शौकिया घुमक्कडो , ब्लागरो , ग्रुप्स से विनती

हाल ही में घुमक्कडी के लिये गये एक ब्लागर के साथ जो हादसा हुआ उसने हम सभी को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है । हर हादसा जीवन में नयी सीख देकर...


हाल ही में घुमक्कडी के लिये गये एक ब्लागर के साथ जो हादसा हुआ उसने हम सभी को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है । हर हादसा जीवन में नयी सीख देकर जाता है यदि हम उससे लेना चाहें तो । इस बारे में पहले तो मै आजकल के चलन पर थोडा प्रकाश डालना चाहता हूं ।

घुमक्क्डी या पर्यटन तो पहले भी होता था जब इंटरनेट नही था पर इंटरनेट के आने के बाद इसमें कुछ नये आयाम जुडे तो साथ ही पर्यटन को नये पंख लगे । पहले घूमने की चाह रखने वाले लोगो को अक्सर अपने आस पास में अपने जैसे लोग ढूंढने में दिक्कत आती थी पर इंटरनेट ने सब बदलकर रख दिया । लोगो ने इंटरनेट पर अपने अनुभव लिखे ब्लाग , फोरम , सोशल मीडिया आदि के माध्यम से जिससे दूसरो ने नयी नयी जगहो को देखा और लेखको के अनुभव का फायदा उठाकर वे भी घूम आये । इसी बात से प्रेरित होकर फेसबुक से लेकर अन्य माध्यमो तक में हजारो लाखो ग्रुप बन गये । उन ग्रुप्स में भी अलग अलग विषय हैं । घुमक्कडी में मोटरसा​ईकिल वालो के , पैदल वालो के , फोटोग्राफरो के और किसी स्थान विशेष जैसे कि लददाख क्षेत्र के नाम के समूह हैं । कुछ लोग तो घूम नही पाते फिर भी इन समूहो से जुडे हैं । कुछ पाठकगण अंग्रेजी और हिंदी समेत सभी भाषाओ में लिखने वाले यात्रा ब्लागरो से जुडे हैं ।

जैसा कि मैने उपर बताया कि सबसे बडा फायदा ये है इन समूहो , फोरम अथवा ब्लागरो का कि पाठक इन्हे पढकर , इनसे राय लेकर उन जगहो पर जहां पर पहले गाइडो या संघठित लोगो का एकाधिकार था वहां पर भी लोग बिना किसी पैकेज के पहुंचने लगे । इससे बजट में कमी हुई और जब भी कम बजट में आप किसी जगह को देख आते हो तो अगला कार्यक्रम भी बनना तय हो जाता है । अगर एक बार में ही मोटी रकम खर्च हो जाये तो कुछ दिनो तक उसे साधने के लिये चुप बैठना पडता है । ज्यादातर इंटरनेट पर इन सब साधनो से नुकसान किसी को नही होता है पर कुछ ऐसे भी कारण निकलकर आये हैं जिनसे नुकसान और हादसे दोनो हो रहे हैं ।

