पर हां जैसे ही हम सिलीगुडी से आगे बढे तो रास्ते में तीस्ता नदी मिली । तीस्ता नदी यहां की पहचान है और जीवन रेखा भी है जो रास्ते भर सांपनी की ...
पर हां जैसे ही हम सिलीगुडी से आगे बढे तो रास्ते में तीस्ता नदी मिली । तीस्ता नदी यहां की पहचान है और जीवन रेखा भी है जो रास्ते भर सांपनी की तरह लहराती हुई चलती है । एनजेपी और यहां के एयरपोर्ट बागडोगर दोनो से गंगटोक की दूरी करीब 125 किलोमीटर है । दोनो जगह से ही गंगटोक जाने के लिये कम से कम पांच घंटे लगते हैं । रास्ता पहाडी होने के कारण एक दो बार ब्रेक लेना पडता है एक दो बार हो सकता है कहीं पर रास्ता खराब होने या मरम्मत चलते होने के कारण भी आपको ब्रेक मिल जाये
गंगटोक जाना हो एनजेपी स्टेशन से तो मांगने को तो काफी रूपये मांगते हैं पर पन्द्रह सौ के आसपास गाडी होनी बढिया रहती है क्योंकि यहां पर 150 रूपये में शेयरिंग वाली टैक्सी बेहिसाब चलती हैं । न्यू जलपाई गुडी से आगे चलकर सिलीगुडी आता है । यहां से गंगटोक के लिये बसे भी चलती हैं । एनजेपी से ज्यादा टैक्सियां यहां से भी चलती हैं पर बाहर से आने वाले लोगो को पता नही होता यहां के बारे में । जब एनजेपी में मनमाफिक रेट पर टैक्सी नही मिली होगी तो हमारे टूर आपरेटर ने हमें आटो में बिठा दिया पहले तो लगा कहीं मजाक तो नही हो रहा पर फिर सिलीगुडी में उसने हमें टैक्सी में बिठाया ।
कुछ किलोमीटर सिलीगुडी से चलने के बाद ही सिक्किम का प्रवेश द्धार आ गया और उसके साथ ही उसके पास में लगी शराब की और बीयर की दुकाने भी । ड्राइवर बडा खुश होकर बता रहा था कि अब आप देखना हमारा सिक्किम कितना सुंदर और बढिया है । उसने ये भी बताया कि यहां पर बीयर बहुत ही सस्ती है और यहां पर डैनी डेंजोरप्पा की भी फैक्ट्री है बीयर की जो उसने रास्ते में हमें दिखायी । सिक्किम के प्रवेश द्धार से पहले ही ड्राइवर ने हमें बता दिया था कि आप सब अपना पहचान पत्र निकाल कर रख लो दिखाना पडेगा । वैसे जब ड्राइवर ने बताया कि सब एक साथ हैं तो उन्होने एक ही आदमी का देख कर वापस कर दिया ।
यहां आगे चलकर तीस्ता और रंजीत नदी का संगम होता है । इस संगम में दोनो नदी के पानी के रंग अलग अलग दिखायी देते हैं । उसी के पास रिवर राफिटंग होती है। उससे आगे मल्ली ब्रिज आता है । यहीं से आगे कलिम्पोंग का रास्ता आता है । पूरे रास्ते तीस्ता के नाम के ही माइलस्टोन आते रहते हैं ।
इसके बाद मल्ली बाजार आता है । यहां पर खाने पीने का इंतजाम है । यहीं से पेलिंग के लिये रास्ता कटता है । मल्ली से आगे ही डैनी डेंजोरप्पा की फैक्ट्री दिखायी थी ड्राइवर ने । 12 किमी0 पहले रानीपूल कस्बा आता है और 4 किमी0 पहले देवराली स्टैंड
बाहर से आने वाली प्रत्येक टैक्सी या आठ सीटर एसयूवी गाडी जैसे टाटा सूमो या पिकअप आदि शहर में घुस नही सकती । वे यहां पर रूक जायेंगी और यहां से आगे आपको छोटी टैक्सी में जाना पडेगा चाहे आपको शहर घूमना हो या फिर शहर के दूसरे छोर या दूसरी ओर के रास्ते पर जाना हो
