दमनगंगा नदी एक दूसरे से 700 किलोमीटर दूर की जगहो को एक साथ माना और नाम लिया जाता है दमन और दीव । 1961 में भारत में मिलने से पहले तक यहां...
दमनगंगा नदी |
एक दूसरे से 700 किलोमीटर दूर की जगहो को एक साथ माना और नाम लिया जाता है दमन और दीव । 1961 में भारत में मिलने से पहले तक यहां पर पुर्तगाली शासन था । दमन अरेबियन सागर के किनारे बसा है । नानी और मोती जिसका मतलब गुजराती में छोटा और बडा होता है दो भाग हैं दमन के जो कि एक पुल के द्धारा जुडे हुए हैं ।
जूनागढ में दोपहर तक घूमने के बाद हमने अपना सफर शुरू कर दिया । अब हमें काफी लम्बा सफर करना था और हम शाम तक भरूच पहुंच पाये । इससे आगे का सफर अभी काफी लम्बा था इसलिये हमने भरूच में ही रूकने की सोची तो हमने यहां पर कमरे ढूंढने शुरू कर दिये । मुझे तो पता ही नही था तो मै मुसाफिरखाना नाम के एक होटल में भी घुस गया । बाद में अन्दर देखा तो अहसास हुआ कि ये तो मुस्लिमो का है । बाद में स्टेशन के पास एक कमरा मिल गया तो रात यहीं पर गुजारी । अगले दिन सुबह सवेरे उठकर ही हमें दमन के लिये चल देना था
मुम्बई और गुजरात वासियो के लिये एक संघ शासित प्रदेश में जाकर वीकेंड मनाना बढिया रहता है । दमन इसके लिये परफेक्ट जगह है । गुजरातियो की काफी संख्या यहां पर इसलिये आती है कि वे जाम छलका सकें जो कि गुजरात में बैन है । जब हम यहां पर पहुंचे तो घुसने से पहले ही चैक पोस्ट पर गाडी रोकनी पडी । यहीं पर एक अजीब मामला सामने आया । जिस ड्राइवर के सहारे हम घर से निकलकर राजस्थान और गुजरात घूमकर आ चुके थे उसने जब ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया तो वो एक्सपायर हो चुका था । जब चैक पोस्ट पर तैनात कर्मी ने मुझे वो दिखाया तो मैने झट से मामले को संभालते हुए कहा कि सर मेरा डीएल देख लो । उसने पूछा कि आपका क्यूं देखूं ? ड्राइवर तो ये है ना ? मैने कहा नही सर ड्राइवर दोनो हैं क्योंकि हम काफी लम्बी यात्रा पर हैं जिसमें दिन रात चलते हैं और अभी अभी गाडी इसे दी थी ।
पर फिर भी गाडी तो यही चला रहा था इसका तो चालान होगा । बडी मुश्किल से समझाबुझाकर और किसी तरह से मनाकर कि अब से ये गाडी नही चलायेगा मैने गाडी की सीट संभाली और आगे बढे । बाद में ड्राइवर को खूब लताडा और दमन से निकलने तक गाडी मैने ही चलायी । दमन में हमें रूकना नही था क्योंकि आज सुबह ही भरूच से निकले थे इसलिये यहां के बीच देखना चाह रहे थे पर जहां पर हम थे वहां पर बहुत दूर दूर तक कीचड थी उसके बाद समुद्र का पानी ।
लोकल बंदो ने बताया कि यहां पर बीच नहाने के लायक नही है क्योंकि इसमे दूर तक छोटे बडे पत्थर भी हैं । तो फिर यहां पर देखने को क्या है ? ये पूछने पर उन्होने बताया कि आप किला देख लो जिसे मोती दमन कहा जाता है । तो वहां से हम दमनगंगा नदी पर बने पुल को पार करके किले में पहुंचे । यहां पर एक चर्च है जो कि 1603 का बना हुआ है जब पुर्तगालियो ने यहां यहां पर राज किया था । किले के एक ही ओर चारदीवारी है क्योंकि दूसरी ओर सागर है । किले में लकडी और शीशे के उपर पेंटिंग का काम काफी सुंदर है। ये दोनो जगहे देखने लायक हैं । वैसे एक बीच जैम्पोर नाम का देखने लायक है पर हम वहां पर नही गये क्योंकि हमें इस यात्रा में अभी मुम्बई में भी बीच देखने थे और अभी द्धारका और सोमनाथ में भी देखकर आये थे । एक ही यात्रा में एक ही तरह की कई चीजो से अक्सर बोर हो जाते हैं
72 वर्ग किलोमीटर में फैले दमन को दमनगंगा नदी दो भागो में बांटती है । नानी दमन और मोती दमन । होटल और रैस्टोरेंट नानी दमन में स्थित हैं जबकि प्रशासनिक भवन मोती दमन में । वापी नाम की जगह जो कि मुम्बई अहमदाबाद हाइवे पर स्थित है से 10 किलोमीटर की दूरी पर दमन स्थित है । ये दमनगंगा नदी जो कि दमन में सागर से मिलती है ये 65 किमी0 दूर घाट से शुरू होती है और दादरा और नगर हवेली को पार करते हुए यहां पर आती है । बीच में इसमें तीन छोटी छोटी नदियां और भी मिलती हैं पीरी , वरना और सकर्तोंद । दमन की मुम्बई से दूरी 193 किमी0 है । दमन और दीव दोनो ही रेल द्धारा जुडे हुए नही हैं । दमन का नजदीकी रेलवे स्टेशन वापी है लेकिन दमन और दीव दोनो में ही हवाई अडडे हैं ।
चूंकि इस यात्रा के फोटो दुर्भाग्यवश कैमरे से डिलीट हो गये थे इसलिये मोबाईल से खींचे गये या फिर प्रिंट करवा लिये गये फोटोज को स्कैन करके ही लगाये हैं
NORTH INDIA YATRA-
daman church |
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दमनगंगा पर बना पुल यहां से थोडा आगे नदी समुद्र में मिल जाती है |
किले का पिछला हिस्सा समुद्र से लगा हुआ |
GREAT PICTURES ALL!
ReplyDeleteDriver pagal hi tha kya
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