गुमरी में भी पर्यटक खेल रहे थे बर्फ से । मैने मिश्रा जी से कहा कि वीडियो बना लो आप पीछे बैठे हो तो इस जगह का सदुपयोग करो । उन्होने म...
गुमरी में भी पर्यटक खेल रहे थे बर्फ से । मैने मिश्रा जी से कहा कि वीडियो बना लो आप पीछे बैठे हो तो इस जगह का सदुपयोग करो । उन्होने मेरे मोबाईल से वीडियो बनानी शुरू कर दी और साथ ही कमेंट्री भी शुरू कर दी । मिश्रा जी को समझाया कि ये कमेंट्री के साथ वाला वीडियो अपने घर में देखने के लिये तो ठीक है पर हम इस वीडियो को यूटयूब पर डाल दें तो वहां पर ये बेकार है । लोग वीडियो तो देखना पसंद करेंगें पर आपकी कमेंट्री से चिढ सकते हैं । बडा मना करने के बाद उन्होने कमेंट्री तो बंद कर दी पर कई वीडियो उन्होने तब भी बनाये जब हम गाना गाते हुए जा रहे थे । कोई गाना अगर मिश्रा जी शुरू कर देते तो फिर मै भी उसमें साथ देने लगता ।
शुरू का दिन था तो मिश्रा जी को कोई दिक्कत नही हुई पर दूसरे दिन मिश्रा जी ने दिक्कत बतानी शुरू कर दी थी । इसके बाद मैने उन्हे समझाया कि दो या तीन दिन ही पिछवाडा दुखता है पर उसके बाद सुन्न हो जाता है महसूस ही नही होता । आज तीसरा दिन है और मिश्रा जी की शिकायत कुछ कम हो गयी है । गुमरी में आर्मी एरिया होने के नाते मैने मिश्रा जी को मना किया कि वीडियो मत बनाना पर उन्होने बनायी । मिश्रा जी घुमक्कड तो है हीं पर साथ ही चुलबुले किस्म के भी हैं । गंभीरता छूकर निकल गयी है इसलिये कई मौको पर उन्हे कहना पडता था कि मिश्रा जी अपने जोश के साथ मेरा होश मिला लीजिये ।
खैर जीरो प्वांइट पर बुलेट वाले भी रूके हुए थे और मिश्रा जी का भी मन था इसलिये हम रूक गये । मिश्रा जी का मन तो नीचे बर्फ में उतर जाने का था पर मैने सख्त मना कर दिया कि आज कारगिल पहुंचना है तो हमें ज्यादा देर तक नही रूकना है । दो दिन उमस और गर्मी में बीते थे । श्रीनगर से माहौल ठीक हुआ और आज तीसरे दिन जीरो प्वांइट पर आकर ठंड महसूस हुई । अभी तक मैने हाथो में दस्ताने नही पहने थे । यहां मैने दस्ताने निकाले प्रो बाइकर वाले । ये 250 रूपये के लिये थे करोलबाग से ही । ये असली नही होते उसकी नकल होते हैं पर यहां पर पहनते ही पता चला कि ये लददाख के लिये नही हैं । प्रो बाइकर वाले दस्तानो में हवा लगती है तो यहां तो ये किसी काम के नही । शुक्र ये था कि मै दूसरे गर्म दस्ताने भी लाया था और उन्हे ही पहन लिया । ये वाले मिश्रा जी को दे दिये ।
बुलेट वाले कुछ भाईयो से परिचय हुआ इस बीच । उन्होने हमारे फोटो भी लिये और हमारे कैमरे से हमारे लिये भी । जीरो प्वांइट पर हम ढाई बजे थे और अगले एक घंटे में चेकपोस्ट तक पहुंचे । जब तक हम जीरो प्वांइट पर रूके तब तक पीछे वाले सारे आर्मी के ट्रक और गाडियां हमें पार कर गयी थी । आगे चलकर सडक के दोनो साइड बर्फ थी और बीच सडक में पानी भरे गढढे पर ये शुक्र था कि रोड ना तो ज्यादा घुमावदार थी और ना चढाई इसलिये हम दोबारा से आसानी से सभी गाडियो को पार करते गये ।
गुमरी से 11 किलोमीटर आगे एक पुलिस चैक पोस्ट आती है । यहां पर हाथ देकर रोक लिया गया । यहां तक सडक ठीक ठाक थी और यहां से आगे करीब दो किलोमीटर बाद एक गांव आता है वहां तक तो बढिया वाली थी बिलकुल सीधी । गांव क्या आया उसके बाद तो तारकोल की सडक खत्म हो गयी और कच्ची रोड आ गयी । ये कच्ची रोड द्रास तक रही । और समय भी बहुत लगा इसकी वजह से । चेकपोस्ट से एक घंटा लगा द्रास तक पहुंचने में । साढे तीन बजे हम चेकपोस्ट पर थे जबकि साढे चार बजे द्रास पहुंचना हुआ । एक बात और कि द्रास से पहले एक जगह आती है Pandrass जिसके नाम के आगे से अक्सर मील के पत्थरो पर pan मिटा हुआ था और पहले तो हम यही सोच रहे थे कि द्रास अब 5 किलोमीटर है पर Pandrass जाकर फिर से द्रास 10 लिखा आया तो दिमाग घूम गया
