अल्मोडा से नैनीताल तक का सफर रात में अब तक नही किया था । अगर अगले दिन दुल्हैंडी ना होती तो हर हालत में यहीं पर रूकते पर आज सुबह 8 बजे से...
अल्मोडा से नैनीताल तक का सफर रात में अब तक नही किया था । अगर अगले दिन दुल्हैंडी ना होती तो हर हालत में यहीं पर रूकते पर आज सुबह 8 बजे से चले हुए थे और पाताल भुवनेश्वर होते हुए आ रहे थे । पूरा दिन पहाडी रास्तो में गोल गोल घूमते हुए निकल चुका था । थकान काफी थी मैने तो कई बार दीपक से पूछा कि क्या गाडी मै चलाउं पर बंदे ने एक बार भी नही कहा कि मै थक गया हूं । नैनीताल से पहले भुवाली से ही हमने भीमताल के लिये कट मार लिया । इरादा ये था कि जब हमें उतना ही रास्ता तय करना है तो फिर सडक पर ही मौजूद भीमताल को क्यों ना देखते चलें कि ये झील रात में कैसी दिखायी देती है ?
पास जाकर देखने पर मन हुआ कि यहीं पर सारी रात बिता देते हैं । इतना सुंदर नजारा था कि पूछो मत । चांद तो पूरा सा ही निकला हुआ था । हमारे अलावा वहां पर कोई नही था । रात के बारह बजने ही वाले थे । गाडी एक साइड में खडी करके फोटोसेशन शुरू हो गया झील का भी और अपना भी । ट्राईपाड की और सैल्फ टाइमर की सहायता से दोनो का साथ साथ भी फोटो लिया गया । वैसे तो वहां पर काफी अंधेरा था पर हाई आइ एस ओ की सहायता से रोशनी को बढाकर फोटो लिये । काफी देर तक हम पानी की लहरो पर आ रहे प्रकाश और आसमान के साथ प्रयोग करते रहे । उसके बाद जब चले तो सुबह सवेरे 6 बजे के करीब दीपक ने मुझे मेरे घर पर ड्राप किया । उसे अभी एक घंटा गाडी और भी चलानी थी । मैने तो एक दो बार झपकी भी ले ली थी पर भाई ने तो चौबीस घंटे तक गाडी चलायी और मुनस्यारी से सीधे दिल्ली ले आया ।
इस सफर में दीपक जैसा दोस्त तो मिला ही साथ ही फोटोग्राफी खासतौर पर मैन्युअल फोटोग्राफी का ज्ञान मिला । इसकी सहायता से हिमाचल की एक यात्रा पहले ही लिख चुका हूं और अगली दो यात्राऐं भी हिमाचल की ही की हैं वो भी एक दो दिन में ही शुरू हो जायेंगी । तब तक आप चित्रो का आनन्द लीजिये
पास जाकर देखने पर मन हुआ कि यहीं पर सारी रात बिता देते हैं । इतना सुंदर नजारा था कि पूछो मत । चांद तो पूरा सा ही निकला हुआ था । हमारे अलावा वहां पर कोई नही था । रात के बारह बजने ही वाले थे । गाडी एक साइड में खडी करके फोटोसेशन शुरू हो गया झील का भी और अपना भी । ट्राईपाड की और सैल्फ टाइमर की सहायता से दोनो का साथ साथ भी फोटो लिया गया । वैसे तो वहां पर काफी अंधेरा था पर हाई आइ एस ओ की सहायता से रोशनी को बढाकर फोटो लिये । काफी देर तक हम पानी की लहरो पर आ रहे प्रकाश और आसमान के साथ प्रयोग करते रहे । उसके बाद जब चले तो सुबह सवेरे 6 बजे के करीब दीपक ने मुझे मेरे घर पर ड्राप किया । उसे अभी एक घंटा गाडी और भी चलानी थी । मैने तो एक दो बार झपकी भी ले ली थी पर भाई ने तो चौबीस घंटे तक गाडी चलायी और मुनस्यारी से सीधे दिल्ली ले आया ।
इस सफर में दीपक जैसा दोस्त तो मिला ही साथ ही फोटोग्राफी खासतौर पर मैन्युअल फोटोग्राफी का ज्ञान मिला । इसकी सहायता से हिमाचल की एक यात्रा पहले ही लिख चुका हूं और अगली दो यात्राऐं भी हिमाचल की ही की हैं वो भी एक दो दिन में ही शुरू हो जायेंगी । तब तक आप चित्रो का आनन्द लीजिये
beautiful!
ReplyDeleteNice photos
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