ओट से जंजैहली , रोहांडा , और वहां से रामपुर के इस रास्ते में । करसोग में जरूर थी पर वहां पर और चैल चौक में मै जल्दी के मारे नही रूका था । लेकिन अब नही मानना था और
From anni to narkanda at Nh 22,अनी से होकर नेशनल हाइवे 22 पर नारकंडा तक
सैंज और लुहरी या लुरी जैसा कि स्थानीय लोग इसे बोलते हैं , से होकर मै अनी पहुंच गया । अनी में एक छोटा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है । यहां पर रास्ता काफी चौडा हो गया था और उसका कारण है यहां पर हो रहा नदी में खनन । नदी से रेत और पत्थर ले जाने के लिये ट्रको के कारण रास्ता चौडा है । यहां पर नदी का पाट भी काफी चौडा हो जाता है । साथ ही नदी का पानी भी बिलकुल मिटटी जैसा हो जाता है । बल्कि यहां पर जो नीला बोर्ड आप देख रहे हैं फोटो में उसके पास एक पुल है और इस पुल के नीचे से जो धारा आ रही है वो बिलकुल साफ थी । इस धारा के नदी में संगम होने के किनारे पर मंदिर बना था जिसमें भंडारा चल रहा था । अखंड रामायण का भंडारा । यहीं पर पहाड में एक कमरा बना रखा था जो कि काफी सुंदर लग रहा था पर अंदर से उसमें गंदगी थी क्योंकि रात को या बरसात में घोडे खच्चर वाले उसमें रूकते होंगें और साफ तो कोई करने से रहा पर हां जगह बढिया बना रखी थी ।
इस पावर प्रोजेक्ट और इस पुल के बाद दूसरा मंडल शुरू हो जाता है । यहां से थोडी दूर चलने के बाद चढाई आयी और उसके बाद इसी नदी के किनारे आयी एक बहुत तीव्र ढालान । मै उस पर धीरे से उतर रहा था और सामने से एक बस चढाई पर आ रही थी । मैने हल्के से ब्रेक मारे लेकिन गलती से अगले डिस्क ब्रेक ज्यादा लग गये । बस बाइक स्लिप हुई मैने फिर से ब्रेक मारे फिर बाइक के पहिये के नीचे रेत सा आ गया और फिर स्लिप हो गयी । गाडी बिलकुल सामने थी और बस वाले ने ब्रेक मार दिये । खैर मेरी बाइक संभल गयी थी और एक हादसा होने से रह गया था । बस के ड्राइवर ने मुंह बाहर निकालकर मुझे कुछ कहना शुरू किया पर मैने उसकी बात ना सुनकर बस के बराबर से बाइक निकाल ली । मुझे पता था कि वो क्या कहेगा । वो यही कहता कि मैदान के लोग आ तो जाते हैं यहां पर बाइक चलाने के लिये लेकिन इन पर यहां चलानी नही आती है । और पता नही क्या क्या पर मुझे उससे क्या
गलती तो मेरी ही थी । और गलती का कारण था कि मेरे पिछले ब्रेक काफी कम लग रहे थे जबकि वे पूरे खिंचे थे । इसका मतलब ये था कि ब्रेक शू खराब हो चुके थे और उनमें और खिंचने की गुंजाइश नही थी । पर जिस इलाके में अब तक मै था मुझे कोई बाइक मिस्त्री की दुकान नही दिखी थी । ओट से जंजैहली , रोहांडा , और वहां से रामपुर के इस रास्ते में । करसोग में जरूर थी पर वहां पर और चैल चौक में मै जल्दी के मारे नही रूका था । लेकिन अब नही मानना था और जैसे ही मै नेशनल हाइवे पर चढा मैने सबसे पहले बाइक मिस्त्री की दुकान ढूंढने का निश्चय किया । सबसे पहले एक कस्बा पडा उसमें 200 रूपये में मैने ब्रेक शू चेंज कराये और जितने समय में उसने इसे किया तब तक मैने नाश्ता किया । उसके बाद हाइवे की बढिया सडक थी जो कि बडे दिनो बाद जाकर मिली थी । इसलिये मैने बाइक की स्पीड बढा दी । नारकंडा के आसपास को हाइवे पर बर्फ मिलनी शुरू हो गयी । ऐसा हाइवे जिस पर हजारो वाहन गुजरते हों वहां पर अभी तक बर्फ दिखना कमाल था इसका मतलब मुझे हाटू पीक पर फिर से बर्फ का मजा लेना था
