कश्मीर , धरती का स्वर्ग । इसके बारे में काफी बाते कही जाती रही हैं । कश्मीर की खूबसूरती की दुनिया कायल है और हर आदमी एक बार कश्मीर जाना जर...
जम्मु और कश्मीर राज्य के बाकी दो हिस्से जम्मू और लददाख में भी घूमने को बहुत कुछ है और वो सुरक्षित और आरामदायक भी है । मुख्यत कश्मीर में नये लोगो को जाने की ज्यादा रहती है और वे ही माहौल से बहुत डरते भी हैं । ऐसे में उन्हे हमारे जैसा घुमक्कड साथ मिल जाये तो फिर घूमना हो जाता है । हम तो अपनी पहली ही कश्मीर यात्रा में पत्थरबाजी भी झेल चुके थे इसलिये वहां के माहौल का अंदाजा तो हो चुका था और बिना वजह तो नही जाना चाहते थे पर कुछ परिस्थितिया ऐसी बनी कि वहीं पर जाने का कार्यक्रम दोबारा बन गया ।
एयरलाइंस की सस्ती स्कीम का दौर चला तो मै हमेशा यही देखता हूं कि वो वाकई में सस्ती भी हैं अथवा नही अन्यथा कोई जरूरत नही पडी हमें एयर टिकट बुक करने की । पर जैसा कि एक बार पहले हुआ था कि अंडमान की यात्रा का टिकट हमें 11000 रूपये प्रति व्यक्ति मिल गया था आने जाने का उसी तरह से जब टिकट की तलाश शुरू हुई तो कश्मीर का टिकट सबसे सस्ता दिखाई दिया तीन महीने बाद का जोे कि 1600 रूपये प्रति व्यक्ति था एक तरफ का यानि 3200 रूपये में आना जाना प्रति व्यक्ति । मेरे तहेरे भाई हैं अतुल त्यागी जो कि गाजियबाद में ही श्रीराम पिस्टन कंपनी में जाब करते हैं । उन्होने मुझसे कहा हुआ था कि जब कभी ऐसी कोई स्कीम आये तो मुझे जरूर बताना । मैने टिकट देखकर उन्हे बताया तो उन्होने तुरंत हामी भर दी पर एक शर्त के साथ कि हम दोनो ना तो इतनी दूर कभी घूमने गये हैं और ना ही हवाई जहाज में गये हैं इसलिये तुम दोनो को भी हमारे साथ चलना होगा । मैने ये बात लवी को बताई तो वो कहने लगी कि वैसे तो हम वहां पर घूम चुके हैं पर मैने भी हवाई यात्रा नही की है इसलिये आप बुक कर लो । गृह मंत्रालय से इजाजत के बाद कुछ सोचना ही नही था और टिकट बुक कर दिये गये चार दिन के अंतराल में वापसी के क्योंकि हमारे भाई साहब इससे ज्यादा दिन की छुटटी नही करना चाहते थे ।
कश्मीर के नाम पर हमारे भाई साहब ने एक तो पहले ही बता दिया कि भाई हाउसबोट में जरूर रूकना है जो कि हम जैसे बंदो के लिये काफी महंगी चीज है पर जब वे रूकते तो हमें अलग थोडे ही रूकना होता इसलिये सस्ते हाउस बोट की तलाश शुरू हो गयी और जाट देवता से सम्पर्क किया तो उन्होने जिस हाउसबोट में रात बिताई थी उसका नम्बर दे दिया जिससे बात हुई तो उसने एक रात के 1200 रूपये रूकने के और खाने के अलग से बताये । ये हमारे बजट में था और जाट देवता वहां पर रूक चुके थे इसलिये किसी कमी की गुंजाइश भी नही थी । वैसे इससे सस्ता हाउसबोट मिलना भी मुश्किल था । मैने उस बंदे से पूछा कि क्या आपके बोट की बुकिंग राशि आनलाइन होनी है तो उसने कहा कि आपने कह दिया बस इसी से काम हो जायेगा ।
समय बीतता गया और जब जाने का समय नजदीक आया तो कश्मीर में बाढ की खबरे आने लगी । उस समय ज्यादातर बुकिंग रदद हो गयी और ऐसा हल्ला मचा कि लोगो ने कश्मीर में आतंकवाद से भी ज्यादा खराब माहौल बताया । यहां तक कि कई दिन तक बारिश की खबरे टीवी में छाने लगी । हालांकि एक बात मैने उन खबरो में कामन पाई कि बाढ के इलाके श्रीनगर के आसपास थे पर कई बार ज्यादा पानी के कारण डल के गेट खोलने की खबरे भी आयी ।
