way to shillong peak शिलांग पीक से शिलांग का नजारा देखने के बाद हमें लीविंग रूट ब्रिज देखने जाना था । ये वो जगह थी जहां पर जाने के लिये ...
way to shillong peak |
शिलांग पीक से शिलांग का नजारा देखने के बाद हमें लीविंग रूट ब्रिज देखने जाना था । ये वो जगह थी जहां पर जाने के लिये मै सबसे ज्यादा उत्साहित था । मैने कहीं पर फोटो देखे तो मै कुदरत के इस अजूबे को देखकर दंग रह गया था । खैर मै आपको बढिया तरीके से इस जगह को दिखाउंगा ।
शिलांग पीक के रास्ते में आर्मी एरिया होने के कारण आप फोटो नही ले सकते लेकिन शिलांग पीक से एरिया से बाहर निकलने के बाद हमें बहुत सुंदर जगह मिली । यहां पर दूर दूर तक खेत थे जो कि चाय के बागानो की तरह थे । खेतो के बाहर ही सब्जी मंडी की तरह कई दुकाने लगी थी जिनमें खेतो से तोडी गयी ताजी सब्जियां बिक रही थी । यहां पर पर्यटको के लिये भी गाजर और मूली आदि को बेचा जा रहा था । इससे बढिया क्या हो सकता था । सबने नमक लगा लगाकर खूब खाये ।
शिलांग के मेघालय की राजधानी बनने की कहानी भी मजेदार है । अंग्रेजो ने पहले चेरापूंजी को अपना ठिकाना और मुख्यालय बनाने की सोची थी लेकिन यहां पर बारिश की हद से भी ज्यादा विकरालता ने उन्हे यहां से बोरिया बिस्तर उठाने पर मजबूर कर दिया । फिर उन्होने 55 किमी0 दूर शिलांग में इसे बनाया । शिलांग की बनावट कुछ कुछ स्काटलैंड के जैसी है । बाद में इसे असम की राजधानी बना दिया गया । शिलांग की उंचाई कुछ जगहो पर 1200 मीटर तो कहीं पर 1900 मीटर है ।
सडके बढिया बनी हैं और कहीं भी जाने के लिये साधनो की कमी नही है । शिलांग से दो नेशनल हाईवे गुजरते हैं । एक 40 किलोमीटर का जो शिलांग को गुवाहटी से जोडता है । दूसरा है जो 44 किलोमीटर लम्बा है और शिलांग को त्रिपुरा और मिजोरम से जोडता है । राज्य की 85 फीसदी आबादी जनजातिय है और उसमें से भी 70 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म को मानने वाले हैं । इनमें भी खासी , गारो और जयतिंया क्षेत्र हैं जिनकी अपनी अपनी मान्यताऐं हैं वे भी साथ साथ चलती है । अर्थात कुल मिलाकर ये एक विविधता से भरा राज्य है जो अपने आप में भारत की तरह अनेकता में एकता का अनुभव कराता है ।
वैसे तो यहां पर आने के लिये सबसे उपयुक्त मौसम अक्टूबर से मई का है लेकिन मानसून में भी लोग यहां पर आते हैं । दरअसल मानसून में यहां के झरनो की विशालता बढ जाती है पर मानसून में आयें तो कुछ दिन अतिरिक्त लेकर आयें क्योकि ज्यादा तेज बारिश में आपको होटल में बंद भी रहना पड सकता है ।
पर हां ये भी सच है कि जब मानसून के दौरान बारिश होती है तो शिलांग और चेरापूंजी जीवंत हो उठता है । पूरे शहर की खूबसूरती और भी बढ जाती है । आप फोटो में भी देख रहे होंगें कि चारो ओर हरियाली ही हरियाली का जोर है ।
जब यहां पर लोग घूमने के लिये आते हैं तो सबसे ज्यादा दिमाग में एक बात ही घूमती है कि यहां पर आतंकवाद और झगडे होंते हैं । लेकिन ऐसा नही है और साल के ज्यादातर समय ये काफी शांत इलाका है । कभी कभार बंद या हडताल के आयोजन में जरूर यहां पर परेशानी उठानी पड सकती है पर ऐसा तो किसी भी पर्यटन स्थल के बारे में पक्का नही कहा जा सकता
प्रकृति का अजूबा देखने के लिये हमें रिवाई गांव जाना था ।
NORTH EAST TOUR-
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ताजी सब्जियां |
मेघालय का ग्राम्य जीवन |
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