रोहतांग का लाहौल की भाषा में अनुवाद किया जाता है लाशो का घर , इसे सबसे खतरनाक दर्रा माना जाता है पर इतिहास को देखें तो इसे हमारे रिषीमुनियो ...
रोहतांग का लाहौल की भाषा में अनुवाद किया जाता है लाशो का घर , इसे सबसे खतरनाक दर्रा माना जाता है पर इतिहास को देखें तो इसे हमारे रिषीमुनियो ने शांत और पवित्र स्थान माना है । कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने वेदो की रचना यहीं पर की थी । अर्जुन ने भी यहीं पर तपस्या करके शिव से मनमांगा वर प्राप्त किया था ।
इस पूरे इलाके को पांडवो के अज्ञातवास के दौरान भी प्रयोग किया गया । साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि पांडवो ने स्वर्गारोहण से पहले यहीं पर प्राण त्यागे थे । कई पहाड ऐसे हैं जिनका वर्णन महाभारत में आया है और उसी नाम के पहाड यहां पर हैं ।
यहां से हिमालय पर्वत श्रंखला और मनाली का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है । यूं तो साल भर यहां पर बर्फ रहती है पर आजकल बर्फ के कारण पर्यटको और उनके वाहनो की बढती भीड के कारण बर्फ और उंची होती जा रही है । मजे की बात ये है कि जितनी बर्फ दूर जाती है लोग उसके पीछे भागते हैं चाहे घोडो पर चाहे स्कूटर पर बैठकर ।
जिनके पास समय है और फिटनेस है वे पैदल ही चढने की कोशिश करते हैं । यहां पर मौसम कब कैसा होगा इसकी कोई गारंटी नही है । मनाली से 51 किलोमीटर दूर इस दर्रे से मनाली का भी खूबसूरत दृश्य दिखायी देता है । मनाली से रोहतांग के बीच में कोठी और सोलंग नाला जैसे और भी कई पर्यटक् स्थल पडते हैं जहां पर बर्फ और पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधिया आयोजित होती हैं ।
रोहतांग से ही व्यास नदी का उदगम माना जाता है । यहां से निकलकर छोटी छोटी धाराओ में पलछन नाम की जगह में मिलकर व्यास नदी बन जाती है । यह दर्रा नेशनल हाईवे 21 पर पडता है । यहां पर मै रूक कर फोटो लेने लगा मेन रोड से ही । जाट देवता और राकेश आगे निकल गये । मैने सोचा वो नीचे चले गये । थोडा नीचे चलने पर ही मैने व्यास मंदिर की ओर को देखा तो अचानक जाट दिखायी दिया और उन्होने आवाज भी दी मुझे । मेरा इरादा तो सीधे निकलने का ही हो रहा था ।
जाट के आवाज देने पर मै व्यास मंदिर के पास पहुंच गया । यहां पर मुझे कुछ भी ऐसा दिख नही रहा था कि जो मुझे रूचिकर लगे । या तो ये ऐसा था कि जैसे आप किसी लाइट से भरपूर कमरे में बैठे हों और फिर अचानक अंधेरे में निकल आयें तो आपको मजा नही आयेगा एकदम से । हम तो ऐसे ऐसे नजारो को तक कर आ रहे थे कि रोहतांग एकदम बेकार सा लग रहा था
हालांकि सब हमारी तरह नही सोच रहे थे और यहां पर पर्यटको की इतनी भीड थी जितने लोग हमने अपने पूरे सफर में नही देखे थे । जितने लोग थे उतनी ही गाडियां भी थी । मेला लगा था । बर्फ हो ना हो पर चाय वालो और भुटटे वालो का मजा था । गर्म कपडे वालो और घोडे वाले उससे भी ज्यादा चांदी काट रहे थे । मोल भाव में पर्यटको के चेहरे के रंग बदल रहे थे क्योंकि असली जेब तो यहीं पर कटती है । इतने पैसे दिल्ली से यहां तक के नही लगते जितने घोडे वाला ले लेता है और अपने बस की चढना है नही इसलिये मोल भाव के अलावा रास्ता नही है
जाट के आवाज देने पर मै व्यास मंदिर के पास पहुंच गया । यहां पर मुझे कुछ भी ऐसा दिख नही रहा था कि जो मुझे रूचिकर लगे । या तो ये ऐसा था कि जैसे आप किसी लाइट से भरपूर कमरे में बैठे हों और फिर अचानक अंधेरे में निकल आयें तो आपको मजा नही आयेगा एकदम से । हम तो ऐसे ऐसे नजारो को तक कर आ रहे थे कि रोहतांग एकदम बेकार सा लग रहा था
हालांकि सब हमारी तरह नही सोच रहे थे और यहां पर पर्यटको की इतनी भीड थी जितने लोग हमने अपने पूरे सफर में नही देखे थे । जितने लोग थे उतनी ही गाडियां भी थी । मेला लगा था । बर्फ हो ना हो पर चाय वालो और भुटटे वालो का मजा था । गर्म कपडे वालो और घोडे वाले उससे भी ज्यादा चांदी काट रहे थे । मोल भाव में पर्यटको के चेहरे के रंग बदल रहे थे क्योंकि असली जेब तो यहीं पर कटती है । इतने पैसे दिल्ली से यहां तक के नही लगते जितने घोडे वाला ले लेता है और अपने बस की चढना है नही इसलिये मोल भाव के अलावा रास्ता नही है
मनाली जाने का एक कारण यह होता है की रोहतांग पास पर बर्फ मे जमकर मस्ती करना लेकिन वहां बर्फ ना होना लोगो को निराश करती है पर जब लोग इतनी तादात मे वहा जाएगे तो प्रकर्रती तो अपना खेल दिखाऐगी ही़
ReplyDeleteमनु भाई आपका लेख व फोटो देखकर अपनी पुरानी यात्रा की याद आ गई
The images are breathtaking, specially the one with the eagle. Have to travel to Northwest Himalayas. I've seen parts of the North-east.
ReplyDeleteNice captures...Vibrant and serene...Lucky for you guys to have visited such a wonderful place..
ReplyDeleteसुरंग बनने के बाद अगला दर्रा पहुँचना आसान हो जायेगा
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