वजह ये है कि इन समूहो , ब्लागरो या फोरम ने पर्यटन के क्षेत्र में दिये जा रहे पैकजो से इतर कम पैसो में लोगो को पर्यटन कराना शुरू कर दिया है । अकेले लददाख को मोटरसाईकिल पर घूमने के लिये फेसबुक पर हजारो समूह हैं जो कई कई बैच लेकर जाते हैं । निश्चित रूप से यात्रा वेबसाइटो या लोकल पर्यटन एजेंटो के मुकाबले इन समूहो में पैसा कम लगता है पर सुरक्षा के नाम पर इनमें बहुत खामिया हैं । फेसबुक पर बने इन समूहो में से अधिकतर कहीं भी पंजीकृत नही होते बस फेसबुक पर पेज बनाया , लोगो को जोडा और फिर समूह का नाम लिखकर पहले छोटी और उसके बाद बडी यात्राओ पर निकल पडे । ऐसे ही कई समूहो से मेरी मुलाकात लददाख यात्रा में हुई । इनमें से कई तो ऐसे हैं जो पहली बार अपने साथ दो चार लोगो को लेकर टेस्ट राइट पर निकलते हैं और अगली बार ही बडे बडे समूह को लेकर जाने लगते हैं । अक्सर इन लोगो के साथ लोकल का कोई भी बंदा तक नही होता है । ऐसा ही कुछ ब्लागर ने भी शुरू कर दिया है और फेसबुक से लेकर व्हाटसएप तक समूह बनाकर पैकेज बेचने शुरू कर दिये हैं । ब्ला​गरो के संबंध में एक बात और उल्लेखनीय है कि लोग अक्सर घुमक्कडो के घूमने की शैली , लिखने की शैली और अन्य कई बातो से बहुत प्रभावित रहते हैं और अकसर कोशिश करते हैं कि उनके साथ कहीं घूमने को मिल जाये और इस तरह से घूमना तो हो ही साथ ही ब्लाग में भी स्थान मिल जाये ।
मेरे पास बहुत सारे संदेश इसी तरह के आते हैं कि अगला कार्यक्रम जब भी बनाओ तो बताना जरूर ।


ऐसा नही है कि ये सब लिखते समय मै दूध का धुला हुआ हूं और मै अपने साथ किसी को नही लेकर गया हूं । मै स्वयं सैकडो लोगो से इस आभासी दुनिया में मिला पहली बार और वो भी सीधे यात्रा की शुरूआत स्थल पर । उससे पहले हम लोग सिर्फ फोन या मैसेज के माध्यम से ही बात कर रहे थे । कई लोगो से आभासी दुनिया में मिलते मिलते तो सालो हो चुके थे तब जाकर हम साथ साथ यात्रा पर गये ।



फिर क्या हुआ ? बहुत सारे लोग अच्छे मिले और उनसे जिंदगी भर की मित्रता हो गयी और बहुत से लोगो से यात्रा से वापस आने के बाद बातचीत भी बंद । ऐसा हुआ क्योंकि हमारे यहां एक कहावत है कि दूर के ढोल हमेशा सुहावने होते हैं । हम फेसबुक या अन्य माध्यमो पर मिलते हैं तो एक दूसरे के आचरण के बारे में ना बात करते हैं ना महसूस कर सकते हैं । यात्रा पर जाने के बाद साथी के व्यक्तित्व का एक एक पहलू सामने आता है जिसमें से कुछ बाते आपको पसंद होती हैं और कुछ नही । लंबी यात्राओ में अक्सर चि​डचिडापन आ जाता है क्योंकि घर से बहुत दूर बहुत दिनो तक रहने पर अजीब सी भावना स्वभाविक होती है पर पहली ही बार में लंबी यात्रा कर रहे लोग इसे पचा नही पाते । सप्ताहांत से अलग ज्यादातर यात्राऐं पांच से दस ​दिन की होती हैं । ट्रैक भी अक्सर पांच छह दिन से कम नही होते हैं इसलिये इतने दिनो में सहयात्रियो में अक्सर छोटी मोटी बातो पर बहसबाजी या झगडा आम बात है । लेकिन इन सबमें एक ही व्यक्ति है जिसका बर्फ से भी ज्यादा शांत होना जरूरी है और वो है वो व्यकित जो समूह को लेकर जा रहा है । अगर उस व्यक्ति में अहंकार होगा या साथियो की बात को ना सुनने का गुण होगा तो निश्चित ही उस समूह में यात्रा करके आये लोगो को कडवा अनुभव जीवन भर याद रहेगा । किसी यात्रा में जाने पर कितना पैसा लग रहा है इस बात से ज्यादा महत्वूर्ण है कि जो लेकर जा रहा है उसका व्यवहार कैसा है और उस यात्रा में सुरक्षा के क्या इंतजाम है । आपात स्थिति में वो यात्रा प्रबंधक क्या कर सकता है और किसी दुर्घटना की स्थिति में आप उसके खिलाफ क्या कार्यवाही कर सकते हैं

