अलवर के बाला किले से घूमकर हम दो विचार करने लगे । एक तो ये था कि हम यहीं कहीं अलवर में कमरा लेकर सो जायें । इसमें सिलीसेढ लेक पर देखा गया ए...
इसलिये मेरा मन था कि हम भानगढ की तरफ चलें पर समय शाम का हो चला था और उसके बाद रास्ता पहाडी जंगलो से होकर गुजरता था । हमने अलवर के बाद एक तिराहे पर रास्ता पूछा तो पता चला कि यहां से भानगढ करीब 100 किलोमीटर है और उसके लिये दो रास्ते हैं एक तो वही जिसको हम होकर आये सरिस्का की ओर जाकर और दूसरा था अजबगढ और टहला से होते हुए । मै हमेशा नये रास्ते को ही प्राथमिकता देता हूं इसलिये हम अजबगढ या राजगढ वाले रास्ते को चल दिये ।
इस रास्ते पर राजगढ तक बहुत बढिया रोड है क्योंकि ये मेंहदीपुर बालाजी जाने वाला हाईवे है । राजगढ से हम सीधे हाथ को टहला के लिये मुड गये । ये नेशनल हाईवे जितना चौडा तो नही था पर रास्ता सही था और ट्रैफिक भी कम था । यहां पर ही सूर्यास्त हो रहा था जिसके फोटो मैने पहली पोस्ट में दिये थे । उसके बाद एक उंची पहाडी को पार किया । यहीं से एक रास्ता सरिस्का अभ्यारण्य में से भी होकर जाता है पर उसको हम इसलिये नही जा सके क्योंकि उसके गेट के पास तक पहुंचते पहुंचते हमें 5 बज जाने थे और उसके बाद वहां की परमिशन नही थी
यहां पर टहला नाम का गांव आता है जहां पर रास्ता करीब 5 किलोमीटर तक खराब था । इसके बाद नारायणी धाम आया जहां से भानगढ करीब दस किलोमीटर रह जाता है पर हम चलते रहे और उसके बाद गोला का बासा पहुंच गये । यहां से भानगढ 3 किलोमीटर है । राजस्थान के ग्रामीण अंचल में इतना बडा गांव था भानगढ और जब यहां पर पूछा कि रूकने की जगह है क्या तो पता चला कि यहां पर कोई रूकने की व्यवस्था नही है । एक दुकान वालेे ने जरूर कहा कि हम बना रहे हैं और दुकान के पीछे के कमरो में आप रूक सकते हो पर यहां पर नीचे जमीन पर गददो पर सोना होगा और टायलेट के लिये बाहर जाना होगा ।
साला रात को टायलेट आया तो अनजान और सुनसान जगह में बाहर कहां जायेंगें तो हमने यहां पर रूकने का इरादा छोड दिया । पर एक काम कमल भाई ने कर लिया नये साल की पार्टी का कि यहां पर ठेके से रात का कोटा लेकर गाडी में रख लिया । हमने गाडी अंधेरे में ही वापस मोड दी नारायणी धाम के लिये । नारायणी धाम यहां का प्रसिद्ध मंदिर है और बहुत मान्यता रखता है इसलिये यहां पर रूकने के लिये दो तीन होटल बने हुए हैं । इन्ही में से एक में हमने गाडी रोककर कमरे के लिये पूछा तो 500 रूपये बताया । हमने गाडी अंदर कर ली । खाने के लिये भी यहीं होटल में ही सुविधा थी पर सादा खाना केवल तो हमने उसे ही आर्डर कर दिया । कमरा एक ही लिया था और सामान अंदर रखके थोडा रिलेक्स हुए । कमल भाई को तो आज पूरी रात पार्टी करनी थी क्योंकि नये साल की रात थी और केशव भाई और मै पूरी रात जागे थे और पूरा दिन इसलिये हमें सोने की थी । मै तो असल में सो गया बिना खाना खाये ।
इस बीच कमल भाई होटल मालिक और उनके बंदो के साथ बिजी हो गये । उन्होने अपने नये साल को मनाने के लिये बाहर आग जलायी हुई थी और वहीं पर साउंड सिस्टम लगाकर तेज आवाज में गाने बजा रखे थे । कमल भाई और उनकी पार्टी बढिया जम गयी और केशव भााई ने भी वहां पर पीने का काम कर लिया । उसके बादकेशव भाई कमरे में आये और मुझे जगाया कि खाना खा लो । पूरी तरह टुन्न उन्होने मुझे जगाया तो मै मना नही कर सका और एक रोटी ही खाकर फिर से सोने की कोशिश करने लगा । केशव भाई भी सो गये और थोडी देर में ही खर्राटे लेने लगे । मै भी सोने की कोशिश करता रहा पर आधे घंटे बाद ही देखा तो केशव भाई पलटे से खाने लगे बैड पर । उन्हे बहुत गर्मी लग रही थी अंदर से । ये असल में उल्टी की निशानी थी और जैसे ही उन्हे उल्टी आयी तो उन्होने मुंह मेरी ओर कर लिया यानि बेड पर को । मैने तुरंत उन्हे पलटा और उन्होने बैड के नीचे उल्टी कर दी जहां उनके जूते रखे थे ।
उसके बाद वो शांत हो गये और फिर से सो गये । चूंकि मै दीवार की ओर था और उन्होने जो उल्टी की थी वो मै देख नही पा रहा था तो मै भी आंख बंद करके फिर से सोने की कोशिश करने लगा पर एक घंटे तक नींद नही आयी और इस बीच फिर से दोबारा कांड हो गया । केशव भाई फिर से माहौल बनाने लगे और इस बार उन्होेने बैड पर ही ................
