काठमांडू शहर का नाम सुनते ही आँखोँ मेँ एक अजीब सी चमक आ जाती है । काठमांडू शहर नेपाल की राजधानी तो है ही साथ मेँ एक जिंदादिल शहर भी है ।...
पोखरा से चलने के बाद हमने सबसे पहले तो अपनी बाइक की टंकी को फुल करवाया । 1000 रूपये का पेट्रोल बाइक मेँ डलवाने के बाद हमने वहीँ पर अंगूर बेच रही औरतोँ से एक पाव अंगूर लिए जो कि 40 नेपाली रुपए के थे और एक पानी की बोतल ली जो कि रास्ते मेँ बहुत काम आई । बीच रास्ते मेँ एक बार आराम करने के लिए हम रुके थे एक बहुत ही अच्छा हिमालयन कैफे के नाम से रेस्टोरेंट था जिस पर हमने आइसक्रीम का आनंद लिया यहाँ पर हमेँ आइसक्रीम खाना 210 नेपाली रुपए का पडा ।
काठमांडू से थोड़ा पहले हम एक चाय की दुकान पर रुके जिसका नाम सुमन रेस्टोरेंट था इसे जो महिला चला रही थी वह पास के ही गाँव से थी अपने बच्चोँ को भी वह दुकान पर ही पढ़ा रही थी साथ ही उसकी सहेलियाँ भी उसके पास मिलने के लिए आई थी हमारे पूछने पर उसने हंसकर बताया की आज दावत है और दावत मेँ दारु के साथ मुर्गा भी चलेगा ।
नेपाल भले ही हिन्दू राष्ट्र हो पर ये यहाँ आम बात है
आज हमने 25 किलोमीटर पोखरा मेँ मोटर साइकिल चलाई उसके बाद करीब 200 किलोमीटर हमने पोखरा से काठमांडू तक के लिए मोटरसाइकिल चलाई ।बाइक मेँ सुबह 940 पर हम चले थे आज और 1180 पर आकर यहाँ रुकेँ
पोखरा से काठमांडू के रास्ते मेँ सहदेव ने भी जिद की मोटर साइकिल चलाने की और उसने 50 किलोमीटर मोटरसाइकिल चलाई । हाईवे काफी अच्छा था और हमने सवा दो घंटे मेँ 100 किलोमीटर का रास्ता तय किया रास्ता पहाड़ी था लेकिन चौडाई काफी थी कई जगह हमेँ नदी मेँ रिवर राफ्टिंग होती भी मिली ट्रैफिक भी खूब था ।
सुमन होटल से चलने के बाद एक झटके मेँ काठमांडू शहर मेँ एंट्री कर गए काठमांडू मेँ भी करीब हमेँ 10 किलोमीटर चलना पड़ा । 10 किलोमीटर शहर शहर के अंदर ही चलने के बाद तब जाकर एक चौक आया जिस पर हमेँ काफी सारे होटल दिखाई दिए ये कलंकी चौक है । हमने वहाँ बाइक रोक कर होटल के बारे मेँ पूछताछ शुरु कर दी । कई सारे होटल देखने के बाद एक कमरा हमेँ 700 रुपए मेँ तीसरी मंजिल पर पसंद आ गया और होटल मेँ हमने एक हजार रुपए जमा करा दिए जिसमेँ की किराया और शाम के खाने के पैसे भी थे । यह कमरा बिल्कुल मेन रोड पर था और बालकनी का व्यू भी उस मेँ से दिखाई देता था । हमने अपने कमरे मेँ सामान रखा और खाने के बारे मेँ बता दिया कि हम खाना यहीँ पर खाएंगे ।
खाना हमेँ रात के नौ बजे मिला लेकिन बढ़िया था । खाना खाने के बाद हम अपने कमरे मेँ सोने को गए उससे पहले हमने होटल मेँ कस्टमर्स के लिए मौजूद wi fi सुविधा का पासवर्ड लिया और अपने घर पर नेट के द्वारा बड़े आराम से बात की । सुबह उठने के बाद नहा धोकर तैयार हुए और मोटरसाइकिल को उठाकर चल दिए हमेँ किधर जाना था यह हमेँ अभी पता नहीँ था लेकिन हम ऐसे ही काठमांडू की सड़कोँ पर घूम रहे थे । एक जगह रुक कर चाय की दुकान पर हमने चाय और चाय के साथ मेँ कुछ नाश्ता कर लिया। सुबह सुबह का वक़्त था और हम मोटरसाइकिल को ऐसे ही काठमांडू की सड़को पर घुमा रहे थे तभी एक चौक पर हमेँ एक बहुत सुंदर मंदिर दिखाई दिया और खास बात यह थी कि उस मंदिर के तीन तरफ से सड़क निकली हुई थी । वहाँ पर काफी लोगोँ की भीड़ लगी थी । हमेँ लगा कि यह काफी फेमस मंदिर है तो हमने अपनी मोटरसाइकिल उस मंदिर के गेट के आगे लगा दी और मंदिर मेँ प्रवेश किया । यह भद्रकाली मंदिर है और यहाँ पर इसकी काफी मान्यता है । जब हम वहाँ पर पहुंचे तो एक शादी वहाँ पर संपन्न हो रही थी । शायद नेपाल मेँ शादियाँ मंदिरोँ मेँ ही होती हो मुझे ऐसा लगा अथवा वह सब लोग आशीर्वाद लेने के लिए आए हुए थे लेकिन दूल्हा जो था वह मुख्य गर्भग़ह में बैठा था ।तीन छोटे छोटे लडको को भी सजाया गया था कि वे सब मेहमानोँ के आगे आगे चल रहे थे । मंदिर मेँ काफी जगह कबूतर भरे पड़े थे इसके साथ ही मंदिर के अंदर भी स्टाल लगे हुए थे फूल प्रसाद बेचने वालोँ के ।
कोई अपनी नई बाइक की पंडित जी के द्वारा मोहरत करवाने के लिए आया हुआ था तो कोई अपने बच्चे को आशीर्वाद दिलाने आया था । शादी की रस्मेँ देखकर हमेँ बड़ा रोचक महसूस हुआ और मैने उस शादी के कुछ क्षणो को आपके लिए कैद कर लिया । हालांकि मंदिर मेँ जगह जगह मूर्तियाँ बनी हुई थी और शादी बिहा वाले ही नहीँ बाकी सब लोग भी जूते चप्पल लेकर बिल्कुल मंदिर के अंदर गर्भ ग्रह तक घूम रहे थे। यहाँ पर एक हंसी की बात और हुई कि दूल्हा जो था वह पंडित जी के सामने आकर जब बैठने लगा तो उस पर बैठा नहीँ गया वह इस वजह से कि उसकी जो पेंट सिली हुई थी वह इतनी टाइट सिली हुई थी कि उस पर बैठा भी नहीँ जा रहा था बहुत देर तक कोशिश करने के बाद जब वह नहीँ बैठ पाया तो वह उकडू होकर बैठ पाया और उसे देखकर हर कोई हंस पडा ।
अति उत्तम
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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