हवाई टिकट रिफंडेबल नही थे और उनके तारीख बदलने की शर्त ऐसी थी कि जो उस तारीख का रेट होगा वो अंतर आपको देना होगा । यानि या तो आप सब पैसे खत्म मानो या नार्मल टिकट कराकर जाओ दोनो ही परिस्थिति में कटना तो ग्राहक को ही था पर हम भी ऐसे वैसे ग्राहक नही थे जो इतनी प्यार से कट जायें । तो हमने जाने की ठान ली और बोट वाले बंदे की बातो ने भी हिम्मत बंधाई । वैसे मै ये भी मान रहा था कि अगर उस बंदे ने अपने बिजनेस की वजह से हमें झूठ बताया तो चाहे हमें एयरपोर्ट से ही वापस आना हो तो आ जायेंगें या फिर उसके हाउसबोट में नही रूकेंगें ।
पर जैसा कि आप आज की पोस्ट कें फोटोज देखोगे तो जान गये होंगें कि मौसम कैसा था । बस ऐसा ही था जैसा कि फोटोज में दिख रहा है ।
हमने एयरपोर्ट जाने के लिये एक दोस्त को बुला लिया था जो अपनी कार में हमें लेकर चल पडा । हम तीन घंटे पहले मुरादनगर से चले थे और राम राम करके ही एयरपोर्ट तक पहुंचे जबकि हमें इतनी उम्मीद नही थी । पर दिल्ली तो दिल्ली है यहां का कुछ नही पता । एयरपोर्ट पर सब बढिया से निपट गया और हम अपनी फलाइट में सवार हो गये । इसके बाद बारी थी पहला हवाई तजुर्बा होने की तो लवी को तो कोई दिक्कत महसूस नही हुई पर जिन्हे हम मान रहे थे कि भाभी जी को परेशानी महसूस हो सकती है उन्हे ना होकर भाईसाहब को ज्यादा परेशानी हुई टेक आफ करते समय ।
दिल्ली से श्रीनगर का समय ज्यादा नही है हम सोच रहे थे कि ये उडान जम्मू में कुछ देर के लिये रूकेगी पर ये सीधी उडान थी और एक घंटे से कुछ थोडे समय ज्यादा में हम श्रीनगर में उतर गये । श्रीनगर की तो ये मेरी भी पहली यात्रा थी और श्रीनगर के आसपास का नजारा बढिया दिखाई देता है । हमारे जाने के समय धुंध सी थी इसलिये इतना बढिया नही दिखा कि फोटो लिये जायें । फिर एक बात और भी थी कि एयरलाइन सस्ती सीटे जो बेचती हैं वो ऐसी सीटे होती हैं जिन पर या तो विंडो नही होती या सही से नही होती और जो सबसे कम डिमांड की होती हैं और हमें भी ऐसी ही सीट मिली थी । श्रीनगर में लैंड करने के बाद एयरपोर्ट के बाहर हमं टैक्सी तैयार मिली जो कि बुलबुल गेस्ट हाउस वाले से हमने फोन पर ही कह दिया था और रेट भी वही तय किया था जो जाट देवता का था यानि 600 रूपये । टैक्सी वाला जब हमें ले जा रहा था तो भाईसाहब ने उससे पूछा कि वाइन कहां पर मिलेगी तो उसने बताया कि श्रीनगर में केवल डल झील के आसपास ही एक या दो शाप हैं जो कि टूरिस्टो के लिये हैं और उसने भाई साहब को उस दुकान को दिखा भी दिया ।
भाईसाहब ने अपना कोटा लेने के बाद ही आगे कदम बढाया । गेस्ट हाउस वाले की ओर से नाविक अपनी छोटी सी नाव लिये खडा था हमें वहां पर ले जाने के लिये । हम उसमें बैठकर शिकारे में गये जहां पर हमारा स्वागत बुलबुल हाउसबोट के मालिक ने किया । पर ये हाउसबोट बुलबुल हाउसबोट नही थी शग्गू पैलेस के नाम से थी । पूछने पर उसने बताया कि आप दो परिवार हैं और ये दो कमरो की हाउसबोट सिर्फ आपके लिये है । बुलबुल नाम से हमारा ग्रुप है जिसमें बहुत सारी हाउसबोट हैं । हो सकता है वो हमें बना रहा हो पर हमने हाउसबोट को अंदर से घूमा और देखने के बाद वो हमें पसंद आयी तो हमें कोई आपत्ति नही थी । हाउस बोट के बराबर में ही एक पुरानी सी बोट पर शिकारे के मालिक का परिवार भी रहता था और वहीं पर खाना बनना था ।