मै तो भाग खडा हुआ कमरे से और बाहर गाडी में जाकर लेट गया । कमल भाई ने मुझे गाडी में जाते देखा तो मै उन पर बरस पडा । कमल भाई ने काफी ले रखी थी पर वो अपने होश में थे और उन्होने मुझे कहा कि दूसरा कमरा लेते हैं पर मेरा तो किसी भी कमरे में जाने का मन नही था । मेरा ये लिखते हुए भी उस दिन को याद करके जी खराब हो जाता है । मैने कमल भाई को बता दिया कि कुछ देर मै गाने सुनूंगा और उसके बाद आउंगा कमरे में पर वो नही माने और जबरदस्ती मुझे दूसरे कमरे में ले गये । पहले कमरे से सामान लाने की किसी की भी हिम्मत नही हो रही थी । जो भी जाता उसे ही उल्टी हो जानी थी ।
खैर इस कमरे में काफी देर बाद यानि नये साल के आ जाने के बाद ही नींद आ पायी । सुबह सवेरे उठे तो देखा कि केशव भाई भी हमारे ही कमरे में बैड पर थे । रात को किसी समय उनकी आंख खुली होंगी तब वो यहां पर आये । अब सुबह सबका मूड थोडा खराब ही था और फिर होटल मालिक ने बताया कि नारायणी धाम हो आओ और वहीं पर नहा लेना तो हम गाडी में नहाने के कपडे लेकर निकल पडे ।
नारायणी माता का मंदिर सडक से आधा किलोमीटर अंदर की ओर है और यहां पर मंदिर के पास में ही गरम पानी का श्रोत है जो कुंड ना बनाकर नहर की तरीके से बनाया गया है और उसमें लगातार गरम पानी बहता रहता है । यहां इस जगह को देखकर मजा आ गया और सब नहाने के लिये लेट गये । पानी बस इतना ही है कि आप लेटकर ही भीग सकते हो । बैठकर नहाना है तो पानी लेकर अपने उपर गिराना होगा । काफी देर तक नहाये और अब शरीर और मन दोना आनंदित थे । नया साल अपने आप में ऐसी जगह पर बिताना बहुत बढिया था । नहा धोकर माता नारायणी के दर्शन किये और फिर वापस होटल में आ गये । यहां पर अपना बाकी सामान रखा । होटल मालिक से विदा ली जो कि बढिया आदमी हैं और वकील भी हैं ।
फिर चल पडे यहां से भानगढ की ओर जो कि दस किलोमीटर था । गोला का बासा जाने के रास्ते में एक जगह पडी जहां छोटी सी झील थी हमने गाडी वहीं पर रोक ली । नीचे उतरकर देखा तो तीन बंदे सुटटे लगा रहे थे । कमल भाई ने भी सुटटा लगाया उनके साथ । झील के किनारे काफी चिडिया थी और कुछ छतरियां झील के दूसरे साइड में बनी थी । यहां पर एक छोटा सा पुल था और उसी के पास मंदिर भी था पर मंदिर के बारे में बताया कि ये तो बंद है । इसलिये हम वहां पर नही गये पर देखा जाये तो ये एक ऐसी जगह है जहां टूरिस्ट स्पाट बनने की काफी संभावना है पर यहां की हालत देखकर लगता नही । अगर इस जगह को विकसित किया जाये तो भले दस रूपये का टिकट भी लगा लें कई अन्य जगहो से बढिया रहेगी ये जगह ।
पहाडो की तलहटी में झील , पारम्परिक छतरियां और मंदिर कितनी सारी चीजे हैं यहां पर तो
। अब गोला का बासा पहुंचे और यहां से भानगढ तीन किलोमीटर रह जाता है ।
beautifully written post and equally supported by awesome pics !
ReplyDeleteI am deependra sen from guna Itni saari jankari dene ke liye dhanyabad.
ReplyDeleteJai narayani mata