मैनुअल फोटोग्राफी करना आसान नही होता । एक बार को इतना झंझट लगता है कि मन करता है कि किसलिये हम ये सब कर रहे हैं । हर बार फोटो खींचने पर अलग सैटिंग करना झुं
A beautiful sunset in uttranchal ,एक बेहतरीन सूर्यास्त उत्तरांचल में
यूं तो रानीखेत का पूरा रास्ता ही सुंदर है पर इस रास्ते में कहीं एक जगह हमें शाम हो चली थी । उस शाम में एक ऐसी खूबसूरती थी जो कि भुलाऐ नही भूलती । जब गाडी चलते चलते देखकर मन नही भरा तो गाडी एक किनारे पर रोक ली गयी । कुछ फोटोग्राफी के बेसिक टिप्स दिये गये दीपक द्धारा मुझे ।
मैनुअल फोटोग्राफी करना आसान नही होता । एक बार को इतना झंझट लगता है कि मन करता है कि किसलिये हम ये सब कर रहे हैं । हर बार फोटो खींचने पर अलग सैटिंग करना झुंझलाने वाला काम है ।
ये जगह तो बढिया थी ही पर यहां पर उस समय हो रहा सूर्यास्त और भी बढिया नजारे दे रहा था । हमारे सामने कोई लक्ष्य नही था कि हमें कहीं पर जाना है इसलिये पूरा समय रूककर सूरज के डूब जाने तक हम उसे निहारते और क्लिक मारते रहे । जब सूरज पूरी तरह से पहाडो के पीछे गुम हो गया तब हम गाडी में बैठै और रानीखेत की ओर चल दिये । लगभग पांच किलोमीटर चलने के बाद एक चाय की दुकान आयी । दीपक का चाय पीने का मन था इसलिये गाडी वहां पर लगा दी । चाय वाले को दो चाय बोल दिया गया ।
तभी दीपक को याद आया कि उसका फोन नही है । याद किया तो ध्यान आया कि फोन को सूर्यास्त देखते समय गाडी के बोनट पर रखा था और उसके बाद ? उसके बाद गाडी में बैठकर चल पडे थे । बस आव देखा ना ताव चाय छोडकर गाडी में बैठकर वापस चल पडे । घुप्प अंधेरे में उसी जगह पहुंचे । ऐसे अंधेरे में फोन मिलना आसान नही था । गाडी की लाइट जलाकर खूब देखा नही पाया । फिर सीबीआई की तरह से दिमाग इस्तेमाल किया गया । गाडी को सडक किनारे उसी जगह खडा किया गया । गाडी के बोनट पर एक फोन के लगभग वजन का पत्थर रखा और गाडी स्टार्ट करके दीपक चल पडा उसी स्पीड में । जब वो जा रहा था मै साथ नही गया बल्कि अपने फोन की टार्च जलाकर आस पास फोन ढूंढता रहा । करीब बीस मिनट बाद दीपक वापस आया । फोन मिल गया था । हालांकि गाडी पर रखा पत्थर तो जल्दी ही गिर गया था पर दीपक फिर भी आगे चलता रहा और उसका फल भी मिला । आगे सडक पर बिलकुल किनारे पर फोन बैटरी से अलग पडा मिला । नया एच टी सी कम्पनी का पन्द्रह हजार की कीमत का फोन था । जान में जान आयी । कमाल था कि फोन बोनट पर लगभग दो किलोमीटर तक रखा रहा था और दूसरी बात ये कि जहां पर फोन पडा था वहां से इस बीच ट्रक और कई वाहन गुजरे थे बस किस्मत थी कि वो सही सलामत मिल गया था । उसके बाद हम रानीखेत के पास पहुंचने वाले ही थे कि मुझे उल्टी होने लगी क्योंकि सुबह से खाना खाया नही था और जब खाया तो चार बजे वो भी चाय परांठे जो कि काफी एसिड बनाने वाली चीजे हैं । लेकिन वो केवल एक बार की थी और हम रानीखेत पहुंच गये
He He ... us phone ki kismat hi kharab thi, gadi se gir ke bach gaya, lekin wapas aane ke baad, 1 foot ki unchai se gir kar shaheed ho gaya. Repair hone ke baad 2 din chala, phir screen band ho gayi. Ab repair nahi karaya hai, jab samay milega tab dekhenge ... Ab to Karbonn zindabad !!! Waise trip padh ke dobara trip ka anand ho jata hai, abhi to kai aur kisse hain is trip ke....
ReplyDeleteमनु भाई आप को काफी कमेंटं आते हे।लेकीन जब कोई आप से कुछ पुछता हे तो आप ऊनहे जबाब नही देते है।यह गलत हे भाई आप जबाब दे दिया करो।इससे आपके सभी मिञो को अचछा लगेगा हमे लगेगा की आप ने हमारी बात को धयान दिया।
ReplyDeleteसचिन भाई , आपकी बात जायज है पर मै आपको दो बात बताना चाहता हूं
Deleteजो भी मेरे मित्र या पाठकगण मेरी पोस्ट पढने के बाद कमेंट करते हैं मै उन्हे पढता हूं पर सिर्फ उसी कमेंट का जबाब दे पाता हूं जिसमें कुछ पूछा जाये । यदि आप मेरी पोस्ट की प्रशंसा कर रहे हैं तो उसका प्रत्युत्तर देना जरूरी तो नही मानता मै
दूसरी बात कि मै नेट की कनेक्टिवटी से जूझता रहता हूं । मुझे कार्यस्थल पर नेट मोबाइल से चलाना पडता है इसलिये मै सिर्फ वहां पर फोन में कमेंट पढ लेता हूं बाकी जब मै गाजियाबाद में होता हूं तो अपनी पोस्ट लिखकर शैडयूल कर देता हूं जिससे वो रोज छपती रहें । ये काम मै कभी कभी पन्द्रह दिन के लिये भी कर देता हूं
चलो फ़ोन मिल गया बढिया हुआ।
ReplyDeleteठीक भाई अब बात समझ आई।
ReplyDeletebeautiful pics. driving through these roads will make me crazy :D
ReplyDeleteClean and serene....
ReplyDeleteBeautiful pictures of the sunset. :)
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