महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौलताबाद में विश्वप्रसिद्ध एलोरा की गुफाओ के पास स्थित घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग जिसे घृष्णेश्वर महादेव व घुम्मेश्व...
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौलताबाद में विश्वप्रसिद्ध एलोरा की गुफाओ के पास स्थित घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग जिसे घृष्णेश्वर महादेव व घुम्मेश्वर भी कहा जाता है 12 ज्योर्तिलिंगो में अंतिम स्थान रखता है ।
इस ज्योर्तिलिंग के बारे मेें प्रसिद्ध है कि यहां इस स्थान पर सुकर्मा नाम का ब्राहमण एवं उसकी पत्नी सुदेश निवास करते थे । उन दोनो को कोई संतान नही थी । दोनो पति पत्नी बडी श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा पाठ किया करते थे । संतान ना होने से दुखी होने के कारण और पत्नी सुदेश के अत्याधिक जोर देने के कारण सुकर्मा ने अपनी पत्नि की ही छोटी बहन धुश्मा से विवाह कर लिया । विवाह होने के बाद धुष्मा को पुत्र प्राप्ति हो गयी । घुश्मा शिव भगवान की अनन्य भक्त थी और बडे विधि विधान से भगवान की पूजा करती थी ।
घुश्मा को पुत्र प्राप्त होने से घुष्मा का मान बढ गया और सुदेश को उससे जलन होने लगी । समय के साथ साथ पुत्र बडा हुआ और उसका विवाह भी हो गया । अब बडी बहन की जलन और बढ गयी थी तो एक दिन उसने इस जलन के कारण घुश्मा के पुत्र को मारने का निश्चय किया और जब वो अकेला सो रहा था तो उसने उसे चाकू से मार दिया ।
जब उसकी पत्नी ने अपने पति की रक्तरंजित लाश देखी तो वो दहाडे मार मारकर रोने लगी पर उस समय घुश्मा पूजा में लगी थी । पूजा करने के बाद घुश्मा ने अपने पुत्र की हालत देखी तो वो रोई नही बल्कि उसने एक ही बात कही कि जिसने मुझे ये पुत्र दिया था वे शिव भगवान ही इसकी रक्षा करेंगें । यह कहकर घुश्मा सरोवर पर गयी जहां पर वो नित्य भगवान शिव का पूजन अर्चन करती थी । यहां पर जैसे ही उसने पार्थिव शिवलिंग का विर्सजन किया तो उसका पुत्र उसके सामने जीवित खडा हो गया और भगवान शिव भी प्रकट हुए और उससे कुछ मांगने के लिये आग्रह किया । भगवान शिव ने उसे उसकी बहन की करतूत के बारे में बताया और उसके मांगने पर उसको सजा देने की बात भी कही पर घुश्मा ने इन सबके लिये मना कर दिया ।
भगवान शिव उससे अत्यंत प्रसन्न हुए और उससे कुछ और मांगने को कहा तो घुष्मा ने वरदान मांगा कि आप यहीं पर बस जाइयें तो भगवान शिव ने उसकी बात मानकर यहीं तालाब के किनारे शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए । इसी कारण इस शिवालय का नाम घुश्मेश्वर महादेव कहलाता है । संतान हीन को यहां पर अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है । ऐसी मन्नत मांगने के लिये काफी लोग यहां पर दर्शन करने आते हैं यहां पर दर्शन करने के लिये दक्षिण के मंदिरो की तरह अजीब सी शर्त है कि पुरूषो को कमर के उपर वस्त्र नही पहनना है । इसके कारण हमारे साथ के मास्टर जी थोडा नाराज हो गये । पर चलो भाई जिसकी जैसी श्रद्धा हो वैसा ही करे । यहां के दर्शन करके हम अजंता की गुफाओ के लिये रवाना हुए जो कि यहां से सौ किलोमीटर के करीब दूर थी
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteवैसे 12वां ज्योतिर्लिंग झारखंड मे अवस्थित बैद्यनाथ धाम को भी कहा जाता है !!