free wallpaper , download free wallpaper, to all my readers ,Tabo to Dhankar ,day 4-3 स्पीति को जीवाश्म गार्डन कहा जाता है । यहां पर बर्फ क...
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मै तब बहुत अचरज में पड गया जब उसने बताया कि उसे बस इतना याद है कि वो एक साल पहले भारत आया था बाकी तारीख वगैरा और सब जगहो के नाम भी याद नही हैं । मुख्य मुख्य जगह जैसे राजस्थान और दिल्ली के अतिरिक्त श्रीनगर , लेह आदि के नाम ही बता पाया । होना भी था इतने लम्बे समय से आदमी साईकिल पर घूम रहा है उसकी हालत देखिये रात को उसने यहीं टैंट लगाया था और अब ताबो जाकर ही खाना नहाना होगा । उसकी साईकिल पर सामान का बांधने का ढंग मुझे बहुत पसंद आया इसलिये मैने उससे पूछकर एक फोटो ले लिया
स्पीति को जीवाश्म गार्डन कहा जाता है । यहां पर बर्फ के उपर जब धूप पडती है तो अजीब नजारा होता है । शीत मरूस्थल कहे जाने वाले इस इलाके में जितनी ठंड है उसके बावजूद यहां के लोगो का जज्बा सलाम करने लायक है । बाहरी दुनिया की पहुंच तो अब हुई है पर ये लोग तो उससे हजारो साल पहले बिना किसी रास्ते के भी ऐसे प्रतिकूल मौसम , भूकम्प और तूफानो का सामना करते रहे हैं । जम्मू कश्मीर और तिब्बत से मिला हुआ ये इलाका 1947 के बाद पंजाब के अंतर्गत आता था पर 1960 में इसे लाहौल स्पीति नाम का एक अलग जिला बनाकर हिमाचल के अंर्तगत कर दिया गया ।
इस जिले का मुख्यालय काजा और स्पीति सब डिवीजन बना । दो या तीन व्यक्ति प्रति किलोमीटर घनत्व वाले इस इलाके में जीने के लिये जीतोड मेहनत और जुझारूपन चाहिये । साधनो के बिना जीवन जीने वाला व्यक्ति ही यहां पर टिका रह सकता है । हालांकि यहां पर रहने वाले लोगो में काफी बडी संख्या अप्रवासियो की है जिनमें मजदूर तबके के लोग ज्यादा शामिल हैं जो बिहार , झारखंड या नेपाल के निवासी हैं । वे यहां पर सबसे ज्यादा मिलने वाले काम सडक सही करने मे लगे रहते हैं । साल में 6 महीने काम करके वे अपने घर वापस लौट जाते हैंअब आते हैं अपने यात्रा संस्मरण पर वापस । मैने आजकी पोस्ट का नाम फ्री वालपेपर , फ्री डाउनलोड इसलिये रखा है क्येांकि मै आज तक ऐसे फोटोज को अपने वालपेपर में लगाया करता था । कुदरत के ये नजारे मुझे पसंद होते थे पर आज ये मैने खुद खींचे हैं इसलिये मैने किसी भी फोटो पर वाटरमार्क नही लगाया है ताकि आप सब अगर चाहें तो इसे डाउनलोड करके इस्तेमाल करें । हां किसी व्यवसायिक कार्य के लिये नही है ।
सुबह सवेरे जब हम ताबो से चले तो काजा ज्यादा दूर नही था मात्र 40 किलोमीटर लेकिन एक जगह जो दिमाग में गूंज रही थी उसके बारे में इस छोटे से गांव में जाकर पता चला । रास्ते में हमें एक विदेशी मिला जो साईकिल से लेह की यात्रा कर चुका था और अब इधर घूम रहा था । जाट देवता और राकेश आगे निकल गये मै रूक गया । मैने उससे बात की वो फ्रांस से था पर अंग्रेजी जानता था । कुछ कुछ ऐसी ही जैसी कि मै
