cherrapunji to shillong , meghalaya एशिया के सबसे स्वच्छ गांव को देखकर मन प्रसन्न हो गया । प्रसन्नता का एक कारण ये भी था कि इस पुरस्कार...
cherrapunji to shillong , meghalaya |
एशिया के सबसे स्वच्छ गांव को देखकर मन प्रसन्न हो गया । प्रसन्नता का एक कारण ये भी था कि इस पुरस्कार को पाने वाला गांव हमारे देश का है । आमतौर पर भारत के गांवो के बारे में एक छवि जो तुरंत बनती है वो होती है धूल , गंदगी की । ऐसे में अपनी सीमाओ से परे जाकर भी हमारे एक गांव ने इस पुरस्कार को प्राप्त किया तो कहीं ना कहीं ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उस छवि को तोडता है ।मेघालय का ग्राम्य जीवन भी ऐसा ही है । लडकियां और औरते अपने शरीर पर कपडो के अतिरिक्त एक कपडा और बांधे रखती हैं । इसमें वे पीछे अपने बच्चो को रख लेती हैं । यहां पर फुटबाल का बहुत शौक है । अन्य कोई खेल मैने खेलते नही देखा किसी बच्चे को पर फुटबाल तो हर गांव में मिल जाता था ।
दो दिन से हम खूब घूम रहे थे तो आज वापसी में सब थके होने के कारण कमरे पर आकर धम से गिर पडे । खाना खाने के लिये भी बडी मुश्किल से तैयार हुए । सब अपना खाना पैक कराकर मंगाने के लिये कह रहे थे । मेघालय का सफर लगभग पूरा हो चुका था बस एक ही जगह हमारे टूर की रह गयी थी । बडापानी नाम की झील जो कि गुवाहटी के रास्ते में थी उसे आते समय नही देख सके थे तो इस बार जाते समय जरूर देखना था ।
एक जगह शिलांग में वार्डस लेक थी जो हम नही देख पाये थे तो ये कार्यक्रम बनाया कि कल का दिन आराम से गुवाहटी तक ही जाना है । सुबह सवेरे उठकर हम जब नाश्ता करने के लिये हरिओम होटल पुलिस बाजार में गये तो वापसी में वहीं पर पास ही में मौजूद वार्डस लेक पर पर भी चले गये । अभी इतनी सुबह थी कि हमें टिकट काउंटर खुलने का भी इंतजार करना पडा ।
हमारे अलावा वहां पर अभी कोई नही आया था । बाकी लेक का भ्रमण अगली पोस्ट में फिलहाल एक दिमाग में काफी दिना से चल रही सोच को निकालना है
कई पाठक ऐसे हैं जो ये कहते हैं मुझे कि मुझे सिर्फ स्थानो पर ही ध्यान देना चाहिये लिखने पर । अगर मै शिलांग के बारे में लिखूं तो वे ठीक समझते हैं अगर मै शिलांग से चेरापूंजी या अन्य जगह के रास्ते के बारे में लिखू तो उसे वे बेकार समझते हैं । या सोचते हैं कि मेरे द्धारा पोस्ट बढाने के लिये ऐसा लिखा जा रहा है । कुछ लोग मेल से कुछ फोन से और कुछ अन्य तरीको से मुझे ऐसा बताते हैं ।
मैने भी इस बारे में सोचा कि क्या वे जो कह रहे हैं वो सही है ? चूंकि जो इस बात की शिकायत कर रहे हैं वे सब मेरे मित्र , मेरे ब्लाग के पाठक हैं और मेरे शुभ चिंतक हैं तो मुझे इस बारे में सोचना पडा । मैने अपना मन बनाया और सोचा कि महत्पूर्ण फोटोज को ही स्थान दूंगा और जैसा वे चाहते हैं वैसा ही लिखूंगा पर इसमें एक समस्या आडे आ गयी । कुछ लोगो ने ये भी प्रशंसा की है कि आपके ब्लाग पर अगर हमें समय ना भी हो तो भी हम पढे बिना ही एक बार को जो आप जगह दिखा रहे हैं उसके बारे में देखकर समझ जाते हैं । कुछ ने कहा कि आपके ब्लाग में पढने को कम और देखने को ज्यादा है इसका फायदा ये है कि हमारे पास ज्यादा समय नही होता है और हम किसी भी ब्लाग पर समय ज्यादा नही दे पाते हैं पर आपके ब्लाग पर हमें हमारे मनमुताबिक मसाला मिलता है ।
फिर कुछ लोगो ने फोन करके ये भी बताया है कि आपके ब्लाग को पढने के बाद हम जब फलां जगह घूमने गये तो हमें ऐसा लगा ही नही कि हम किसी नयी जगह पर आये हैं । हमें तो आपके ब्लाग की पोस्ट पढकर और फोटो देखकर बिलकुल अंदाजा हो गया था ।
कई सारी बातो को सुनता रहा मै साल भर तक और फिर इसी बीच मै भी किसी टूर पर जाने की तैयारी करता तो मै भी नेट पर खंगालने के दौरान उसी साइट को ज्यादा महत्व देता जिसमें छोटी बडी बात से लेकर मुझे उस जगह को ज्यादा गौर से देखने को मिलता । सच पूछिये तो इस मेघालय के टूर से पहले लीविंग रूट ब्रिज और एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के बारे में नेट से ही देखकर मैने फाइनल किया था ।
तो मैने अपने अनुभव और सलाहो के आधार पर ये तय किया कि मै जो करीब पन्द्रह से बीस के बीच फोटो लगाता हूं वही तरीका ठीक है । इंडीब्लागर से आने वाले मेरे मित्रगण जो कि बार बार मुझे कहते हैं कि आप अंग्रेजी में लिखा करो वे भी एक बार को फोटो देखकर परेशान नही होते नही तो मुझे इंडीब्लागर जैसी साइट पर इतना प्यार ना मिला होता ।
NORTH EAST TOUR-
आप क्या मानते हो ? कमेंट में बताईयेगा जरूर
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शिलांग के लिये वापसी |
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हमें ये कहना है कि एक साथ सबको खुश नहीं किया जा सकता, अपनी पसंद के साथ साथ पाठकों की पसंद को जितना हो सके समायोजित करके लिखते रहिये। मुख्य पर्यटन स्थल और मुख्य-मुख्य बातें प्रचुरता में वैसे भी सरलता से उपलब्ध हो सकती हैं इसलिये छिटपुट जानकारियाँ उपलब्ध करवाना कहीं से भी आसान काम नहीं है।
ReplyDeleteआपकी दृष्टि हमें प्रभावित करती है। जो सबको दिखायी पड़ता है, उसके इतर कुछ देख सकना रोचक है।
ReplyDeleteaapka tarika bhut achha hai aisa lagta h jaise hum bhi wanhi ghoom rahe ho. thanks for shearing.
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