रूपये दिये और खिडकी के पास की दो सीट ले ली ।अब कम से कम चार घंटे आराम से कट जायेंगें वरना खडे होकर ही जाना पडता ।
कटनी आने तक हम खडे ही थी । बारिश लगातार चालू थी । कहीं कहीं पर कम भी हो जाती थी पर खिडकी खोली नही जा रही थी क्योंकि पानी की बूंदे कपडो पर गिरती थी इसलिये शीशा बंद ही करना पडा । आसमान नीला और साफ था और चारो तरफ हरियाली या पानी दो ही चीज दिखायी दे रही थी । बारिश का रौद्र रूप दिख रहा था जब रेलवे ट्रैक के पास भी बडी बडी झीलनुमा हालत बनी हुई थी । मैहर या मययर में भीड बहुत कम हो गयी । शायद माता का दिन होने की वजह से लोग दर्शन करने के लिये आये थे । इस बीच हम भूख से भी बेहाल हो चुके थे क्योंकि आज सुबह मिलने वाला नाश्ता तो हमने कल ही खा लिया था और सुबह से भागमभाग में कुछ खा नही पाये । उपर से ट्रेन में कुछ बिकने आया नही । सतना में भी स्टेशन पर भीडभाड थी और बाहर निकलते ही सीधे आटो में बैठ गये । बस स्टैंड पर आये तो रीवा जाने वाली बस तैयार थी । अबकी बार मैने कमल सिहं को बोल दिया कि पहले खाना बाद में कुछ और । फिर भी बारिश को देखते हुए वहीं पर एक दुकान से चार समोेसे और कोल्ड ड्रिंक ले ली । अब शांति तो पड गयी थी पर खजुराहो पहुंचने के क्रम में हम बुरी तरह थक गये । मात्र सौ किलोमीटर के आसपास का सफर था जिसमें सतना से रीवा की बस में हम बैठे थे । इस रास्ते में पन्ना पार्क का काफी बडा हिस्सा आता है पर सडक की हालत खराब और उस पर गाडी वाला हर गांव में रोकता था ।
शाम के पांच बजे हम बमीठा पहुंचे । खजुराहो जाने के लिये बमीठा उतरना पडता है जो कि दस बारह किलोमीटर के करीब है खजुराहो से । सतना से जिस रोड पर हम आये वो बन रही थी इसलिये भी ज्यादा खराब हालात थे और उपर से बारिश ने कर दिये थे । बमीठा में बस से उतरे तो बारिश में ही उतरना पडा । इतनी तेज बारिश में एक चाय की दुकान पर शरण ली । जलेबियां देखकर मन आ गया तो खा डाली । बारिश को बंद ना होते देख खजुराहो के आटो में सवार हो गये । आटो वाले ने पूरी तरह ढक रखा था फिर भी हवा चलने पर पानी तो आ ही जाता था । बमीठा से खजुराहो की सडक बहुत ही बढिया बनी है । आज सुबह 4 बजे से चलकर शाम पांच बजे यहां पर पहुंचे जो कि करीब 300 किलोमीटर का सफर होगा और उसमें से भी दो तिहाई ट्रेन से किया गया । यहां पर कमल सिंह ने 5 स्टार होटल क्लार्क खजुराहो बुक किया हुआ था । पहली बार 5 स्टार होटल में रूकना था सो देखना चाहता था कि कैसा होता है । मेरे जैसे गरीब फक्कड आदमी को कहां 5 स्टार में रूकना नसीब होता है वो तो कमल सिंह इसी इंडस्ट्री से हैं और उन्हे कोई डील मिली आईबीबो से और कुछ उनका वालेट वगैरा का पैसा तो ये होटल मात्र 800 रूपये में बुक हो गया था ।
हम फिर भी पहले होटल में ना जाकर मंदिर समूह पर ही गये पर यहां पर समय खत्म होने वाला था और बारिश भी पड रही थी । हमारे 5 स्टार होटल में हमारा नाश्ता बुकिंग के साथ फ्री था यानि काम्पलीमेन्ट्री तो कमल भाई ने बोला कि होटल थोडा अलग जगह पर है तो वहां पर खाना खाकर ही जायेंगें । कमल भाई ने अपना मद्यपान किया और उसके बाद हम मारवाडी भोज होटल में खाना खाने के लिये गये । खाना बहुत स्वादिष्ट था और मै तो कहूंगा कि पश्चिमी मंदिर समूह के पास ही मौजूद इसी जगह पर खाना खाना चाहिये । उसके बाद कमल सिंह ने अपना रात का मदिरा सेवन का जुगाड भी लेकर बैग में रख लिया । होटल भले ही 5 स्टार हो पर एक भी पैसा अलग से नही देना था क्योंकि वहां पर खाना और हर चीज महंगी होती है ऐसा कमल भाई ने बताया ।
आटो करके होटल क्लार्कस खजुराहो पहुंचे और अपना कमरा लिया । कमरे के कुछ फोटोज लगा रहा हूं और साथ ही अगले दिन मंदिर में खींचे गये फोटो भी यहीं से शुरूआत कर दी है ।
mp tour-
जहां तक देखो सब पानी पानी |
बारिश के कारण सुहावना मौसम , बस से लिया गया फोटो |
एक गांव के पास बस से लिया गया फोटो |
Clarks khajuraho |
Clarks khajuraho |
Clarks khajuraho |
Clarks khajuraho |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
Khajuraho erotic images |
खुजराहो के मन्दिर पर यह मूर्तियां क्यो बनाई गई?
ReplyDeleteक्या जिसने इसे बनाया क्यो वह इस मन्दिर को कामुक मन्दिर बनाना चाहता था यहां उस काल में सैक्स पर इतना खुला पन था जो आज के काल में भी नही है?
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete