saddle पीक से आधा किलोमीटर पहले ही तेज बारिश आ गयी । अगर घना जंगल ना होता तो पोंछू निकालने से पहले तो मै भीग चुका होता । इस बारिश में जाट द...
saddle पीक से आधा किलोमीटर पहले ही तेज बारिश आ गयी । अगर घना जंगल ना होता तो पोंछू निकालने से पहले तो मै भीग चुका होता । इस बारिश में जाट देवता आगे निकल गये थे और मै अकेला था । पोंछू की वजह से बारिश से तो बचाव हो गया था पर अब गीली मिटटी होने की वजह से पेडो को पकडना पड रहा था पर पेडो पर अजीब तरह तरह के जीव होने से डर भी लग रहा था इसलिये दोनो तरफ से मुसीबत आ गयी थी । जैसे तैसे करके उपर चोटी तक पहुंचा तो जाट देवता इंतजार कर रहे थे । बीच में दो जगह व्यू प्वाइंट भी मिले लेकिन बारिश और कोहरे ने सब बेकार कर दिया था ।
इस कोहरे की वजह से जो व्यू दिखना चाहिये था यहां से वो भी दिखाई नही दिया । यहां पर एक मचान बना हुआ था और हवा बहुत तेज चल रही थी लगभग आंधी की शक्ल में चल रही थी । अपने हाथ में मैने पोंछू को उतारकर पकडा तो वो झंडे की तरह लहराने लगा । जाट देवता का अभी रूकने का मन था कि शायद मौसम साफ हो जाये लेकिन मुझे लग नही रहा था क्योंकि अब तो शाम का समय हो चुका था और हमें नीचे पहुंचना था वो भी उजाले में नही तो दिक्कत हो सकती थी । उतरने में तो अंधेरे में इस घने जंगल में वो भी गीली हो चुकी मिटटी में कैसे चल पायेंगें यही सोचकर परेशानी हो रही थी ।
चोटी पर कुछ फोटो खींच पाये क्योंकि बारिश की बूंदे हल्की हल्की बरस रही थी । हमने उतरना शुरू कर दिया । धीरे धीरे उतरने के बावजूद हम कई जगह फिसले । उसके बाद हमने दो लाठी जेसी लकडी ली तब जाकर कुछ राहत मिली । नजारे तो उपर ही मिलते जो कि मौसम खराब होने की वजह से मिले नही और जंगल के हम देख ही चुके थे इसलिये जैसे ही चढाई खत्म हुई तो तुरंत तेजी से चलना शुरू कर दिया । वापसी में हमने उस जगह को देखा तो चौंक गये जहां पर हमने पानी की धारा को समंदर में मिलने से पहले पार किया था । अब वहां पर हाई टाइड की वजह से पानी काफी बढ गया था । पानी से पार करना खतरनाक था और पेड से पार करने में संतुलन बिगडने का खतरा था इसलिये हम पानी की धारा के साथ साथ पीछे जंगल की ओर चले और वहां पर जहां पानी कम था और चौडाई भी वहां से हमने वहां से इसे पार किया ।
इस बार एक काम और किया कि हमने बीच के किनारे किनारे काफी दूर चलना शुरू किया । बीच के किनारे किनारे चलकर हम कालीपुर बीच तक जा सकते थे जो कि हमारे होटल के बहुत पास था और यहां से दिखाई भी दे रहा था । शाम होने तक हम आराम से बेस तक जा पहुंचे और यहां पर पूछा कि बस कब आयेगी । बस के आने में समय होेने तक वहीं पर एक गांव वाले की बनायी गयी चाय की दुकान पर चाय पीने बैठ गये । बस आयी तो उसमें बैठकर अपने होटल उतर गये ।
होटल में फिर से आज दाल रोटी का आर्डर दे दिया । कल वाला मैनेजर आज छुटटी पर था और उसकी जगह दूसरा बंदा आ गया था । खाना खाने के बाद हम कमरे में गये और राजेश जी द्धारा लाये गये काजू और बादाम का जाट देवता ने तीन हिस्सो में बंटवारा कर दिया । असल में काजू जहां भी रखे जाते उन पर तुरंत चींटी आ जाती । तीन हिस्से इसलिये किये थे कि सब पैसे दे देंगे पर राजेश जी ने बाद मे लिये नही । राजेश जी नमकीन के भी पैकेट लाये थे जो इस पूरे टूर में काफी काम आये ।
अगले दिन सुबह सवेरे हम लोकल बस मे बैठकर कालीपुर से डिगलीपुर जा पहुंचे । यहां पर हमारी बस खडी थी जो कि एसी थी । आज का पूरा दिन हमें सफर में ही बिताना था । बस में हमारी पिछली सीट मिली थी पर एक सवारी के नही आने से थोडी राहत भी थी । बस साढे सात बजे चली और रंगत तक पहुंचते पहुंचते काफी जोर से बारिश आ गयी जो पूरे दिन चलती रही । हम मानसून के मौसम में अंडमान में थे और बारिश ना पडे ऐसा कैसे हो सकता था लेकिन आज के दिन बारिश होने से हमें खुशी थी क्येांकि हम तो अपने टूर का नाश नही चाहते थे और आज हमारा टूर तो था नही इसलिये हम सोच रहे थे कि रामजी आज ही बरस जायें तो ठीक है । किस्मत से एसी बस मिली तो मौसम की भी कोई परेशानी नही थी । अंडमान ट्रंक रोड पर सफर करने का भी अपना ही मजा है
Great adventure and good photographs.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपको भगवान गणेश जन्मोत्सव के साथ ही जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!