मेरे कैमरे कैनन मे बाई डिफाल्ट शटर स्पीड 1 सैकंड से 15 के बीच बढाने पर आई एस ओ अपने आप 80 पर सैट हो जाता है । जबकि ऐसा नही होना चाहिये क्योंकि मैनुअल का मतलब ही यही है कि हम कैमरे से जबरदस्ती फोटो खिंचवायें । उसको अपने मन की ना करने दें बल्कि हम अपने मन की करें ।
मुन्स्यारी जाने के लिये हमें वाया कौसानी , बैजनाथ और बागेश्वर को जाना था । कौसानी से आगे बैजनाथ से एक रास्ता ग्वालदम के लिये कटता है जिससे मै पहले भी रूपकुंड यात्रा में जा चुका हूं । हमें इस बार बागेश्वर के रास्ते को जाना था । सोमेश्वर में रूककर हमने पैट्रोल भरवाया । कौसानी से पांच किलोमीटर पहले फिर से एक ऐसी जगह मिली जिसे देखकर मन मंत्रमुग्ध हो गया ।
ऐसी जगहो पर तो 50 गज जमीन लेने को मन करता है ताकि यहां पर एक घर हो जिसमें कभी भी जाकर बंदा रह सके । अभी इस सपने को पूरा करने के लिये काफी मेहनत करनी होगी तब जाकर कहीं ये सच होगा । वैसे कुमाउं गढवाल मुझे सबसे ज्यादा पसंद है इस मामले में क्योंकि ये अनछुआ है अभी भी कई जगह और यहां पर पर्यटको की भीड भाड वाले इलाके भी कुछ कम ही हैं ।
रात की फोटोग्राफी में एक बेसिक बात पता चली कि कैमरे में कुछ बारीक से अंतर होते हैं जिनका पता आपको तभी लग सकता है जब आप उसे इस्तेमाल कर लें । जैसे कि जब शटर स्पीड को हम तय करते हैं तो दीपक सिंह के कैमरे सोनी में उसकी मैक्सिमम टाइम 30 सैकेंड था और मेरे कैमरे में सिर्फ 15 सैकेंड । एक और बात कि मेरे कैमरे कैनन मे बाई डिफाल्ट शटर स्पीड 1 सैकंड से 15 के बीच बढाने पर आई एस ओ अपने आप 80 पर सैट हो जाता है । जबकि ऐसा नही होना चाहिये क्योंकि मैनुअल का मतलब ही यही है कि हम कैमरे से जबरदस्ती फोटो खिंचवायें । उसको अपने मन की ना करने दें बल्कि हम अपने मन की करें । दीपक सिंह के कैमरे में ये अंतर नही था और उनके पास एच एक्स 100 वी था जबकि उसके बाद अभी संदीप पंवार जाट देवता ने 300 वी लिया है उसमें भी सेम फीचर्स हैं । तो ये एक एडवांटेज कम थी मेरे कैमरे में लेकिन फिर भी कई मायनो में ये कैमरा डीएसएलआर से बेहतर है कैसे ? आगे बताउंगा
पहाडो की सुनदरता को अगर कैद करना हे तो केमरा अचछा होना ही चाहिए।
ReplyDeleteमनु भाई इसमें कोई दो राय नहीं की आप जल्दी सीख जाओगे !! लास्ट के दोनों फोटो बहुत अच्छी हैं !!मेरी नजर में !!
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