भक्तपुर दरबार स्क्वायर से निकलने के बाद हमने अपनी बाइक उठाई और चल पड़े। रास्ते मेँ एक जगह बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी । यह लाइन एक छोट...
भक्तपुर दरबार स्क्वायर से निकलने के बाद हमने अपनी बाइक उठाई और चल पड़े। रास्ते मेँ एक जगह बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी । यह लाइन एक छोटे से मंदिर के बाहर लगी थी जहाँ पर लोग देवी को चढ़ावा चढ़ा रहे थे । इस चढ़ाने मेँ हमने सबसे खास बात यह देखी कि प्रसाद की थाली मेँ अंडे भी रखे हुए थे ।यहाँ से निकलने के बाद थोड़ा आगे चलते ही एक ऐतिहासिक सिद्ध पोखरी नाम की जगह आती है । इस जगह पर एक बहुत ही सुंदर तालाब झील बना रखा है और उसके चारोँ और घूमने के लिए जगह बनी हुई है इस जगह को बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया गया है और एक पर्यटन स्थल का रुप दे दिया गया है। वैसे यहाँ पर हमें जोड़े ही ज्यादा मिलेँ अथवा स्कूल जाने वाले छात्र छात्राएँ ।
अब हमारा अगला लक्ष्य था पाटन दरबार जो कि काठमांडू के दूसरी साइड मेँ था पहले हमने भक्तपुर हाईवे को पार किया और उसके बाद रिंग रोड पर चलते हुए काठमांडू शहर को बाईपास करके पाटन इलाके मेँ गए
भक्तपुर जाने वाले रास्ते की स्थिति बहुत ज्यादा बढ़िया है जो कि मैँ आपको पहले ही बता चुका हूँ । इसके बाद वापस एयरपोर्ट के पास आकर हमने रिंग रोड पकड़ी और यहाँ से कई लोगोँ से पूछने के बाद हम पाटन मेँ एंट्री कर पाए । पाटन का दरबार स्क्वायर आज की तारीख मेँ बहुत ही तंग इलाके मेँ स्थित है क्योंकि यह शहर का पुराना हिस्सा हो चुका है तो यहाँ पर एक कार के आने की भी स्थिति नहीँ है और जो पर्यटक कार अथवा बस से आए थे वह हमारे सामने ही बहुत दूर गाड़ी मेँ रोक दिए गए थे और वहाँ से पैदल जा रहे थे। यहाँ पर तो बाइक को पार्क करने की भी स्थिति नहीँ थी एक छोटी सी पार्किंग बड़ी मुश्किल से मिल पाई जिसमे 20 रुपए का टिकट था वह भी दो घंटे के लिए । वहाँ पर बाइक खड़ी करने के बाद हम चले तो यहाँ पर भी दरबार स्कवायर को देखने के लिये टिकट लेना पड़ता है 100 रूपये का लेकिन केवल महल को अंदर से देखने का टिकट अलग से है और वो काफी महंगा है क्याेंकि उसमें म्यूजियम भी है आप सारे दरबार स्क्वायर को आराम से घूम सकते हैँ लेकिन अगर आपको महल का अंदरुनी हिस्सा और म्यूजियम देखना है तो आपको टिकट लेना पड़ेगा। भक्तपुर दरबार स्क्वायर की तरह यहाँ भी बहुत ही चहल पहल थी पूरा क्षेत्र विदेशी पर्यटकोँ से गुलजार था और यहाँ पर एक भजन के एल्बम की शूटिंग भी चल रही थी जो की नेपाली भाषा की थी
म्यूजियम मुझे वैसे भी पसंद नहीँ है और दूसरी बात मुझे टिकट ना लेने का मलाल नहीँ हुआ क्योंकि मैने यह देखा कि पाटन स्क्वायर की सारी शिल्प और सारे देखने लायक चीज बाहर खुले मेँ ही मौजूद थे। इन जगहो को सही से देखने के लिए तो एक जगह पर पूरा दिन भी कम है।
पाटन दरबार वैसे तो ललितपुर के अंतर्गत आता है। यह जगह काठमांडू से ज्यादा दूर नहीँ है और बागमती नदी के किनारे इस जगह पर राजा का महल बताया जाता है जिसमेँ मल्ला राजा रहा करते थे उन्ही को इस महल के बनाने का श्रेय दिया जाता है। इस महल के मुख्य मंदिर के बारे मेँ बताते हैँ कि भगवान कृष्ण और राधा ने राजा को सपने मेँ आकर इस मंदिर के बनाने का आदेश दिया था । यहाँ इस दरबार स्क्वायर मेँ जो खिड़कियाँ लगी हुई है उनमेँ से गोल्डन विंडोज भी है जो कि सुनहरे रंग की है । यहाँ पर लकड़ी के काम का बेमिसाल नमूना है जिसे दुनिया भर से देखने के लिए पर्यटक आते हैँ यह लोगोँ के लिए एक अजूबे की तरह है । कहते हैँ कि इस दरबार स्क्वायर मेँ चारोँ ओर 50 से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर है और 136 महल है । इस जगह का इतिहास 2000 साल से भी ज्यादा बताया जाता है । यहाँ के ज्यादातर मंदिर पैगोड़ा शैली मेँ बने हुए हैँ । इस दरबार स्क्वायर मेँ एक म्यूजियम भी है जो कि नेपाल की संस्कृति और ऐतिहासिकता के बारे मेँ बहुत सारे तथ्य समेटे हुए हैँ । जो भी इसे देखना चाहता है उसे म्यूजियम का टिकट अलग से लेना पड़ता है हमेँ म्यूजियम को देखने मेँ कोई इच्छा नहीँ थी इसलिए हमने टिकट नही लिया ।
पाटन दरबार का कृष्ण मंदिर 17 की सदी मेँ राजा सिद्धि नरसिंह मल्ला ने बनाया था यह मंदिर पूरे पाटन दरबार स्क्वायर मेँ मुख्य स्थान रखता है । यह मंदिर ऐसा कहा जाता है अकेला ऐसा मंदिर है जो कि 21 सोने के शिखर रखता है । यही नहीँ ऐसा कहा जाता है कि यह पहला ऐसा मंदिर है जो कि पत्थर का शिखर शैली मेँ बना हुआ मंदिर है। रामायण और महाभारत की ज्यादातर कथाएँ इस मंदिर मेँ उकेरी गई है । पाटन के तीन मेन चौक है जो कि मुल चौक ,सुंदरी चौक और मणि केशव नारायण चौक कहलाते हैँ। उत्तरी कोने मेँ मूल चौक है जिसमेँ तीन मंजिला भवानी मंदिर है जो राजा श्री निवास मल्ल के द्वारा 1661 मेँबनवाया गया था ।
पाटन मेँ और भी आसपास कई जगह हैँ घूमने के लिए जिनमेँ पाटन म्यूजियम , पाटन जू ,गोदावरी बॉटनिकल गार्डन, उमेश्वर मंदिर है। पाटन म्यूजियम को एशिया के बेस्ट म्यूजियम में शामिल किया गया है यह 1730 मेँ बनी एक इमारत मेँ है।
एक बात और कि पाटन दरबार स्कवायर का सही नजारा आप अगली पोस्ट में देख पायेंगें क्याेंकि इतने सारे फोटो को एक पोस्ट में समाना मुश्िकल है