narkanda शिमला में घुसते ही जो पहली टनल आती है उसी से मै कुफरी व नारकंडा जाने वाले रास्ते को मुड गया । उस समय लगभग आठ बजे थे और फागू के...
narkanda |
रात को जागे हुए आदमी को नींद धूप चढने पर सताने लगती है और आंखे बंद होने लगती हैं । इसलिये मैने यहां पर बने गेस्ट हाउस में पता किया कि क्या दो घंटे के लिये कमरा मिलेगा पर उसने मना कर दिया बोला यहां पर एडवांस बुकिंग होती है वो भी यहां से नही
ना मिलो कमरा मैने नारकंडा में घूमना तो था नही क्योंकि मै पहले ही हाटू पीक वगैरा जा चुका था इसलिये मैने ऐसी जगह देखनी शुरू की जहां पर मै बैठ कर ही सही नींद की एक झपकी ले सकूं । रात में तो आप किसी चाय वाले के यहां पर लेट भी जाओगे तो कोई बात नही पर दिन में तो हर कोई बोलेगा नेस्ती फैला रहा है इसलिये जब ऐसी कोई जगह नही मिली तो मै आगे चलने लगा । आगे पैट्रोल पंप देखा तो सोचा पैट्रौल ही भरवा लूं । पैट्रेाल डलवाकर मै वहीं पर एक कुर्सी देखकर बैठ गया ।
जब आदमी नींद का मारा होता है तो ऐसा ही होता है । मै फिर से कुर्सी पर बैठै बैठै सो गया । करीब 40 मिनट बाद पम्प के एक कर्मी ने मुझे जगाया । वो हाथ में चाय लिये खडा था। मैने अचरज से देखा भाई मैने तो चाय मंगायी नही तो उसने आफिस की ओर इशारा किया । अंदर मालिक बैठा था और चाय पी रहा था । मैने काफी मना किया पर वे माने नही तो मुझे चाय पीनी पडी ।
सामान्यतया मै क्या कोई भी सोचेगा नही कि काफी व्यस्त पैट्रोल पंप पर दिन के ग्यारह बजे वाहनो की चिल्ल पौं के बावजूद आदमी धूप में कुर्सी पर बैठकर सो जाये पर नींद तो नींद होती है पत्थरो में भी आ जाती है ।
जाट देवता थोडी देर बाद ही आ गये । उनके आने के बाद पता चला कि उन्होने भी नाश्ता वगैरा कुछ नही किया है । अब सीधे खाना ही खा लेते हैं ये सोचकर हम नारकंडा के मेन चौक पर बने एक बढिया रैस्टोरेंट में चले गये । रैस्टोरैंट बिलकुल खाली था और उसने कहा कि आधा घंटा लगेगा । बढिया बात थी क्योंकि इस आधे घंटे में मै फ्रेश हो सकता था । यहीं पर एक सुलभ शौचालय बना था जिसमे मै फ्रेश होकर आ गया । दिन के ग्यारह बजे थे इसलिये वहां पर कोई था ही नही जो पांच रूपये भी देने पडते । ब्रश आदि करके हमने खाना खाया जो कि काफी लजीज था । महंगा भी था सौ रूपये की थाली और तीस रूपये की दही थी पर बढिया था । खाना खाने के बाद हम लोग साथ में चल पडे । कुमार सेन के पास लगभग डेढ बजे रूककर हमने कुमार सेन के पास रूककर अपनी आने वाली घाटी जिसमें हमें सफर करना था । फोटो में दिख रही नदी के किनारे किनारे ही हमें चलना था । कुमारसेन से आगे किंगल और वहां से सैंज से हमें अनी वाले रास्ते की बजाय दूसरे रास्ते पर चलना था ।
जहां पर हम रूके थे और ये सारे फोटो लिये थे उस जगह पर एक प्वांइट बना है जिसे सतलुज व्यू प्वाइंट कहा जाता है । यहां से वाकई में बढिया नजारा दिखता है । यहां से हमारा अगला लक्ष्य था निरथ गांव का प्राचीन सूर्य मंदिर जो कि सैकडो वर्ष पुराना और काफी ऐतिहासिक है ।
कुमारसेन से दिखती घाटी |
आगे हमें इसी साइड में नदी के किनारे किनारे चलना है |
लो ये सुबह 6 बजे से चलकर ही थक गये |
बाइक से 2000 किमी0 6 दिन में
सराहन ,चितकुल,सांगला , काजा होते हुए
Ghaziabad to narkanda by Bike ,Day 1 ,गाजियाबाद से नारकंडा
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निरथ का सूर्य मंदिर
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रामपुर और सराहन भीमाकाली मंदिर
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सांगला , चितकुल , किन्नौर
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Gramphoo to Rohtang pass ,ग्राम्फू से रोहतांग पास ,day 5-2
Rohtan pass to Manali ,रोहतांग पास से मनाली ,day 5-3
Manali to delhi , मनाली से दिल्ली से घर वापसी ,कुल्लू की शाम day 5 last
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
आप सभी को --
दीपावली की शुभकामनायें-
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ReplyDeleteदिपावली की शुभकामनाएं मनु भाई.आप ऐसे ही हमे नई नई जगह घुमाते रहे.
ReplyDeleteमन मोहते दृश्य..
ReplyDeleteGazab Yaar kamal k ghumakkar ho kamal ka jajba hai bike chalane nic post snap to bahut hi sundar hain
ReplyDeleteSunil Kumar
नीन्द सताये, रहा ना जाये
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