सुबह सवेरे जब हम ताबो से चले तो काजा ज्यादा दूर नही था मात्र 40 किलोमीटर लेकिन एक जगह जो दिमाग में गूंज रही थी उसके बारे में इस छोटे से गांव में जाकर पता चला । रास्ते में हमें एक विदेशी मिला जो साईकिल से लेह की यात्रा कर चुका था और अब इधर घूम रहा था । जाट देवता और राकेश आगे निकल गये मै रूक गया । मैने उससे बात की वो फ्रांस से था पर अंग्रेजी जानता था । कुछ कुछ ऐसी ही जैसी कि मै
मै तब बहुत अचरज में पड गया जब उसने बताया कि उसे बस इतना याद है कि वो एक साल पहले भारत आया था बाकी तारीख वगैरा और सब जगहो के नाम भी याद नही हैं । मुख्य मुख्य जगह जैसे राजस्थान और दिल्ली के अतिरिक्त श्रीनगर , लेह आदि के नाम ही बता पाया । होना भी था इतने लम्बे समय से आदमी साईकिल पर घूम रहा है उसकी हालत देखिये रात को उसने यहीं टैंट लगाया था और अब ताबो जाकर ही खाना नहाना होगा । उसकी साईकिल पर सामान का बांधने का ढंग मुझे बहुत पसंद आया इसलिये मैने उससे पूछकर एक फोटो ले लिया
अब हम स्पीति नदी के बिलकुल किनारे पर चल रहे थे । सडक खराब तो थी पर गढढे या पत्थर नही थे कच्ची जैसी थी इसलिये सही स्पीड से चल रहे थे । ऐसे नजारे मैने पहली बार देखे थे । सच पूछो तो कैमरे में भी उन्हे समेट नही पाया ।
आगे सिचलिंग गांव आया । हमने यहां पर एक चाय की दुकान देखी । उस पर चाय बनाने को कहा । जाट देवता ने अपना सेब खाना शुरू कर दिया । हमारी बाइके जहां पर खडी हैं वो एक और दुकान थी जिस पर बिस्कुट नमकीन वगैरा मिलती थी । चाय वाले ने ही उस लडके को आवाज देकर दुकान खुलवा दी । मैने वहां से सबके लिये बिस्कुट के पैकेट ले लिये । चाय पीते समय ही हमने चाय वाले से पूछा कि धनकर मोनेस्ट्री कहां है तो उसने सामने की ओर इशारा किया । हमने देखा सामने ही मोनेस्ट्री दिख रही थी । पर यहां से उसकी दूरी लिंक रोड पर 8 किलोमीटर थी । शिचलिंग गांव स्पीति नदी के बिलकुल किनारे पर है और उसके लेवल में भी पर धनकर मोनेस्ट्री और किले पर जाने के लिये लगातार चढाई है
आगे सिचलिंग गांव आया । हमने यहां पर एक चाय की दुकान देखी । उस पर चाय बनाने को कहा । जाट देवता ने अपना सेब खाना शुरू कर दिया । हमारी बाइके जहां पर खडी हैं वो एक और दुकान थी जिस पर बिस्कुट नमकीन वगैरा मिलती थी । चाय वाले ने ही उस लडके को आवाज देकर दुकान खुलवा दी । मैने वहां से सबके लिये बिस्कुट के पैकेट ले लिये । चाय पीते समय ही हमने चाय वाले से पूछा कि धनकर मोनेस्ट्री कहां है तो उसने सामने की ओर इशारा किया । हमने देखा सामने ही मोनेस्ट्री दिख रही थी । पर यहां से उसकी दूरी लिंक रोड पर 8 किलोमीटर थी । शिचलिंग गांव स्पीति नदी के बिलकुल किनारे पर है और उसके लेवल में भी पर धनकर मोनेस्ट्री और किले पर जाने के लिये लगातार चढाई है
KINNAUR SPITI YATRA-
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shichling town |
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tea shop |
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Dhanka monestry first view |