गंगटोक शहर
पांच बजे के करीब हम गंगटोक पहुंच गये यहां पर देवराली बस स्टैंड के पास टैक्सी ही नही होटलो की भी भरमार है । हम भी अपने आपको तुर्रम खां से कम नही मान रहे थे । गाडी में लुटने का अहसास हो गया था इसलिये होटल कम से कम पैसो में करना चाहते थे । परिवार तीन थे लेकिन कमरे चार लेना चाह रहे थे क्योंकि मनीराम जी के परिवार में पांच सदस्य थे । यहां पर उतरते ही एक दो होटल में पूछा तो उन्होने हजार से उपर के ही कमरे बताये । हमने औरतो को सामान के साथ यहीं पर खडा किया और मा0जी और मनीराम जी एक तरफ जबकि मै एक तरफ निकल गया होटल ढूंढने के लिये । हमने काफी ढूंढा पर होटल या तो इससे महंगे थे या फिर कमरा उपलब्ध नही था । एक घंटा ढूंढने के बाद फोन पर यही तय हुआ कि उसी होटल पर चला जाये ।
जब तक यहां आये तो यहां पर मौजूद चार कमरो में से दो जा चुके थे । अब इन दो कमरो का ना लें तो रात भी काली होने का डर था । एक्सट्रा बैड के नाम पर गददे लगाने की बात तय करके एक हजार रूपये प्रति में दो कमरे ले लिये । कमरो में गीजर आदि सब सुविधाये थी। खाने के लिये नीचे रैस्टोरेंट भी था पर हम बाहर सडक पर निकल आये । यहां सौ मीटर चलते ही सडक किनारे बहुत ही सुंदर गुरूद्धारा है । इसकी खूबसूरती को और भी बढाती है इसकी लोकेशन । यहीं इसके सामने एक होटल में रैस्टोरेंट है प्रथम तल पर ।
हमने यहां पर खाने के बारे में पूछा । पूर्णत शाकाहारी खाना वो भी स्वादिष्ट । इतना पसंद आया कि अगली सुबह के लिये उसे पहले ही बुक कर दिया कि हमें सुबह 6 बजे परांठे खाने हैं । बंदा भी पक्का था सुबह पोने सात बजे हम वहीं पर नाश्ता कर रहे थे । उसके बाद 9 तारीख की शाम का खाना भी वहीं पर खाया । सादा खाना मिल जाये हमें उसके अलावा कुछ नही चाहिये ।
होटल का नाम टयूलिप रेजीडेंसी था पर रैस्टोरंट का नाम अब याद नही । सुबह सवेरे हमारा घूमने का जो कार्यक्रम था उससे पहले हमने अपना एक छोटा सा फोटोशूट कर लिया । सामने ही सिक्किम घाटी के सुंदर पहाडो में बादल उठने शुरू हो गये थे । इससे अच्छा और क्या नजारा हो सकता था । पूरी रात बारिश पडी पर सुबह सुबह मौसम खुल गया था । सब कुछ धुला धुला और हरा हरा नजर आ रहा था
NORTH EAST TOUR-
खर्चा 9 जून
20 चाय
75 परांठे
15 पानी
75 चाय बिस्कुट
20 टिकट
50 चाय मोमो
170 शाम के खाने के
500 होटल के
रात का खाना किचन रैस्टोरैंट में |
सुबह नाश्ते की इंतजार में |
वजारा सिनेमा हाल |
वजारा टैक्सी स्टैंड |
टाइमपास झरना |
परमिट चैकिंग चैकपोस्ट |
कहते हैं, सिक्किम बहुत सुन्दर है, आज चित्र भी देख लिये।
ReplyDeleteआनंद दायक पोस्ट. मज़ा आ गया. सुन्दर चित्र, रोचक वर्णन.
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-02-2014) को "गाँडीव पड़ा लाचार " (चर्चा मंच-1521) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर यात्रा विवरण और चित्र.
ReplyDeleteसुन्दर चित्र और यात्रा वर्णन
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