रात को आगरा में शादी समारोह स्थल लाहौल और स्पीति की यात्रा पर से आने के बाद काफी दिन हो चुके थे और मै कहीं नही गया था । कुछ दिन पहले एक ...
रात को आगरा में शादी समारोह स्थल |
लाहौल और स्पीति की यात्रा पर से आने के बाद काफी दिन हो चुके थे और मै कहीं नही गया था । कुछ दिन पहले एक शादी का निमंत्रण आया परिवार में से ही । कोई नयी बात नही थी पर जब कार्ड को गौर से पढा तो पता चला कि लडके की बारात आगरा जा रही है । आजकल इतनी दूर कौन शादी करता है कि बुढाना से बारात आगरा ले जाये ।
पर कोई बात नही हमने इसे भी घूमने के मौके की तरह लिया । चूंकि बात परिवार की थी इसलिये ना करने का तो सवाल ही नही था । अगर कहीं और से निमंत्रण होता तो शायद ना वो बुलाता और ना हम जाते पर यहां चुनिंदा लोग ही जा रहे थे इसलिये मैने उन्हे कह दिया कि मै गाजियबाद में उनको मिलूंगा । तय दिन वे तय समय पर गाजियाबाद में मेरे घर के सामने मुझे बस में मिले और करीब 12 बजे हम गाजियाबाद से चल दिये । शाम के छह बजे तक हम आगरा पहुंचे । बस में शामिल कई लोगो की भी प्लानिंग थी कि हम आगरा जा रहे हैं तो ताजमहल देखेंगें । खासकर कई महिलायें उत्साहित थी पर ऐसा नही हो पाया क्योंकि समय अब समारोह का शुरू हो चुका था और ताजमहल के बंद होने का ।
शादी वाले तो खुश थे पर कईयो के मन मसोसे गये थे । खैर रात को रूकने की व्यवस्था मैरिज होम में मौजूद कई कमरो में बढिया तरह से थी इसलिये कोई दिक्कत नही थी । रात को मेरे फोन करने पर आगरा के प्रसिद्ध ब्लागर रितेश गुप्ता करीब 25 किलोमीटर से बाइक चलाकर मिलने को आये । उसके बाद शादी में व्यस्त हो गये और रात को थोडा सोने की भी कोशिश की पर नींद नही आ पायी ।
सुबह 5 बजे ही बारात वापस चल पडी । मैने उन्हे मना कर दिया कि मै नही जाउंगा । मै करीब साढे पांच बजे मैरिज होम से निकलकर चल पडा । उस समय तक सही से उजाला भी नही हुआ था । एक दो से पूछा तो उन्होने बताया कि भरतपुर जाने के लिये बस ईदगाह बस स्टैंड से मिलेगी । आटो वाले से पूछा तो उसने बताया कि यहां से पन्द्रह किलोमीटर है और सुबह का समय है मै आपसे रियायत करके बस सौ रूपये लूंगा । मैने समय खराब ना करने की वजह से हां भर दी । मुझे पता था कि इस समय रेगुलर आटो नही मिल सकते हैं और रिक्शा आदि जायेगा नही तो ज्यादा देर करने पर सुबह सवेरे पक्षियो को देखने की हसरत ना रह जाये
आटो वाले ने पन्द्रह मिनट में मुझे ईदगाह बस स्टैंड पर उतार दिया । यहां भरतपुर को जाने वाली बस खडी थी जिसमें बैठकर पन्द्रह मिनट बाद बस चल पडी । थोडी ही देर में राजस्थान का गेट आ गया और बस वाले ने मुझे केवलादेव उदयान से थोडी दूर उतार दिया । यहां से उदयान का गेट बमुश्किल दो सौ मीटर होगा । रिक्शा वाला 20 रूपये मांग रहा था पर बाद में दस में ही छोड आया । गेट पर जाते ही मैने सबसे पहले कांउटर देखा और वहां पर टिकट लिया । मैने साईकिल किराये पर लेने के बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि 25 रूपये में आपको छह घंटे के लिये साईकिल किराये पर मिल जायेगी । मैने तुरंत साईकिल की भी पर्ची कटा ली और साईकिल लेकर तीर हो लिये ।