द्रास से कुछ पहले ही ठीक सडक दोबारा आयी और द्रास में हमने चाय की दुकान पर बाइक रोक ली । यहीं सामने बोर्ड लगा था कि द्रास दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा स्थान है । इस बोर्ड के पास जाकर फोटो खिंचवाया । चाय की दुकान पर एक बुढिया और बूढा बैठे थे । चाय बनवाई तो सामने रखे बडे बडे से बिस्कुट देखकर रोक नही पाया और उसके बाद तो कई सारे खाये गये । मिश्रा जी ने एक दो संभालकर भी रख लिये जो कारगिल में भी खाये । लेकिन भूख अभी शांत नही हुई थी क्योंकि खाना तो खाया ही नही था बस सोनमर्ग में चाय पकौडी खायी थी इसलिये खाने के बारे में पूछा तो बूढे व्यक्ति ने बताया कि सब्जी चावल बना है ।
सब्जी चावल मंगा लिया और दोनो ने वही खाया । मिश्रा जी ने एक बार और सब्जी मांगी तो बंदे ने पहले जितनी सब्जी पहले दी थी उससे भी ज्यादा अबकी बार दे दी । हम दूसरी प्लेट ले लेते पर एक प्लेट से ज्याद तो सब्जी ही थी सो दोनो का पेट भर गया । बिस्कुट के साथ साथ पेटीज भी यहां पर थी । यहां पर लोकल बेकरी है इसलिये ये सब चीज मिल रही थी । आसपास में काफी होटल दिख रहे थे यानि रूकने के लिये जगह की कमी नही थी । साढे चार बजे थे इसलिये एक बार को तो इरादा भी बना पर उससे भी ज्यादा जरूरी थी जानकारी कि उम्बा ला पास खुला है कि नही ।
हम जंस्कार घाटी जाना चाहते थे और इसके लिये दो रास्ते हैं । एक रास्ता जाता है कारगिल से सीधे जंस्कार जिसमें सांकू नाम की एक जगह पडती है जो कि कारगिल से 40 किलोमीठर दूर है लगभग । इसके अलावा एक रास्ता उन लोगो के लिये जो श्रीनगर की तरफ से आ रहे हैं वो अगर कारगिल ना जाना चाहें तो द्रास से उम्बा ला पास को पार करके सीधे सांकू पहुंचा जा सकता है । द्रास से सांकू सीधे 40 किलोमीटर है जबकि द्रास से कारगिल 60 किलोमीटर और वहां से सांकू 40 । इस हिसाब से कारगिल के 60 किलोमीटर एक्सट्रा पडते हैं लेकिन हमने यहां पर पहले दुकान वाले से पता किया तो उसने इशारे से बताया कि सामने दिख रहे पहाड पर ही उम्बा ला है और अभी बहुत बर्फ है । मशीन एक दो दिन में जाने की उम्मीद है । इसके बाद भी हमने एक दो गाडी वालो से पता किया तो उन्होने भी यही बताया । इसके बाद तो हमें कारगिल से ही जाना पडेगा ।
इस साल हम 21 मई को यहां पर आ गये जबकि हर साल ऐसा नही होता । इस साल 25 मई को रोहतांग के खुलने की संभावित तिथि बतायी जा रही थी जबकि हर साल जून के पहले या दूसरे हफते में ही खुल पाता है वो । हमें कई बाइकर मिले जो लेह से वापस आ रहे थे इसी रास्ते । पहली ही बार में जाओ और उसी रास्ते से वापस आना पडे ये मुझे बढिया नही लगता । इसलिये मै 20 दिन का कार्यक्रम बनाकर आया था ताकि वापसी मनाली से ही हो ।
Not found any postsVIEW ALLReadmoreReplyCancel replyDeleteByHomePAGESPOSTSView AllRECOMMENDED FOR YOULABELARCHIVESEARCHALL POSTSNot found any post match with your requestBack HomeSundayMondayTuesdayWednesdayThursdayFridaySaturdaySunMonTueWedThuFriSatJanuaryFebruaryMarchAprilMayJuneJulyAugustSeptemberOctoberNovemberDecemberJanFebMarAprMayJunJulAugSepOctNovDecjust now1 minute ago$$1$$ minutes ago1 hour ago$$1$$ hours agoYesterday$$1$$ days ago$$1$$ weeks agomore than 5 weeks agoFollowersFollowTHIS CONTENT IS PREMIUMPlease share to unlock