तो इस पोस्ट में मै आपको लिये चलता हूं वृदांवन गार्डन के नाम से मशहूर मैसूर की इस खास जगह पर । ये जगह मैसूर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी...
तो इस पोस्ट में मै आपको लिये चलता हूं वृदांवन गार्डन के नाम से मशहूर मैसूर की इस खास जगह पर । ये जगह मैसूर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है । ये असल में एक बांध है जिसे कृष्णराज वाडियार चतुर्थ के शासनकाल में बनाया गया था । इसकी लम्बाई 8600 फीट और उंचाई 130 फीट है । आजादी से पहले की इंजीनियरिंग का कमाल ये बांध उस समय की तकनीकी सोच को भी दर्शाता है । बांध के अलावा इस जगह को इतना सुंदर बना दिया गया है कि पूरे भारत में आपको वृंदावन गार्डन के नाम की नकल करते मैरिज होम या पार्क मिल जायेंगें ।
पर्यटको की काफी भीड भाड रहने के बावजूद यहां पर भीड दिखती नही क्योंकि एक तो ये जगह करीब 30 एकड में फैली है और यहां पर घूमने के लिये बहुत कुछ है । कुछ कुछ इस जगह का डिजाइन कश्मीर के निशात बाग जैसा लगता है । उपर से थोडी थोडी आती हुई जलधारा और उसके बीच में फव्वारे । यहां पर उसे एक कदम आगे बढकर नया रूप दे दिया गया है । फव्वारो पर जो लाइट डलती है वे अलग अलग रंग की होती हैं । यहां पर फूलो से लेकर झील में बोटिंग तक का इंतजाम है ।
फव्वारो में संगीत भी बजता रहता है और यहां पर शाम को पर्यटको के लिये ओपन स्टेडियम जैसा कार्यक्रम भी होता है जो कि बहुत ही मजेदार और देखने लायक होता है । पूरे बाग में स्पीकर लगे हैं जिनसे मधुर संगीत बजता रहता है । मखमली घास और रंगबिरंगे फूल पर्यटको को हर जगह बैठने के लिये मजबूर कर देते हैं ।
मुस्लिम शासक हैदर अली ने 18 वी सदी में मैसूर पर राज किया था । उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे टीपू सुल्तान ने यहां पर राज किया । टीपू ने 1799 तक राज किया । श्रीरंगपटटनम में टीपू सुल्तान और अंग्रेजो के बीच में युद्ध हुआ जिसमें टीपू की हार हुई और अंग्रेजो ने मैसूर पर कब्जा कर लिया । भारत के आजाद होने पर मैसूर अलग राज्य बना था जिसे बाद में कर्नाटक में शामिल किया गया ।
आजादी से पहले तक यह जगह वोडेयार राजाओ की राजधानी हुआ करती थी । श्रीरंगपटटनम मैसूर से करीब दस किमी दूर कावेरी नदी के टापू पर है । अंग्रेजो ने टीपू सुल्तान के मरने के बाद उसकी कब्र भी यहीं पर बना दी । ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पर प्राचीन काल में गौतम रिषी का आश्रम था। यहां पर दरिया दौलत नाम का एक बाग है जहां पर टीपू सुल्तान गर्मियो में रहा करता था । उसकी बनवाई मस्जिद है जिसे देखने के लिये काफी लोग यहां पर आते हैं । यहीं पर दो नदियो का संगम है । यहां पर हमने एक टोकरी की नाव देखी । इस बडी सी टोकरी की नाव में तीन लोग सवार थे । हमने यहां पर ज्यादा समय केवल संगम पर ही बिताया । पर यहां पर हर जगह पर्यटको से वसूली जारी रहती है । संगम को देखने के लिये भी गाडी का और पर्यटको का टिकट लगता है । टायलेट जाने के पांच रूपये तक लिये जाते हैं ।
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बढिया फ़ोटो
ReplyDeleteThanks for sharing useful information and experience about Mysore garden. There are different types of hotels in Mysore available for tourists at affordable rates.
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