भुवनेश्वर को मंदिरो का शहर कहा जाता है । यहां पर कभी सात हजार मंदिर बताये जाते हैं । कहते हैं कि पांच हजार मंदिरो के अवशेष तो अभी भी हैं । ...
भुवनेश्वर को मंदिरो का शहर कहा जाता है । यहां पर कभी सात हजार मंदिर बताये जाते हैं । कहते हैं कि पांच हजार मंदिरो के अवशेष तो अभी भी हैं । इनमें से ज्यादातर मंदिर शहर की सबसे बडी झील बिंदु सरोवर के चारो ओर हैं । ये शहर जितना आधुनिक है उतना ही प्राचीनता को भी अपने अंदर समेटे हुए है ।
मै जब पिछली बार गंगासागर की यात्रा पर गया तो मुझे कैमरा खरीदना था तो मैने यहीं से खरीदा था । अफसोस कि वो कैमरा मैने इस बार की यात्रा में यहां से आगे जाकर शिलांग में खो दिया । वो वृतांत आगे आयेगा । फिलहाल हमारे आटो वाले ने मंदिर के बराबर की पार्किंग में अपना आटो लगा दिया । मंदिर के सामने प्रसाद वाले और भीख मांगने वालो की बराबर भीड थी । जहां देखो वहां पर पंडे ही पंडे दिखायी पडते थे । हमने एक जगह चप्पल जूते निकाल दिये और एक आदमी हममें से वहां पर खडा हो गया । उसने सबके फोन और कैमरा आदि भी ले लिये ।
लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर की पहचान है । ये प्राचीन है , ऐतिहासिक है , धार्मिक है तो स्थापत्य कला का भी नमूना है । बहुत बडा परिसर है मंदिर का और इस परिसर में छोटे बडे बहुत सारे मंदिर हैं । लिंगराज नाम से ही पता चल जाता है कि ये मंदिर शिव भगवान का होगा पर यहां पर नागराज और अन्य देवी देवताओ के भी मंदिर हैं । सही मायने में ये मंदिरो का समूह है जिसमें सौ से ज्यादा मंदिर हैं ।
मंदिर में दीवारो और मंदिर प्रांगण आदि सब जगह शिल्प उकेरा गया है । इसमें फूल पत्तियो से लेकर पशु पक्षियो तक की आकृतियां हैं । मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु और शिव का मिला जुला रूप है । एक धार्मिक कथा के अनुसार लिटटी व वसा नाम के दो राक्षसो का वध पार्वती माता ने किया था । इस मंदिर के कुछ हिस्से तो 1400 वर्ष से भी ज्यादा पुराने हैं । इस मंदिर में भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह गैर हिंदुओ का प्रवेश वर्जित है हालांकि उनके लिये मंदिर में एक ओर एक चबूतरा है जिससे वो मंदिर परिसर के दर्शन कर सकें ।
लिंगराज मंदिर को देखने के बाद हम एक और मंदिर में गये जिसे केदार गौरी कहा जाता है । ये भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्धारा संरक्षित स्मारक है । इस मंदिर की भी प्राचीनता कम नही है पर इस मंदिर में लिंगराज मंदिर जैसी भीड भाड नही है । मंदिर परिसर में जितने छोटे बडे मंदिर हैं उनमें से एक आध में ही पूजा इत्यादि होती है वो भी प्रतीकात्मक । मंदिर परिसर में घूमना काफी अच्छा लगता है खास तौर पर जब इतनी गर्मी पड रही हो तो यहां पर आराम मिलता है ।
केदार गौरी मंदिर घूमने के बाद हमें नन्दन कानन चिडियाघर जाना था जो कि शहर से पन्द्रह बीस किलोमीटर आगे था । वहां तक जाने के लिये हम नये भुवनेश्वर से होकर गुजरे जहां पर उंची उंची बिल्डिंग हैं और चौडी चौडी सडके । हमें भूख लग रही थी तो कई जगह खाना देखा । हमने अपने आटो वाले से कहा कि हमें कहीं ऐसी जगह खाना खिलवा दो जहां पर रोटी मिल जाये तो उसने कहा कि रोटी तो यहां कम ही जगह मिलेगी पर मै आपको खाना ऐसा खिलवाउंगा कि याद रखोगे । उसने मेन रोड पर कलिंगा हास्पिटल के पास बिना प्याज का बढिया खाना खिलवाया । रोटी के अलावा बाकी सब कुछ था यहां पर ।
खाना खाकर हम फिर से आटो में बैठ चले भुवनेश्वर की रंग बिरंगी चित्रकारी से सजी सडक किनारे की दीवारो को देखते हुए जो कि उडीया कला को प्रदर्शित् करती हैं ।
केदार गौरी मंदिर घूमने के बाद हमें नन्दन कानन चिडियाघर जाना था जो कि शहर से पन्द्रह बीस किलोमीटर आगे था । वहां तक जाने के लिये हम नये भुवनेश्वर से होकर गुजरे जहां पर उंची उंची बिल्डिंग हैं और चौडी चौडी सडके । हमें भूख लग रही थी तो कई जगह खाना देखा । हमने अपने आटो वाले से कहा कि हमें कहीं ऐसी जगह खाना खिलवा दो जहां पर रोटी मिल जाये तो उसने कहा कि रोटी तो यहां कम ही जगह मिलेगी पर मै आपको खाना ऐसा खिलवाउंगा कि याद रखोगे । उसने मेन रोड पर कलिंगा हास्पिटल के पास बिना प्याज का बढिया खाना खिलवाया । रोटी के अलावा बाकी सब कुछ था यहां पर ।
खाना खाकर हम फिर से आटो में बैठ चले भुवनेश्वर की रंग बिरंगी चित्रकारी से सजी सडक किनारे की दीवारो को देखते हुए जो कि उडीया कला को प्रदर्शित् करती हैं ।
स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण
ReplyDeleteपुराने मन्दिरो को देख कर अच्छा लगता है
ReplyDeleteउस जमाने मे जब मशीने आदि नही होती थी जब भी इतनी सुन्दर कलाकारी व निर्माण होते थे
Excellent post n b'ful photos of my birthplace! keep up the great work!
ReplyDeleteसात हजार मंदिर! पांच हजार मंदिरो के अवशेष तो अभी भी हैं!! Wow!
ReplyDeleteBeautiful photos! Ye pathhar apne aap mein kitna kuch samaaye hue hain. Kitna kuch dekha hai inhone.
उस जमाने मे जब मशीने आदि नही होती थी जब भी इतनी सुन्दर कलाकारी व निर्माण होते थे आज के टाइम पर ऐसी कलकारी कहा देखने को मिलती है
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