कुछ दिखा ? क्या ? ज्यादातर लोग एक दूसरे से यही पूछते थे यहां पर । साईकिल पर सवार मै भी मजे में चल रहा था । मैने एक छोटा सा बैग कमर पर लिया हुआ था और कैमरा बैग उसमें से निकालकर साइड में टांग लिया था । यहां रिक्शे भी चलते हैं और कुछ ग्रुप्स को छोडकर बाकी लोग रिक्शा पर ही चलते हैं । रिक्शा वालो का नम्बर है और इनका फिक्स चार्ज है 50 रूपये घंटा शायद । इतना खर्च करने के बाद भी रिक्शा वालो का एक सीमित एरिया है जबकि साईकिल को कहीं भी लेकर जा सकते हैं ।
रिक्शा लेने का एक फायदा तो है कि रिक्शा वाला गाइड भी बन जाता है । हर चिडिया का नाम और प्रजाति वो बताता चलता है । साथ ही वही बडे आराम से सारे पक्षी दिखा देता है । पुराना होने के कारण उनकी बारीक नजर होती है । जहां भी रिक्शा रूकता है वहीं लोग फोटो निकालने लगते हैं । मै भी उनकी रिक्शा रूकी देखकर समझ जाता था कि यहां पर कोई पक्षी है और मै भी वहीं पर अपनी साईकिल रोक लेता था । बर्ड वाचिंग मुझे काफी दिनो से अच्छा लगने लगा है लेकिन उनके नाम और प्रजाति में रूचि होते हुए भी मै अपनी हार्डडिस्क में उसके लिये फोल्डर नही बना पाया हूं अब तक । दिमाग में जिम्मेदारियो के फोल्डर इतने हैं कि उस पर शोध करने के लिये समय नही है ।
विदेशी लोगो से लेकर बडे बडे ..........बडे बडे इतने बडे कि पूछो मत कैमरे के लैंस लिये लोग मैने देखे यहां पर । प्रोफेशनल से लेकर शौकिया तक । एक बार को तो शर्म सी आयी क्या ये छोटा सा कैमरा लेकर हम चले आये यहां पर पर फिर देखा कुछ लोग तो बेचारे फोन की ही जान लेने पर तुले हुए थे । उन्हे देखकर अपने आप में विश्वास जगा कि वाहन की ताकत के अलावा उसे चलाने वाले में भी जान होनी चाहिये तो यही सोचकर हमने भी दनादन क्लिक मारने शुरू कर दिये
सबसे पहले एक मंदिर आया । मंदिर के थोडा पास तक पार्किंग है । यहां तक अपने वाहनो से आये लोग वाहन खडे कर सकते हैं । पार्किंग और मंदिर के थोडा सा आगे एक बैरियर लगा था उल्टे हाथ की ओर को । ये रास्ता बांध की तरफ को जा रहा था । यहां पर मुझे एक अंग्रेज मिला जो कि रिक्शा में था और रिक्शा वाले ने उसे कह दिया कि अब उतरकर पैदल घूम आओ क्योंकि अंदर रिक्शा ले जाना मना है । वो बेचारा पैदल घूम रहा था और यहां रिक्शा वाले का मीटर चल रहा था ।
Agra Bharatpur yatra series -
इस पार्क में प्लास्टिक या बोतल जैसा कचरा कहीं फेंक देना प्रतिबंधित है । यहां एक ही कैंटीन है जो कि मंदिर के पास में है । मंदिर के आसपास दो वाच टावर भी बने हैं । कैंटीन में केवल चाय बिस्कुट और चिप्स मिलेंगें पर बिस्कुट और चिप्स को देने से पहले वो इनके पैकेट फाडकर आपको कागज के लिफाफे में डालकर देंगें । अगर आप पानी की बोतल लेना चाहें तो आपको कुछ पैसे सिक्योरिटी के जमा कराने होंगें जिन्हे आप वापसी में खाली बोतल दिखाकर वापस ले सकते हो । एक बढिया प्रयास है पर्यावरण के लिये ।
दीमक का टीला |
प्रर्यावरण के लिए वहा का प्रशासन इतना सचित है सुनकर अच्छा लगा,सभी जगह ऐसी ही व्यवस्था होनी चाहिए.
ReplyDeleteबढिया लेख व चित्र