उसके बाद हमने चलने की सोची तो बिल मंगाया तो बिल आया 2800 रूपये जो रियल जूस का डिब्बा 100 रूपये का आता है वो 800 रूपये का लगा था और टकी...
सुबह सवेरे पोखरा का सूर्योदय देखने भी जाना था इसलिये होटल में जाकर सो गये । वैसे भी सुबह से बाइक चला रहे थे ।अगली सुबह हम सोकर उठे और सुबह 6 बजे तक तैयार हो गये पोखरा का सूर्योदय देखने के लिये । मौसम होटल से तो साफ दिख रहा था और हम बाइक लेकर निकल पडे । आज का दिन हमें काठमांडू के लिये भी निकलना था सो रात को देर से सोने के बावजूद हम सवेरे ही निकल पडे थे । बाहर चौक पर जाने को रास्ते पर पूछा तो दो तीन लोगो से जिससे भी पूछा उन्होने आसमान की ओर और सूर्योदय की साइट की ओर इशारा करके यही बताया कि यहां पर इतनेे बादल हैं कि सूर्योदय दिखायी नही देगा । उनकी ये बात हमें तब समझ आयी जब हमें सूर्योदय तो सूर्योदय फेवा झील भी सही से नही दिखी । यहां पर जो सूर्योदय देखने की जो साइट है उसे सारंगकोट कहते हैं सारंगकोट से नेपाल की प्रसिद्ध अन्नपूर्णा चोटी का मनोरम दृश्य दिखता है ।एक और चोटी है जिसे माछपूछरे कहा जाता है उसका भी गजब दृश्य दिखता है यदि मौसम साथ दे तो । लोग पता नही कितने कितने दिन तक इस इंतजार में रोज सुबह उठकर सूर्योदय देखने जाते हैं ।
खैर हमने उनकी बात मान ली और उसके बाद वहीं रूककर पहले चाय नाश्ता किया गया । चाय बहुत ही फीकी थी और दूध भी जला हुआ था । फिर भी 15 रूपये एक चाय के ले लिये गये । थोडी सी चाय पी और उसके बाद फेवा लेक की ओर चल पडे । फेवा लेक पर अभी तक कोई टूरिस्ट नही था । होता भी कैसे जहां की राते इतनी रंगीन हो वहां पर कोई सुबह सवेरे कहां उठ सकता है । मौसम खराब था तो इतना कि झील भी ढंग से नही दिखायी दे रही थी । जिस समय हम नेपाल में घूम रहे थे उस समय स्वाइन फलू का खौफ सब जगह फैला हुआ था और नेपाल में भी उसकी आहट आ चुकी थी । चूंकि पोखरा में विदेशी काफी आते हैं और विदेशियो से ही ये रोग भारत नेपाल जैसे देशो में आया था इसलिये यहां पर विदेशियो से लेकर देशी लोगो तक में मास्क लगे हुए देखे जा सकते थे ।
हमने भी 20 रूपये प्रति के हिसाब से मास्क खरीद लिये । बचाव ही उपाय है और ये तो रोग ऐसा है जो हवा में से भी हो सकता है तो कहीं घूमने के चक्कर में बीमारी ना लें बैठै इसलिये बचाव करना उचित समझा ।
इस झील के तीन तरफ पर्वत है और एक और शहर के बाजार । बाजार और होटल और यहां के मकान आदि पारंम्परिक शैली में बनाये गये हैं ।
पोखरा का नाम पोखरी शब्द पर रखा गया है जिसका अर्थ होता है झील । इस झील की लम्बाई दो किलोमीटर और चौडाई एक किलोमीटर तक बताते हैं । 20 फुट से ज्यादा गहराई वाली इस झील में एक दो दुर्घटनाये भी हुई हैं इसलिये उसी नाव में बैठना चाहिये जिसमें कम से कम लाइफ जैकेट की सुविधा हो ।
पोखरा शहर में वैसे तो आठ झील बताते हैं । फेवा , बेगनास , रूपा , मैदी , दीपपांग ,गुंडे , माल्दी और खास्त लेकिन फेवा झील तो सबसे सुंदर लगती है क्योंकि वो शहर के बीचोबीच है और यहां से बर्फ से ढके पहाडो का सुंदर दृश्य भी दिखता है । सारंगकोट में जो सूर्योदय का नजारा दिखता है कभी कभी उससे भी सुंदर नजारा फेवा झील में दिख जाता है ये भी सच है कि फेवा झील और पोखरा दोनो ही समुद्र तल से बहुत अधिक उंचाई पर नही है उसके बावजूद यहां से दुनिया की सबसे उंची चोटियो के दर्शन ऐसे होते हैं कि लगता है कि हाथ बढाकर छू लो लेकिन हमारे लिये तो आज मौसम खलनायक बना था तो दोनो जगह ही मौसम ने कुछ भी ढंग से नही देखने दिया ।
फेवा झील यहां की सबसे बडी झील है और इस झील के अंदर बोटिंग का मजा भी लिया जाता है । बडी झील होने के कारण इस झील में हर कोने पर बोट स्टैंड बने हैं आप कहीं से भी सवारी कर सकते हो । इस झील के बीच में एक छोटा सा टापू है जिस पर माता का मंदिर भी है । वहां तक जाने आने का साधन केवल नाव ही है । हमने वहां के बारे में पूछा लेकिन अभी वहां तक जाने के लिये हमारे सिवाय कोई नही था इसलिये हमें काफी इंतजार करना पडता । इस मंंदिर को वाराही मंदिर कहते हैं । मौसम साफ होने पर झील के शांत पानी में बर्फ से ढकी चोटियो का प्रतिविम्ब देखकर हमारा मन भी खराब हो रहा था कि जो फोटो हमने देखे उन्हे खींचने का मौका हमारे कैमरे को भी मिल जाता तो कितना मजा आता
खूबसूरत स्थान है। दुर्भाग्य से आप लोग गलत समय पहुंचे। फेवा ताल से भी खूबसूरत है बेगनास ताल। यहाँ एक स्थान से रूपा ताल और बेगनास ताल दोनों साथ दिखते हैं। सरांगकोट से सूर्योदय का नजारा अद्भुत है।
ReplyDeleteपानी में दिखने वाले प्रतिबिंब गजब के लग रहे हैं
ReplyDeleteनाव वाला फोटो सबसे अच्छा लगा।
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