चौथा दिन का सफर गजब था ताबो से चलकर काजा , की मोनेस्ट्री , किब्बर गांव , कुंजुम पास , चन्द्रताल होकर हम बातल में आकर रूके थे । आज पांचवे दिन...
चौथा दिन का सफर गजब था ताबो से चलकर काजा , की मोनेस्ट्री , किब्बर गांव , कुंजुम पास , चन्द्रताल होकर हम बातल में आकर रूके थे । आज पांचवे दिन हम बातल से ग्राम्फू होकर रोहतांग व मनाली जाने वाले थे । बातल से छातडू होते हुए ग्राम्फू तक का रास्ता बडा कठिनायी भरा था
कई पैच ऐसे आये जो पचास मीटर तक लम्बे थे और पानी इतनी दूरी में अपनी पूरी रौ में बह रहा था । ऐसा ही एक पैच आया जहां पर झरना था और उसका पूरा का पूरा पानी सडक पर बह रहा था । यहां मैने जाट देवता और राकेश के उस पानी में से गुजरने के फोटो भी लिये और वीडियो भी । यहां पर भी पानी में इतने बडे बडे पत्थर थे कि उन पर आदमी को बैलेंस बिगड जाये और अगर छोटी कार हो तो उसकी टंकी फूट सकती है
चन्द्रा नदी के दांये चलते चलते एक पुल आया जिससे हम बांयी ओर आ गये । यहां से चढाई शुरू हो गयी जो ग्राम्फू तक रही । ये भी एक पडाव ही है जहां पर चाय की एक दुकान है बस लेकिन इसक महत्व बहुत ज्यादा है । यहीं से एक रास्ता लाहौल को जाता है जहां से लेह जाया जा सकता है । यहीं से एक रास्ता है जिससे हम आये हैं काजा की ओर । एक रास्ता है जो मनाली के लिये रोहतांग से होकर जा रहा है । रोहतांग से पहले की सडक काफी खराब थी क्योंकि इसे चौडा किया जा रहा था
राकेश तो अपनी भूख के मारे पहले ही चाय की दुकान पर बैठ कर चाय आर्डर कर चुका था । हांलाकि आज मैने और राकेश ने पूरे दिन बात नही की क्योंकि कल की झडप के बाद दोनो में से कोई नही बोला आपस में
वजह मै पहले ही बता चुका हूं कि यदि आपके पास छतरी है तो जरूरी नही कि किसी और को बारिश नही लग रही या बारिश हो नही रही ।
राकेश के पास कैमरा नही था सिर्फ एप्पल आईफोन था । साथ ही एक एक्सर्टनल पावर बैंक 8000 एम ए एच का जिसकी वजह से वो निश्चिंत था कि उसे बैट्री चार्ज नही करनी है । हमारे दोनो के पास कैमरा थे तो हमें हर बार डरकर रहना पडता था क्योंकि एक एक ही बैट्री थी और वो भी एक बार में 300 के आसपास फोटो खींच सकती है जबकि कई बार इससे भी ज्यादा फोटो खींच लेते हैं दिन भर में
राकेश की 500 सीसी बाइक के आगे मेरी 100 सीसी की बाइक यहां के लिये कुछ भी नही थी पर फिर भी मै उनसे कहीं भी दस पांच मिनट के फासले से दूर नही रहा । ऐसा नही हुआ कि वो बहुत देर से मेरा इंतजार कर रहे हों पर यदि ऐसी कोई बात थी तो बताना चाहिये था कि भाई हमें आपकी वजह से देर हो रही है तो मै कह देता कि आप चलो मै आ जाउंगा । वैसे भी इस यात्रा में मैने 1800 किलोमीटर बाइक चलायी जबकि राकेश ने ने 1300 के लगभग क्योंकि वो चंडीगढ से बाइक पर चला था और वापसी में दिल्ली तक बाइक को जाट देवता लेकर आये खैर ग्राम्फू में मैने भी चाय बनवायी और बिस्कुट के साथ चाय पीकर मै ही पहले चल पडा
वजह मै पहले ही बता चुका हूं कि यदि आपके पास छतरी है तो जरूरी नही कि किसी और को बारिश नही लग रही या बारिश हो नही रही ।
राकेश के पास कैमरा नही था सिर्फ एप्पल आईफोन था । साथ ही एक एक्सर्टनल पावर बैंक 8000 एम ए एच का जिसकी वजह से वो निश्चिंत था कि उसे बैट्री चार्ज नही करनी है । हमारे दोनो के पास कैमरा थे तो हमें हर बार डरकर रहना पडता था क्योंकि एक एक ही बैट्री थी और वो भी एक बार में 300 के आसपास फोटो खींच सकती है जबकि कई बार इससे भी ज्यादा फोटो खींच लेते हैं दिन भर में
राकेश की 500 सीसी बाइक के आगे मेरी 100 सीसी की बाइक यहां के लिये कुछ भी नही थी पर फिर भी मै उनसे कहीं भी दस पांच मिनट के फासले से दूर नही रहा । ऐसा नही हुआ कि वो बहुत देर से मेरा इंतजार कर रहे हों पर यदि ऐसी कोई बात थी तो बताना चाहिये था कि भाई हमें आपकी वजह से देर हो रही है तो मै कह देता कि आप चलो मै आ जाउंगा । वैसे भी इस यात्रा में मैने 1800 किलोमीटर बाइक चलायी जबकि राकेश ने ने 1300 के लगभग क्योंकि वो चंडीगढ से बाइक पर चला था और वापसी में दिल्ली तक बाइक को जाट देवता लेकर आये खैर ग्राम्फू में मैने भी चाय बनवायी और बिस्कुट के साथ चाय पीकर मै ही पहले चल पडा
रोहतांग पहुंचा तो देखा अरे ये क्या ? क्या यही रोहतांग है बर्फ का कोई नामोनिशान तक नही । पर हां ठंड बहुत थी और मौसम मजेदार । कभी धूप कभी छांव का खेल चल रहा था सबसे उंचे पहाड की चोटी पर पडी थोडी बहुत धूप पर
भाई रोहतागं मे तो बर्फ का नामोनिशान भी नही दिख रहा ,फोटो जबरदस्त है
ReplyDeletebahut sunder pix hain
ReplyDeleteशुक्र रहा कि लड़ाई नहीं करनी पड़ी।
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