![]() |
beautiful homa at mountains |
इस पावर प्रोजेक्ट और इस पुल के बाद दूसरा मंडल शुरू हो जाता है । यहां से थोडी दूर चलने के बाद चढाई आयी और उसके बाद इसी नदी के किनारे आयी एक बहुत तीव्र ढालान । मै उस पर धीरे से उतर रहा था और सामने से एक बस चढाई पर आ रही थी । मैने हल्के से ब्रेक मारे लेकिन गलती से अगले डिस्क ब्रेक ज्यादा लग गये । बस बाइक स्लिप हुई मैने फिर से ब्रेक मारे फिर बाइक के पहिये के नीचे रेत सा आ गया और फिर स्लिप हो गयी । गाडी बिलकुल सामने थी और बस वाले ने ब्रेक मार दिये । खैर मेरी बाइक संभल गयी थी और एक हादसा होने से रह गया था । बस के ड्राइवर ने मुंह बाहर निकालकर मुझे कुछ कहना शुरू किया पर मैने उसकी बात ना सुनकर बस के बराबर से बाइक निकाल ली । मुझे पता था कि वो क्या कहेगा । वो यही कहता कि मैदान के लोग आ तो जाते हैं यहां पर बाइक चलाने के लिये लेकिन इन पर यहां चलानी नही आती है । और पता नही क्या क्या पर मुझे उससे क्या
गलती तो मेरी ही थी । और गलती का कारण था कि मेरे पिछले ब्रेक काफी कम लग रहे थे जबकि वे पूरे खिंचे थे । इसका मतलब ये था कि ब्रेक शू खराब हो चुके थे और उनमें और खिंचने की गुंजाइश नही थी । पर जिस इलाके में अब तक मै था मुझे कोई बाइक मिस्त्री की दुकान नही दिखी थी । ओट से जंजैहली , रोहांडा , और वहां से रामपुर के इस रास्ते में । करसोग में जरूर थी पर वहां पर और चैल चौक में मै जल्दी के मारे नही रूका था । लेकिन अब नही मानना था और जैसे ही मै नेशनल हाइवे पर चढा मैने सबसे पहले बाइक मिस्त्री की दुकान ढूंढने का निश्चय किया । सबसे पहले एक कस्बा पडा उसमें 200 रूपये में मैने ब्रेक शू चेंज कराये और जितने समय में उसने इसे किया तब तक मैने नाश्ता किया । उसके बाद हाइवे की बढिया सडक थी जो कि बडे दिनो बाद जाकर मिली थी । इसलिये मैने बाइक की स्पीड बढा दी । नारकंडा के आसपास को हाइवे पर बर्फ मिलनी शुरू हो गयी । ऐसा हाइवे जिस पर हजारो वाहन गुजरते हों वहां पर अभी तक बर्फ दिखना कमाल था इसका मतलब मुझे हाटू पीक पर फिर से बर्फ का मजा लेना था
![]() |
beautiful homa at mountains |
![]() |
bridge |
![]() |
bhandara |
![]() |
bhandara |
![]() |
bhandara |
![]() |
anni power project |
![]() |
showing distances |
![]() |
meeting to national highway |
![]() |
way to narkanda |
![]() |
way to narkanda |
![]() |
way to hatu peak |
बहुत सुंदर
ReplyDeletehum to simla.,kullo-manali ki wajhe se hi himachal ko jante h per aap ne to himachal ki kuch aur hi tasveer hume dekha di sandaar najare bahut kubh bhai maja aa gye kasam se.thnx
ReplyDeleteआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
ReplyDeleteकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा