गंगाजी में नहाने के बाद मन थोडा धार्मिक हो गया । वैसे तो मनोरंजन यात्रा पर थे पर एजेंडे में अंतर आ गया । अब सीधा रूख मंसा देवी का किया ।...
गंगाजी में नहाने के बाद मन थोडा धार्मिक हो गया । वैसे तो मनोरंजन यात्रा पर थे पर एजेंडे में अंतर आ गया । अब सीधा रूख मंसा देवी का किया । चंडी देवी जाने के लिये या बिजनौर जाने के लिये जो पुल बना है उस पर गोल चक्कर बना दिया गया है । यहां से शहर में घुसना बडा सरल और कम दूरी का है पर अब यहां पर गाडियो की एंट्री नही होने देते । पैदल या रिक्शेवाले ही आ जा सकते हैं । जब हम मंसा देवी के लिये जा रहे थे तो पुलिसवाले ज्यादा नही थे और हमसे आगे एक गाडी को उन्होने वहां से अंदर घुसा दिया ।
हमने भी अपने ड्राइवर को मना करने के बाद भी वहीं से चलने को कहा और जैसे भी हो हम निकल गये । यहां से कुछ दूर चलते ही एक और चौराहा आता है । शायद इसे ललता रौ पुल कहते हैं । इसमें सीधे ही चलें तो रेलवे लाइन आ जाती है । इस रेलवे लाइन को पार करने के तुरंत बाद सीधे हाथ को मुड जायें तो ये रास्ता मंसा देवी के लिये जाता है । इस रास्ते को जाने का ये फायदा है कि यहां से मंसादेवी का सीढियो वाला आधा रास्ता बच जाता है ।
अगर बाजार से चढना शुरू करें तो काफी सीढियां चढने के बाद यहां तक पहुंचते हैं । अगर मोटरसाईकिल होती तो सीधे मंदिर तक जा सकते थे । यहां पर 50 रूपये लेकर एक सवारी को बाइक के पीछे बिठाकर मंदिर तक भी छोडने का काम लोकल युवा लोग करते हैं । हमने गाडी यहीं पर खडी कर दी और दिन के 2 बजे हम लोगो ने मंदिर के लिये चढना शुरू किया । मंदिर जाने से पहले ही चल दुकाने लगाये दुकानदार प्रसाद के लिये इतना चिपट जाते हैं कि आपको उनसे प्रसाद लेना ही पडता है । लेना भी चाहिये क्योंकि अगर आपके हाथ में प्रसाद है तो कम से कम आपको अगले वाले दुकानदार परेशान नही करेंगें । पर प्रसाद लेने के बाद उसको छुपा जरूर लें नही तो आपका प्रसाद या पानी की बोतल और खाने का कोई भी सामान यहां के उत्पाती बंदर ले जा सकते हैं ।
छोटा सा ही रास्ता है मंसा देवी मंदिर का । अगर आप उस पर चढने में थक जाते हैं तो यकीनन आप स्वस्थ नही हैं । ये 50 साल तक की उम्र के लोग जांच करके देख सकते हैं और मैने कई कूल डयूड को पसीनो से तर बतर इतने से रास्ते में दस बार बैठते हुए देखा है ।
मंदिर में प्रवेश करने के बाद निशुल्क जूता स्टाल की व्यवस्था है । कहीं और जूते उतारने की बजाय यहीं पर उतारना ठीक है । बाद में अगर जूता स्टाल वाला श्रद्धा पूर्वक आपको कुछ देने को कहता है तो आप दे सकते हैं । भले वो निशुल्क हो पर वो आपके जूते उठा रहा है आप उसे नही दोगे पर वहीं पर मौजूद दुकान पर 25 रूपये प्रिंट की कोल्डड्रिंक को 30 रूपये में लेना पसंद करोगे तो फिर उसे देने में दो रूपये क्या हर्ज है ?
हर हर गंगे, सभी के मन मे बसा हे हरीद्वार
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