जैसा कि मैने उपर बताया कि अक्सर ऐसे शौकिया निकल पडने वाले समूहो या यात्रा करवाने वालो के पास ऐसा कोई इंतजाम नही होता तो जब कभी कोई हादसा होता है तो वो उस पूरे समूह पर जिंदगी भर के लिये ना भूलने वाला कटु अनुभव हो जाता है और आप इन पर कोई दावा भी नही कर सकते हैं क्योंकि कानूनन ना तो वे पंजीकृत हैं और ना ही वे आपको आपके दिये गये पैसे की कोई रसीद देते हैं । जब तक ये सब बढिया चल रहा है ठीक है और जब ये बेकार होगा तो जो इसमें फंसेगेें वो बहुत बुरे दौर से गुजरेंगें । आजकल युवाओ में भी ये प्रवृत्ति सबसे ज्यादा बढ रही है कि किसी एक ने सोशल मीडिया पर डाला कि मै फलां जगह घूमने जा रहा हूं और आप मैसेज की बाढ देखेंगें । कई लोग सिर्फ तारीख पता करेंगें और खर्च और उनके मिलान होते ही वे भी चल पडेंगें । इस सारी प्रक्रिया में सुरक्षा की बात आती ही नही है और जैसा कि मैने अपनी पहली पोस्ट में लिखा था कि ना ही इसमें साथी के बारे में सही तरीके से जानने और आपात स्थितियो का इंतजाम करने के बारे में सोचा जाता है ।

इस सबसे अलग एक बहुत ही जरूरी बात है जो कहीं भी नही है और वो है नैतिकता
समूह में जा रहे लोगो के साथ , चाहे वो पैसे देकर जा रहे हों या अपने अपने खर्च से , अगर कोई हादसा होता है तो साथ चल रहे लोग कैसा व्यवहार करेंगें । हर किसी को अपने घर पहुंचने की जल्दी है । हर कोई यात्रा को पूरा करना चाहता है और मजा लेना चाहता है । घर से इतनी दूर और इतना पैसा खर्च करके आये हैं तो साथी की बीमारी से वो मजा खराब हो सकता है इसलिये कुछ लोग ऐसी स्थिति में गैरो से भी बदतर व्यवहार करते हैं । जिसकी तबियत खराब होती है उसके साथ अक्सर उसके ​परिवार या वास्तविक दुनिया का दोस्त ज्यादातर साथ भी देता है पर आभासी दुनिया में लोग आंखे जल्दी फेर लेते हैं क्योंकि उन्हे घर जाकर किसी को जवाब देना नही होता है । ऐसा मै सभी के लिये नही लिख रहा हूं पर ये भावना प्रबल होती है क्येांकि अगर साथी नाराज भी हुआ तो ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगा । आज के बाद सोशल मीडिया पर कनेक्शन खत्म हो जायेगा बस । कुछ ना बिगड पाने की भावना ज्यादा रहती है इसलिये लब्बोलुआब ये है कि अगर आप ऐसे किसी आभासी दुनिया के मित्रो के साथ जा भी रहे हैं तो आप कम से कम दो लोग तो एक साथ के हों और उसके बाद भी ऐसी किसी आपात स्थिति की चर्चा जरूर करें जाने से पहले ।


