कालीघाट मां काली के मंदिर के लिये प्रसिद्ध है । 51 शक्तिपीठो में से एक इस जगह पर माता पार्वती के पैर की अंगुलियां गिरी थी । मैने एक बार पहले...
कालीघाट मां काली के मंदिर के लिये प्रसिद्ध है । 51 शक्तिपीठो में से एक इस जगह पर माता पार्वती के पैर की अंगुलियां गिरी थी । मैने एक बार पहले भी माता के दर्शन किये थे और आज दोबारा मौका मिल रहा था । काली माता का रूप यहां पर प्रचंड रूप में है जिसमें माता नरमुंडो की माला धारण किये भगवान शिव की छाती पर पैर रखकर खडी दिखायी देती हैं ।
हमने तो देखा नही पर बताते हैं कि यहां पर रोज बकरे की बलि भी दी जाती है । तंत्र साधना के लिये भी माता का ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है । हमारे टैक्सी वाले ने यहां पर भी हमें बता दिया था कि जगह कम होने की वजह से मै टैक्सी दूर रखूंगा इसलिये जब आप दर्शन कर लें तो मुझे फोन कर दें । हमने अपना सामान वगैरा गाडी में ही छोड दिया यहां तक कि अपने जूते वगैरा भी । उसके बाद हम मंदिर की ओर चल पडे । मंदिर के रास्ते में प्रसाद की काफी दुकाने हैं ।
इन दुकानो पर प्रसाद के अलावा औरतो की खरीददारी भी हो जाती है । माता के इस मंदिर में प्रवेश द्धार भी शायद एक से ज्यादा हैं क्योंकि जिस रास्ते से हम गये जब निकले तो दूसरा रास्ता था जो कि हमें गाडी वाले ने बताया । मंदिर में पंडो का आतंक तो सर्वज्ञात है । हमें भी घेरने की कोशिश की गयी पर मै पहले भी देख चुका था कि ये आतंक पंडो का अपना बनाया हुआ है । मंदिर प्रशासन की इसमें भले ही मूक सहमति हो पर ऐसा नही है कि यहां पर जबरदस्ती प्रशासन या पुलिस कुछ भी होने देंगे । बस आपको करना ये है कि आप किसी भी ऐसे पंडे या आदमी से बहस ना करें । बहस करने से आपकी गलती निकल सकती है अथवा आपका पक्ष लोकल लोगो के सामने कमजोर पड सकता है ।
खैर हमने काफी आराम से दर्शन किये भीड ज्यादा होने के बावजूद । इसके बाद हम लोग बाहर आये और गाडी में बैठकर बिडला तारामंडल पर गये । सौभाग्य से शो शुरू होने ही वाला था । हमने टिकट ले लिया । ये पहली बार था जो मै तारामंडल के बारे में जान रहा था । एक गोल से हाल में हम बैठे और पूरी की पूरी छत जो कि इस गुम्बद की थी उस पर रात उभर आयी । उसके बाद तारे उभरे और उनके बारे में बताया गया । फिर सौरमंडल के ग्रहो के बारे में विस्तार से बताया गया । ये शो ऐसा था कि मुंह से बोल नही निकल रहे थे । हर किसी को जरूर देखना चाहिये ।
साढे बारह बजे शो का टाइम था । ये शो 45 मिनट का होता है । हाल में सीटे बडी आरामदायक थी । जब हम बैठै तो रात शुरू हुई थी और जब सुबह हो गयी तो हम उठ गये थे सब ग्रहो की दूरी और उनके लिये चलाये गये अभियान की जानकारी भी दी गयी
आज 6 ता0 का खर्च चार आदमियो का भी बता देता हूं
1000/— कमरे के मैने दिये
30/— पानी
100/— टिकट सांइस सिटी
40/— ट्रेन टिकट
1200/—किराया गाडी
198/— खाना
25/— पार्किंग
120/—टिकट तारामंडल
40/—विक्टोरिया मैमोरियल टिकट
साढे बारह बजे शो का टाइम था । ये शो 45 मिनट का होता है । हाल में सीटे बडी आरामदायक थी । जब हम बैठै तो रात शुरू हुई थी और जब सुबह हो गयी तो हम उठ गये थे सब ग्रहो की दूरी और उनके लिये चलाये गये अभियान की जानकारी भी दी गयी
आज 6 ता0 का खर्च चार आदमियो का भी बता देता हूं
1000/— कमरे के मैने दिये
30/— पानी
100/— टिकट सांइस सिटी
40/— ट्रेन टिकट
1200/—किराया गाडी
198/— खाना
25/— पार्किंग
120/—टिकट तारामंडल
40/—विक्टोरिया मैमोरियल टिकट
मनु भाई,
ReplyDeleteबड़ा सुन्दर वर्णन तथा चित्रण, मज़ा आ रहा है आपके साथ कोलकाता की सैर पर. दक्षिणेश्वर काली मंदिर यही है या कोई दूसरा है?
कितने वर्षों का इतिहास समेटे है कोलकाता
ReplyDeleteदिल्ली स्थित नेहरू तारामडंल मे भी एक छोटी सी फिल्म चलती है.
ReplyDeleteकोलकाता शहर घुमाने के लिए आभार.
Amazing pics!
ReplyDeleteमेरे सपनों का शहर, एक जीवंत महानगर!! आज बहुत दिनों बाद आपने फिर से घुमा दिया उन्हीं गलियों में!! आभार!
ReplyDeleteNice post and pics!!
ReplyDeletewww.eatoutsdelhi.net