वो बस एक लोकेशन थी जिसे ज्यादातर बाइक या अपनी कार वाले ही देख सकते थे । उनमें से कुछ जगहे तो ऐसी थी जो किसी हिल स्टेशसन से भी ज्यादा खूबसूरत थी । यकीन नही होता पर ऐसी जगहो को व्यू प्वांइट तक भी नही बनाया जाता है जबकि किसी हिल स्टेशन पर किसी मंदिर को व्यू प्वांइट गिना जाता है । वैसे तो ऐसी ऐसी जगहे
Ranikhet to kausani ,रानीखेत से कौसानी
रात को रानीखेत में एक होटल में कमरा तलाश किया 600 रूपये में । कमरा काफी बढिया था और खास तौर पर ऐसे मौसम में जबकि रानीखेत में हमारे पहुंचते ही बारिश शुरू हो गयी थी और पूरी रात लगातार पडती रही । खाना एक रैस्टोरैंट से पैक करा लिया था जिसे कमरे में खाया गया । उसके बाद विचार हुआ कि कहां पर जाया जाये ।
एक साइड बद्रीनाथ की थी जहां पर सब जगह देखी हुई थी और एक साइड नैनीताल की । नैनीताल की तरफ को चलने पर एक प्रोग्राम बन सकता था मुन्सयारी का पर वो करीब 500 किलोमीटर से भी ज्यादा का रास्ता मैप दिखा रहा था । वैसे तो हम आज भी केवल सफर ही कर रहे थे और इस हिसाब से कल भी सफर ही करते और परसो वापसी का सफर , तो फिर हम देखते क्या ? लेकिन अब पीछे वापस मुडते तो भी कोई फायदा नही था इसलिये मुन्स्यारी देखने का ही पक्का हुआ और दोनो सो गये ।
सुबह सवेरे नहाने के गर्म पानी के लिये होटल वाले को ढूंढना पडा । बडी मुश्किल से जाकर पानी मिला और नहाधोकर हम सफेद हाथी में बैठकर फिर चल पडे । आज हमें मुन्सयारी जाना था और बीच में जहां कहीं भी सुंदर नजारे आते वहीं पर हमारी गाडी रूक जाती । यही मजा था इस ट्रिप का कि इसमें जगह कोई नही देखी गयी और देखी बहुत सारी गयी पर उनमें से ज्यादातर का कोई नाम नही था । वो बस एक लोकेशन थी जिसे ज्यादातर बाइक या अपनी कार वाले ही देख सकते थे । उनमें से कुछ जगहे तो ऐसी थी जो किसी हिल स्टेशसन से भी ज्यादा खूबसूरत थी ।
यकीन नही होता पर ऐसी जगहो को व्यू प्वांइट तक भी नही बनाया जाता है जबकि किसी हिल स्टेशन पर किसी मंदिर को व्यू प्वांइट गिना जाता है । वैसे तो ऐसी ऐसी जगहे थी कि जहां पर हमें एक एक घंटा होने को आता था और फिर हम सोचते थे कि हमें ज्यादा देर हो जायेगी तो फिर आज मुन्स्यारी कैसे पहुंचेंगे इसलिये चलो
इस पूरी यात्रा में शानदार पैनोरमा फोटोज जो आप देखेंगें वे दीपक सिंह के कैमरे सोनी एचएक्स 100 वी के द्धारा लिये गये हैं । जो भी मेरे फोटो हैं वो भी दीपक सिहं ने ही लिये हैं ।