सुबह 4 बजे उठ तो गया जनकपुर के होटल में पर नींद नही आयी मच्छरो की वजह से ठीक से । अंधेरा काफी था पर रास्ते भर लोग मिलते रहे । भारत के ...
सुबह सवेरे सवेरे भारत में घुसते ही मेरा सामना सडक किनारे शौच करते आदमियो और औरतो से हुआ । बाइक की लाइट पडते ही कुछ शर्मदार औरत एकदम से उठकर खडी हो जाती और कुछ नही भी होती । सडको पर दो दो फुट दोनो साइड में चलना गुनाह था क्योंकि वो टटटी से भरी हुई थी । सब शौच करने वालो के मुंह पर अंगौछा जरूर लगा हुआ था । करीब 50 किलोमीटर तक सिंगल रोड पर चलने के बाद हाईवे आया । इस बीच मैने एक चाय पुपरी में पी । हाईवे पर आते ही मैने बाइक खींच दी और सवा नौ बजे मोतिहारी में 240 किलोमीटर चलने के बाद नाश्ता किया जिसमें दही के साथ परांठे खाये ।
दोपहर साढे तीन बजे तक 500 किलोमीटर बाइक चला चुका था और बस्ती यूपी में आ गया था । यहां पैट्रोल डलवाने को पैसे निकालने थे पर यूपी में घुसने से लेकर अब तक रोड पर एटीएम नही दिखा था आखिर में सहजनवा नाम की जगह में रोड से थोडा अंदर जाकर पैसे निकाले । 570 किलोमीटर शाम के पांच बजे फैजाबाद पहुंच गया था । हाईवे सब जगह बढिया था और मेन शहर रोड से दूर ही थे । मै आधा घंटा बाइक को 80 या उससे उपर चलाता और उसके बाद दस मिनट रोड पर खडी करके मै और बाइक दोनो सुस्ताते । मेरा पिछवाडा बहुत दुख रहा था इसलिये थोडी देर बाद आराम करना पडता ।
एक बार को तो विचार बना कि लखनउ में किसी के पास रूक लेता हूं पर फिर सोचा कि लम्बा रास्ता है और जितना आज कट जाये उतना बढिया । सीतापुर से 5 किलोमीटर पहले बारिश पडने लगी और मैने रोड किनारे बने एक ढाबे में एक कमरा ले लिया और सो गया । आज पूरा दिन में 770 किलोमीटर बाइक चलाई अभी तक के सफर में सबसे ज्यादा इससे पहले केवल स्पीति जाने के समय 570 चलाई थी जिसमें 350 पहाडो में थी जबकि ये सारी प्लेन में है
सुबह उठा तो बारिश पूरी रात से पड रही थी और उम्मीद नही थी कि बारिश रूकेगी आज । ऐसा ही हुआ और पूरा दिन बारिश पडती रही और मै चलता रहा । कल का दिन मै 770 किलोमीटर बाइक चलाई थी और आज 450 किलोमीटर चलानी थी । सीतापुर से निकलने के थोडी दूर पर ही एक क्रासिंग आयी जहां फाटक बंद था । फाटक खुलते ही मैने बाइक निकाली तो एकदम से बाइक फिसल गयी । ये सब हुआ इसलिये कि उस क्रासिंग पर रेलवे की पटरी बहुत चिकनी हो चुकी थी और गेटमैन ने बताया कि यहां पर अक्सर ऐसा होता रहता है । मुझे हाथ में काफी चोट लगी और रेनकवर फट गया । गेटमैन ने मेरे बैग से निकालकर दवाई लगायी और पटटी बांधी उसके बाद मै फिर से चल पडा । सीतापुर से करीब 100 किलोमीटर रास्ता इतना खराब और गंदा था कि पूछो मत । रामपुर तक बारिश और बेकार रास्ते को झेलने के बाद अच्छा रास्ता आया और पूरा दिन करीब 12 घंटे बारिश में चलने के बाद मै शाम को घर पहुंचा ।
नेपाल की यात्रा बहुत हद तक शांत और सुंदरता से पूरी हुई अगली यात्रा का इंतजार करिये धन्यवाद सभी पाठको के
Nepal yatra -
बिहार की मठरी चाय के साथ बडी मजेदार |
ये नीलगाय दिखी खेतो में |
ये शायद पुरखो की यादें हैं |
यात्रा का सुखद अंत
ReplyDeleteबहुत दिनों से नेपाल घूमने की इच्छा थी, आज पूरी हो गयी
ReplyDeleteयात्रा अछि रही आपकी
ReplyDeleteके सारी जानकारियों के साथ
मित्र के परिवार में शोक होना बहुत दुखद लगा
मनु भाई बेहद बढ़िया यात्रा रही आपकी.....जनकपुर के फोटो की कमी खली.......ओर साथी के बीच मे साथ यात्रा छोड़ने का दुख भी........पूरी नेपाल यात्रा पढ़ ली आपकी......
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