पहाडो की रानी मसूरी में दर्जन से उपर का दौरा था ये । मुझे गिनती तो याद नही क्योंकि सबसे पहले घूमने जाने वाली जगह हमारे लिये मसूरी ही होती थ...
पहाडो की रानी मसूरी में दर्जन से उपर का दौरा था ये । मुझे गिनती तो याद नही क्योंकि सबसे पहले घूमने जाने वाली जगह हमारे लिये मसूरी ही होती थी । मु0नगर में मेरे घर से मात्र 200 किलोमीटर गांधी चौक पडता है । बाइक से और कार से कम से कम साल में एक बार हम मसूरी जरूर जाते थे । कई बार अकेले तो कई बार दोस्तो के साथ
कई बार दोस्तो में साथ में नये लोग होते थे जो मसूरी के सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो जाते हैं पहली बार में । कई बार तो जब मेरे साथ कोई नया बंदा होता है जो मसूरी पहली बार आया होता है तो मै आश्चर्य से पूछता था कि तुमने अब तक मसूरी नही देखा ? तो मसूरी में आये और ज्यादातर बार की तरह इस बार भी मौसम बडा सुहावना था । बारिश भी सही समय पर बंद हो गयी थी और बादल नीचे मसूरी की घाटी में से उठकर उपर को आने लगे थे ।
इन बादलो का अपनी जगह बदलना ही मजेदार होता है । कभी ये अपनी जगह बदलते हैं तो कभी सामने के पहाड को पूरा ढक लेता है । पहले तो मै सोचता था कि सामने जिस पहाड को इस बादल या कोहरे ने ढक लिया है अब वहां के लोगो का क्या होगा ? फिर जब उस तरह के बादल या कोहरे को रास्ते में देखा और उसमें से निकलना हुआ तब समझ में आया कि वहां के लोगो का क्या होता है ।
गाडी को पार्किंग में खडा कर दिया और अपनी आदत के अनुसार मैने सबसे पहली सलाह दी कि हमें अब घूमना चाहिये और घूमते घूमते होटल ढूंढना चाहिये क्योंकि होटल के पैसे अब भी उतने ही लगेंगे और दो घंटे बाद भी पर दो घंटे बाद होटल उपलब्ध होना भारी हो जायेगा । इसलिये सबसे पहले मसूरी के आकर्षण माल रोड पर घूमना शुरू कर दिया । यहां पर गांधी चौक से माल रोड पर जाने वाले रास्ते पर बैरियर लगा है जिस पर रात में दस बजे के बाद ही गाडी जा सकती है इसलिये यहां पर गाडी के साथ होटल लेना महंगा तो पडता ही है साथ ही असुविधाजनक भी है ।
हम माल रोड पर घूम रहे थे । यहां पर ज्यादा कुछ नही बदलता । वही दुकाने , वही सामान , भुटटे वाले , घोडे वाले , गुब्बारे वाले , तिब्बतीबाजार , टैटू गोदने वाले और पता नही क्या क्या सामान बेचने वाले । हर तरह के लोग आपको यहां पर मिलेंगे । कुछ को देखकर वाह निकलेगा मुंह से तो कुछ को देखकर आह । कुछ गलत मत समझना ।
मनोरंजन के कुछ साधन नगरपालिक ने भी बनवा रखे हैं । बडे भी यहां आकर बच्चे बन जाते हैं और मेलो की तरह बंदूक से गुब्बारे फोडते हैं । कुल मिलाकर मन का तनाव दूर करने का भी स्थान है । क्योंकि तनाव को दूर करने के लिये माहौल चाहिये जो यहां पर मिलता है । हां एक चीज आजकल इसमें काफी बाधा बनती है वो है मोबाईल । बिजनेस वाले बंदे तो मोबाईल से ही अपना बिजनेस चालू रखते हैं । उन्हे साथ में आ रही पत्नी बच्चो या दोस्तो को हो रही असुविधा का भी कोई ध्यान नही रहता ।
Nahi Manu Bhai,,, hum galat nahi samjh rahe hai... hum to theek samjh gaye jo app kahana chah rehe ho
ReplyDeleteआनन्द ही आनन्द
ReplyDeletebachpan se masorriee ja raha hun ....par ab accha nahi lagtha , bilkul badal gaya hai :-(
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