हम सोहरा के लिये जा रहे थे । सोहरा ? वो कौन सी जगह है ? सोहरा कहते हैं चेरापूंजी को । सोहरा ही असली नाम है । यही है वो जगह जो एक बार को सबस...
हम सोहरा के लिये जा रहे थे । सोहरा ? वो कौन सी जगह है ? सोहरा कहते हैं चेरापूंजी को । सोहरा ही असली नाम है । यही है वो जगह जो एक बार को सबसे ज्यादा गीली जगह के होने के लिये प्रसिद्ध थी ।
अब नही है क्योंकि अब ये दूसरे स्थान पर आ गयी है । पहला स्थान भी इसी क्षेत्र में इससे ज्यादा दूर नही है । कुल मिलाकर इस इलाके में वर्षा का खासा दबदबा है ।
इस इलाके में गाडियो में मारूति 800 , आल्टो और टाटा की नैनो सिक्किम की तरह खूब इस्तेमाल होती हैं टैक्सी में । हम भी दो मारूति 800 में ही सफर कर रहे थे । एक बात जो मुझे और हमारे साथ बैठी महिलाओ को भी दिक्कत कर रही थी वो थी यहां पर जगह जगह खुली मांस की दुकाने । वो भी खुलेआम मेन रोड पर
हम बीच में जिस जिस गांव या कस्बे से गुजरे उसी में मुख्य मार्केट और मेन रोड पर जो दुकाने थी उनमें ज्यादातर मांस की थी और उन पर भी होड सी थी कि किस दुकान पर सबसे बडा मांस का लोथडा टंगा हो । यहां पर ज्यादा बडे बडे लोथडे देखे तो मैने ड्राइवर से पूछ लिया कि यहां पर ये किस जानवर का मांस टंगा है ? उसने बताया कि यहां पर सबसे ज्यादा उंट और बैल का मांस बिकता है । उंट और बैल और यहां ? यहां तो उंट होते नही होंगें ? उसने कहा कि यहां पर हों या ना हो आपके यहां तो होते हैं वहीं से आते हैं ।
एक और बात थी कि ज्यादातर लोग आदमी और औरते यहां के सबके मुंह लाल मिले । ऐसा लगा कि जैसे पान खाते हों सब । मैने ड्राइवर से पूछा तो उसने बताया कि यहां के ज्यादातर लोग मांसाहारी तो हैं ही पर ये इस तरह के मांसाहारी थे कि सीधा जानवरो का खून ही पिया करते थे और उसके बाद बाहर की हवा आयी और थोडा सरकार ने ध्यान दिया तो अब ये पान ज्यादा खाते हैं । वो हंसकर कहने लगा कि लाल मुंह करना अभी गया नही इनका ।
यहां मेघालय में औरतो का राज चलता है । औरतो को ही घर का मुखिया माना जाता है । रास्ते में कई जगह औरते दिखी जिन्होने कपडे चाहे जो भी पहने थे पर उनके उपर एक वस्त्र जरूर डाल रखा था और वो ज्यादातर चैक का कपडा सा था आगे की ओर जैसे खाना बनाने वाला शेफ आगे पहनता है ।
ये खासी हिल्स हैं और खासी लोगो की पूजनीय देवता ये मूर्ति होती है जो आप इस पोस्ट के सबसे पहले फोटो में देख रहे हो । इससे पहली पोस्ट में मैने आपको दिखाया था कि गाडी में भी ये लोग इसी को लगाकर रखते हैं ।
हमारा अगला लक्ष्य तो ईको पार्क था पर उससे पहले ड्राइवर ने हमें एक और प्वांइट पर रोका जो कि बांस से बनी चीजो का म्यूजियम था । इसमें हर चीज बांस से बनी थी । सोफे से लेकर फूलो तक और दैनिक यूज में आने वाली सभी चीजे यहां पर थी । साथ ही इस म्यूजियम में इन सामानो की बिक्री भी होती थी तो इसे शोरूम भी कह सकते हैं ।
NORTH EAST TOUR-
Bamboo musium |
bamboo flowers |
bamboo flowers |
bamboo flowers |
बांस से बनी दैनिक उपयोग का वस्तुए व फूल शानदार है.
ReplyDeleteएक ही देश में इतनी विचित्र और भिन्न जीवनशैली, बड़ा रोचक है यह देश।
ReplyDeletebahuth badiya lekh ......ek ek chiz ankhoon ke samne aa gai.
ReplyDeleteबहुत सुंदर बांस से बनी चीज़ें..... अद्भुत चित्र संजोये पोस्ट
ReplyDeleteBeautiful shots and beautiful bamboo flowers!
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