somnath (12 Jyotirling ) , Gujrat , सोमनाथ महादेव , गुजरात सोमनाथ मंदिर हिंदुओ के अति प्राचीन मंदिरो में से एक तो है ही...
somnath (12 Jyotirling ) , Gujrat , सोमनाथ महादेव , गुजरात |
सोमनाथ मंदिर हिंदुओ के अति प्राचीन मंदिरो में से एक तो है ही साथ ही ये उन मंदिरो में से एक है जिसे उसके वैभव के कारण 17 बार लूटा गया मुस्लिम आक्रमणकारियो द्धारा । इस मंदिर का स्थान हिंदुओ द्धारा बहुत ज्यादा माने जाने वाले भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगो में सबसे पहला भी है । गुजरात के सौराष्ट्र में वेरावल नाम के बंदरगाह अर्थात पोर्ट के किनारे इस मंदिर का प्रमाण वेदो में भी मिलता है ।
भगवान शिव का इतना महत्वपूर्ण स्थान होने के अलावा इस स्थान की खास बात ये भी है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देहत्याग त्रिवेणी संगम पर स्थित भालकातीर्थ नामक स्थान पर किया था ।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान चंद्रदेव ने स्वयं किया था । उन्होने दक्ष प्रजापति राजा की 27 पुत्रियो से विवाह किया था पर वो उनमें से एक का ही ज्यादा प्रेम करते थे । इस बात की शिकायत जब अन्य कन्याओ ने अपने पिता से की तो पिता दक्ष ने सोम अर्थात चन्द्र को श्राप दिया कि अब से तुम्हारा तेज दिन प्रतिदिन घटता जायेगा और ऐसा ही हुआ । अपना तेज घटते देखकर सोम ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी । भगवान शिव ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसको आर्शीवाद दिया और राजा का श्राप खत्म करके तेज वापस लौटाया ।
इस मंदिर को 17 बार लूटा गया और नष्ट किया गया जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान महमूद गजनवी ने किया जिसने अपने 5000 साथियो के साथ इस मंदिर को लूटा और यहां के कई हजार लोगो को कत्ल कर दिया गया । औरंगजेब ने भी इस मंदिर को नष्ट करने में कोई कसर नही छोडी । वर्तमान में जो मंदिर खडा है उसे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पुननिर्माण कराया था । मंदिर की अथाह सम्पदा को लूटने के अलावा इन आताताईयो ने मंदिर के शिवलिंग को भी कई बार नष्ट और खंडित किया ।
इस मंदिर पर एक तीर लगा है जिससे पता चलता है कि इस मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच कोई जमीन नही है सिर्फ और सिर्फ समुद्र है । 1995 में इस मंदिर का पुननिर्माण करके जनता के सुपुर्द कर दिया गया और उसके बाद नरेन्द्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां पर अभूतपूर्व कार्य कराये हैं । जिस समय हम गये तो त्रिवेणी संगम का जीर्णोद्धार चल रहा था । उसी के साथ साथ सोमनाथ मंदिर के पीछे की ओर समुद्र किनारे मुम्बई की तर्ज पर चौपाटी का विकास हो रहा था । उसके बाद कई लोगो से बात हुई जिन्होने बताया कि अब तो वहां पर ये दोनो जगह बहुत सुंदर हो गयी हैं ।
मंदिर का संचालन ट्रस्ट करता है जिसने यहां पर रूकने के लिये धर्मशालाओ की अच्छी व्यवस्था की हुई है । यदि आप धर्मशाला में कमरा लेना चाहें तो वो सब सिंगल विंडो बना दी गयी हैं । अर्थात कई सारी धर्मशालाओ को मिलाकर एक बना दिया गया है जिससे कि आदमी को जगह जगह भटकना नही पडता । इस मंदिर में श्राद्ध और अन्य कर्मकांड भी होते हैं । यहां पर मौजूद हिरणा , कपिला और सरस्वती का महासंगम भी है जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है । उसके बाद इन तीनो नदी का संगम समुद्र से होता है ।
श्रद्धा के केन्द्र इस शहर में दस किलोमीटर के दायरे में छोटे बडे करीब 50 मंदिर है जिनमें सोमनाथ मंदिर के अलावा प्राचीन शिव मंदिर जो कि अहिल्याबाई होल्कर द्धारा स्थापित किया गया था , भी है ।भालका तीर्थ और त्रिवेणी संगम भी बहुत बढिया जगह हैं देखने के लिये
द्धारका से सोमनाथ जाने का रास्ता बडा मजेदार है यहां पर रास्ते में बरगद के पेड मिलते हैं जिनकी दाढी इतनी लम्बी होती है कि जमीन से मिली रहती है और ये बहुत पुराने पेड हैं तो ये दाढी मजबूत भी काफी हैं । ये पेड इस पूरे रास्ते बहुत मिलते हैं । इसी रास्ते पर एक बीच भी दिखता जाता है किनारे किनारे पर इस बीच पर नहाना खतरनाक बताते हैं क्योंंकि यहां पर लहरो का बहाव बहुत तेज है । रास्ते में पोरबंदर भी पडा पर हमने उसे देखने के लिये गाडी नही रोकी । हमारा लक्ष्य सिर्फ सोमनाथ था आज के लिये ।
सोमनाथ से पहले ही पोर्ट होने की वजह से बहुत भयंकर बदबू आने लगी । यहां पर बताते हैं कि बदबू इस वजह से आती है कि मछली को सुखाते भी हैं ताकि जब बरसात आदि की वजह से समुद्र में जाना ना हो सके तो उससे भी काम चलाया जा सके
दोनो चित्र विशाल राठौड के ब्लाग से साभार क्योंकि हमने अपना कैमरा यहां पर निकाला ही नही था मंदिर में जाने के कारण
Brought back flashes of memories, of my visit there last july. I can bet Somanath was one serene place I ever experienced in life, in entire world. There is a strong sense of peace, love and humanity in that place. The sea that we saw in mild rains, was awesome.
ReplyDeleteNice Post and content.
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