अब एक बात उन सभी लोगो से जो फेसबुक , व्हाटसएप या ब्लाग के माध्यम से ऐसी यात्राऐं आयोजित करते हैं फिर भले वो पैसे लेकर हो या साझेदारी में बिना किसी लाभ के हो पर आपकी इतनी बडी जिम्मेदारी बनती है जितनी की एक पंजीकृत यात्रा एजेंसी की । किसी हादसे की स्थिति में आप भी इतने ही कसूरवार हैं भले आप रसीद दें या ना दें । आप अगर एक सुनियोजित यात्रा कर रहे हैं तो उसमें एक अतिरिक्त दिन या समय जरूर रखें । ऐसी किसी आपात स्थिति से निपटने के लिये आपके साथ ऐसे साथी भी होने चाहियें जो बीमार या चोट लगे साथियो की देखभाल के लिये या उन्हे वापस सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिये वापस जा सकें । कई बार पूरी यात्रा निरस्त करने की जरूरत नही होती बस थोडी सी सूझबूझ से और साथियो के सहयोग से नैतिकता के नाते यात्रा का लक्ष्य मुख्य ना हो आपके लिये बल्कि सभी का सुर​क्षित घर पहुंचना जरूरी मुख्य लक्ष्य हो । किसी भी आपात स्थिति में आपके पास आपके साथ चल रहे साथियो के घर परिवार के नम्बर होने जtravel bloggers groups please stay safe रूरी हैं ताकि आप उन्हे पल पल की जानकारी देते रहें ।

उन सभी लोगो से जो अपने साथ किसी को भी लेकर जा रहे हैं निवेदन है कि कोई आपके भरोसे सिर्फ यात्रा ही नही कर रहा अपितु उसका परिवार भी आपसे बहुत आशाऐं रखता है । यदि आप इस जिम्मेदारी के बोझ को उठा सकते हैं तो इस कार्य को करिये अन्यथा एकला चलने में ही भलाई है ।

कुछ और बाते जो इस तरह के समूह में यात्रा करते हैं उनके लिये —

हमेशा समूह से अलग होने की दशा में क्या होगा इसका भी विकल्प रखें
खर्च अगर सामूहिक है तो उसमें शुरूआत से ही साझा करें और हिसाब खुद भी रखें
चलते समय हमेशा रास्ते में पड रहे चिकित्सा सहायता स्थल को ध्यान में रखें क्योंकि यहां पर वापस आना पड सकता है ।


आपका भी कोई सुझाव है तो साझा करें कमेंट बाक्स में और यदि आपको पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर करें कृपया कापी पेस्ट करके सोशल मीडिया पर ना डालें











COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. अच्छी और सच्ची पोस्ट

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  2. वाकई शानदार लेख है। हर पहलु को छुआ है आपने।

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  3. ये सब जमाने के अनुसार सही भी और आवशयक भी लेकिन अनजान लोगों से मिलना रोमांच साहस द्रढता आत्मविश्वाश आदि बहुत सी बाते हैं जिनको सोच कर ही मन रोमांचित हो जाता है दुर्घटना होना एक सामान्य नियम है और सतर्कता दूसरा नियम या पहला भी हो सकता है जीवन अपने आप में ही अनिश्चितता से भरा रहता है फिर भी यही सही है की अनुभव बोलता है और मैं अभी अनुभव में कच्चा फिर भी जो मन में आया बोल दिया :- केयर नमन

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  4. मनु भाई ये सबसे बेहतर पोस्ट है आपने सिक्के के दूसरे पहलू पर प्रकाश डाला है। बिना संशय के घुमक्कडी एक सुखद पहलू है और जीवन मे हमे जरूर इस दुनिया और उसके नजारो को देखना चाहिए पर खुद की सुरक्षा सबसे जरूरी है। आजके इस डिजिटल युग मे लोग जहा असली लोगो से दूर जा रहे है और आभासी लोगो को अपना मान बैठे है आपकी पोस्ट उनके लिए आँख खोलने बाली है।

    आपने इस पोस्ट मे किसी ब्लॉगर के साथ हुए हादसे का जिक्र किया है कृपया उस हादसे। पर थोड़ा प्रकाश जरूर डाले।

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TravelUFO । Musafir hoon yaaron: शौकिया घुमक्कडो , ब्लागरो , ग्रुप्स से विनती
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