गोआ के एक दिन के टूर पैकेज में ही हमें डाल्फिन देखने के लिये भी ले जाया गया । डाल्फिन के इस टूर की अच्छी बात ये थी कि इस टूर में कुछ सुर...
गोआ के एक दिन के टूर पैकेज में ही हमें डाल्फिन देखने के लिये भी ले जाया गया । डाल्फिन के इस टूर की अच्छी बात ये थी कि इस टूर में कुछ सुरक्षा का ध्यान रखा गया था । यहां मै कुछ इसलिये कह रहा हूं कि सुरक्षा के लिये लाइफ जैकेट पहनाना तो बढिया बात थी पर इस टूर में यूज करने के लिये जो बोट थी वो बहुत छोटी थी । जब समंदर में इस नाव ने प्रवेश किया तो समंदर की उंची उठती लहरो के सामने ये बहुत छोटी पड गयी । ऐसा ही डाल्फिन टूर हमने उडीसा की चिलका झील में भी किया था पर वो एक झील थी चाहे वो कितनी भी बडी थी पर थी तो एक झील ही और ये समुद्र था । इसीलिये उस टूर में हम नाव में लेट भी सकते थे और हमने कई कपल देखे जो कि नाव में लेटकर आराम से जा रहे थे पर यहां तो हमारी नाव समंदर की बडी बडी लहरो की वजह से आठ से दस दस फुट तक उपर उछल रही थी और उससे भी ज्यादा डरने वाली बात थी
कि जब हमारी नाव लहरो से उपर उठकर वापस नीचे गिरती तो धड धड की आवाज आती और हमें लगता कि ये नाव अब टूटी कि तब टूटी । लकडी की ही तो बनी थी पर हमारे सब साथियो के होश फाख्ता थे और शार्क देखने में हमारी ज्यादा रूचि नही थी । रास्ते में हमारी नाव एक किले के पास को भी होकर गुजरी और हम उसे देखने से भी ज्यादा बस यही दुआ कर रहे थे कि एक बार हम वापस पहुच जाये तो तब उस गाइड को बतायेंगें कि तूने हमें कहां फंसा दिया । डाल्फिन भी दिखी और नाविक ने पूरी रेस के साथ हमारी नाव को उसके पीछे दौडा दिया । जैसे तैसे करके वापस आये और उसके बाद जब वापस आये तो गाइड को बहुत बुरा भला कहा और वो हंसता रहा । ये बात नही थी कि इस टूर में मजा नही आया था पर वास्तव में नाव बहुत छोटी थी । इसके बाद हमें बस के टूर ने एक जगह रोका जो फेनी की दुकान थी
मेरे साथ मैडम थी और मै पीता भी नही था फिर भी मैने काजू से बनी फेनी की दो बोतल ले ली । ये ज्यादा महंगी भी नही थी और मैने घर आकर अपने दो भाईयो को गिफट कर दी । यहां तक लाने के लिये इनका परमिट भी बनवाया । वैसे कहीं भी कोई चैकिंग नही हुई पर वेे परमिट बनाते हैं ताकि अगर हो जाये तो कोई दिक्कत ना हो । तो गोआ के बीच से लेकर फेनी की दुकान और शार्क टूर से लेकर क्रूज तक काफी कुछ देखा हमने अपने इस गोआ के छोटे से टूर में लेकिन काफी कुछ देखने को भी रह गया । अब शायद हमें दोबारा मौका मिलेगा तो फिर से दिखायेंगें आपको भी और कुछ ।
अगले दिन हमारी ट्रेन थी पुणे के लिये । गोआ से पुणे और फिर मुम्बई और दिल्ली । जबकि पुणे में हमें कुछ नही देखना था और हमारे साथी बुजुर्ग मा0 जी को आती क्या खंडाला देखना था इसीलिये हमने इतना लम्बा कार्यक्रम बना दिया था तो चलें खंडाला की ओर
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