जोधपुर से चली हमारी ट्रेन ने सुबह ठीक 6 बजे जैसलमेर पहुंचा दिया । मै स्टेशन के बाहर निकला और किसी वाहन को देखने लगा । यहां पर एक दो गाडी और...
मै उसकी गाडी में बैठकर हनुमान चौक आ गया और यहां पर उसी गाडी वाले ने मुझे बता दिया कि सुलभ शौचालय भी यहीं पर है । आज मै ट्रेन में नही जा पाया था क्योंकि मेरी आंख तभी खुली थी । मै यहीं पर दस रूपये देकर फ्रैश हुआ और ब्रश आदि करके पास की ही एक दुकान पर चाय पीनेे लगा । मैने किले और दूसरी जगहो के बारे में थोडी मालूमात की । अन्य किलो की तरह जैसलमेर का किला नही हैै । ये किला अपने अंदर एक शहर को समेटे हुए है । किले से बाहर जैसलमरे नया बसा हुआ ही है पर बाकी हर चीज के लिये किले के अंदर ही जाना होगा । मुझे आज सुबह का सूर्योदय जैसलमेर का देखना था और उसके लिये सबसे बढिया जगह हमारे व्हाटसएप ग्रुप के मित्र अमित तिवारी जी ने गडीसर लेक बतायी थी । मैने एक दो आटो वालो से गडीसर लेक जाने के लिये पूछा तो एक आटो वाला मुझे 30 रूपये देकर वहां पर ले जाने के लिये तैयार हो गया और दस मिनट में उसने मुझे वहां पर छोड दिया ।
मेरे अलावा वहां पर कोई नही था और मैने एक साइट देखी जहां से सूर्योदय बढिया दिख सकता था । यहां पर से पूरी झील दिख रही थी और हल्की हल्की सी लालिमा छाने लगी थी आसमान में तो इससे अंदाजा सा होने लगा था कि सूरज यहीं पर सामने से दिखेगा । झील काफी बडी थी और इसके किनारे काफी मंदिर भी बने हुए हैं । यही नही इस झील के किनारे काफी घर भी बसे हुए हैं । थोडी देर बाद एक जोडा जो कि विदेशी थे वो भी यहां पर आ गये । मै और उस जोडे ने ही वो अदभुत सूर्योदय देखा जो कि लालिमा लेता हुए धीरे धीरे सूर्य को अपने प्रचंड रूप में ले आया लेकिन जब तक ये सब हुआ तब तक के क्षण बहुत हैरान करने वाले थे और मै फोटो पर फोटो खींचे जा रहा था । यहां तक कि कई सौ फोटोज में से इस पोस्ट में लगाने के लिये मुझे उन्हे छांटने में भी बहुत मुश्किल आयी पर उसके बाद भी मै ये कह सकता हूं कि इन फोटो में दिखायी देने वाला सूर्योदय असल में कैमरा कवर ही नही कर पाया है दस प्रतिशत भी ।
झील जैसा कि मैने बताया काफी लम्बे एरिया में फैली हुई है और एक तरफ तो वन भी नजर आ रहे थे । उस तरफ मुझे ऐसा लगा कि ज्यादा पानी होने पर वहां तक भी पानी हो जाता होगा । अभी तो पानी काफी कम था । अब तो झील के पास की दुकान भी खुलने लगी थी । उसके अलावा पर्यटको की एक दो गाडी आ गयी तो फिर वो शांति भी भंग सी हो गयी जिसका आनंद अभी तक मै और वो युगल ले रहे थे ।
अब पूरा सूर्योदय हो चुका था तो मै उस साइट से उतरकर झील के गेट पर आ गया और यहां से झील के एक तरफ का चक्कर लगाया । मंदिरो के आसपास काफी घाट भी बने हुए हैं तो यहां पर स्नान आदि भी काफी चलता होगा ।
कुल मिलाकर अविस्मरणीय अनुभव रहा यहां का और हर किसी को सलाह दूंगा कि जैसलमरे जाये तो गडीसर झील पर सूर्योदय जरूर देखे । शाम का सूर्यास्त सम के धोरो जितना ही आनंद यहां पर है । ज्यादा कुछ बताने से अच्छा है कि आप खुद फोटो देखकर अनुभव करें कि दस प्रतिशत में इतना है तो सम्पूर्ण में कितना होगा