दोनो महिलाये रसोई को भी घूमकर आ गयी वैसे तो एक मिनी रसोई इस हाउसबोट में भी थी और हमारे जाने के बाद हमें चाय यहीं पर बनाकर दी गयी थी । जब हम यहां पर पहुंचे तो झील का जलस्तर काफी बढा हुआ था और हाउसबोट की सीढियां पानी में डूबी थी । हाउसबोट में जाने के बाद अभी शाम होने में समय था और हम खाना खाने से पहले एक बार फिर से मेन रोड पर आने के लिये हाउसबोट वाले की नाव से घाट पर आ गये । इससे पहले हमने उस नाविक का नम्बर ले लिया ताकि हम अपने आने से पहले उसे बता दें और वो घाट पर पहुंच जायें । शाम को डल लेक के पास की सडक पर घूमने का अपना ही मजा है । काफी देर तक हम यहां पर घूमते रहे और उसके बाद वापस हाउसबोट पर आ गये । अब अंधेरा हो गया था और हमारे बताये अनुसार खाना तैयार था ।
खाने में दाल और सब्जी ही हमने कही थी और दोनो ही चीजे काफी बढिया थी और सबसे बढिया बात थी कि इनकी मात्रा काफी थी । इतनी की चार आदमियो के लिये वो दुगुनी थी । शाम होने के साथ साथ सर्दी बढने लगी थी और उसके लिये यहां पर गैस से चलने वाला रूम हीटर रखा था जिसने खाने का मजा बढा दिया । कमरे में गये तो वहां पर इलैक्ट्रिक कम्बल था तो सर्दी की तो कोई टेंशन ही नही थी । वैसे हमने ये हाउसबोट दो दिन के लिये बोला था बुक करने को पर हमारे भाई और भाभी को कुछ ज्यादा बढिया नही लगा खासतौर पर हाउसबोट का हिलते रहना । वैसे उन्हे सब पसंद था पर सोने में अजीब सा महसूस हुआ ।
view from flight |
shrinagar airport |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
me and my brother |
dining room of boat |
house boat kitchen |
bathroom |
houseboat bedroom |
boat |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
dal lake |
मनु भाई बाढ़ जैसी या उसकी निशानी कुछ भी नही दिख रहा है, हमारे न्यूज वाले ज्यादा ही हल्ला करते है।
ReplyDeleteबाकी आपकी इस यात्रा ने मुझे अपनी कश्मीर यात्रा की याद दिला दी, मैं ओर मेरे दोस्त 1500रू० में एक रात रूके थे, पर जाटदेवता ने तो आपको काफी सस्ता करा दिया,अब कभी जाऊंगा तो जरूर आप लोगों से कह कर जाऊगाा।
फोटो कमाल के है ही, डल झील मे तैरती नाव, शिकारे या हाऊसवोट एक बेहतरीन नजारा पेश कर रहे है।
वाह सुबह सुबह बेहतरीन फ़ोटो के साथ आगाज।
ReplyDeletevery informative post. A hub of information for all Ghumakkars!
ReplyDeletevery informative post. A hub of information for all Ghumakkars!
ReplyDeleteBeautiful pictures of Dal Lake!
ReplyDeleteAmazing pics from Dal Lake. Thanks for sharing.
ReplyDeletebadh ka to ek bhi nishan nahi hai yahan,dal lake adbhut chhata bikher rahi hai
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