जम्मू व कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में हम डल झील का भ्रमण करीब 4 घंटे में करके जब अपने होटल में आये तो होटल का मालिक लाल पीला हो रहा थ...
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जम्मू व कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में हम डल झील का भ्रमण करीब 4 घंटे में करके जब अपने होटल में आये तो होटल का मालिक लाल पीला हो रहा था । उसने हमसे पूछा कि आप बिना बताये क्यों चले गये घूमने के लिये ? क्यो भाई आपको तकलीफ है क्या ? हां भाई हम आपको सस्ते में करा देते बोट ? कितने में ? 700 रूपये में
ओह तो ये कारण था लाल पीले होने का । हमारा ड्राईवर भी हमसे बार बार जानना चाह रहा था कि हम कितने मे घूमकर आये तो हमने जानबूझकर 800 रूपये बता दिये । उन्होने लम्बी सी सांस भरी और बोले कि एक बार हमसे पूछ तो लिया होता । हम कमरे में गये और दोबारा से तैयार होकर गाडी में बैठ गये अपने अगले स्थल बागो की यात्रा के लिये ।
पहले हम शालीमार बाग में पहुंचे । मुगलो को इस वादी की सुंदरता ने बहुत आकर्षित किया तो उन्होने यहां पर भी अपनी छाप छोडने के लिये बागो को विकसित किया । उंचाई पर होने और पृष्टभूमि में बर्फ से ढके पर्वत होने के कारण यहां और भी सुंदरता आ जाती है । एक शैली है इन बागो की जो कि सबमें लगभग एक समान ही है वो है बाग की शुरूआत से लेकर अंत तक पानी की एक धारा बीच में चलती है । यदि आप दिल्ली लाल किला को देखो तो उसमें भी यही शैली मिलेगी । पानी की एक धारा बना दी गयी है जो कि सभी भवनो और प्रांगणो के बीच से गुजरकर जा रही है ।
शालीमार बाग के बारे में बताया जाता है कि इसे शाहजहां ने बनवाया था । अब इसे भी प्रेम की निशानी कहा जाने लगे तो आश्चर्य नही क्योंकि यही हमारा इतिहास है जो हमें पढाया जाता है । खैर इसमें कोई शक नही कि ये बाग काफी सुंदर है पर इनकी सुंदरता में सबसे बडा हाथ है पीछे पर्वतमालाओ और आगे की ओर डल झील के दृश्य का ।
इसके बाद हम निशात बाग में पहुंचे । इसमें भी 12 उठान हैं जो कि उंचाई की ओर चढते जाते हैं । दोनो बागो में जाने के लिये टिकट लगता है । ये दोना बाग देखने में भी एक जैसे ही लगते हैं और इतने बडे भी हैं कि इनको पूरा घूमें तो एक दिन में तो ये दोनो ही होंगें । हमें और भी जगह घूमना था । इसके बाद हम लोग पहुंचे चश्माशाही ।
चश्माशाही निशात बाग व शालीमार बाग के मुकाबले काफी छोटा है । कहा जाता है कि नेहरू परिवार के पीने के लिये यहीं से पानी जाता था । इस पानी को विशेष बताया जाता है ।
इसके बाद हम लोग परीमहल गये । परीमहल जब होगा तब होगा पर अब तो यहां पर केवल खंडहर ही शेष थे पर हां परीमहल से श्रीनगर का नजारा बडा बढिया दिखता है जिसमे गोल्फ कोर्स व राज्यपाल का घर आदि बढिया नजर आते हैं । अपनी गाडी होने का खूब फायदा उठाया जा रहा था पर कैमरे की कमी खूब खल रही थी । वापस डल झील पर आ गये तो हमने अपने गाडी वाले को कहा कि तुम होटल में जाओ और हम घूमते फिरते आ जायेंगें ।
जब हम घूम रहे थे तो उधर लाल चौक में पत्थर बाजी चल रही थी और उस पत्थर बाजी की वजह से माहौल ऐसा हो गया था जैसे आतंकवादी हमला पर फिर भी आज सुबह डल झील को घुमाने वाले नाविक और हमारे होटल वाले ने बताया था कि यहां पर्यटक स्थलो पर कोई खतरा नही है और आप वहां पर आराम से घूम सकते हो । इसलिये हम आराम से घूम भी रहे थे और बाकी सारे श्रीनगर में बंद का ऐलान हो चुका था ।
जब हम अपने होटल पहुंचे तो कई गाडियां टूटी खडी थी और कई पर्यटक लहुलूहान थे क्यों? बताउंगा कल
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bahut sundar photo grph or jivant prastuti he
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत चित्र ,काश्मीर की खूबसूरती को आपने कैद कर लिया !
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
भाई बागो मे रौनक भी गर्मीयो मे ही दिखती है सर्दीयो मे सब गायब हो जाता है,बहुत खुब यात्रा वर्णन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (16-01-2014) को "फिसल गया वक्त" चर्चा - 1494 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'