बिजली महादेव मंदिर पर नजारो की भरमार है और वो भी 360 डिग्री । चारो और प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पडी है । तीन ओर पर्वत श्रंखलाये हैं जो कि बर्फ से ढकी हैं तो एक ओर दूर तक घाटी दिखती है । नीचे देखने पर घर और इमारते चींटी
360 degree view from bijli mahadev temple , kullu himachal pradesh
बिजली महादेव मंदिर पर नजारो की भरमार है और वो भी 360 डिग्री । चारो और प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पडी है । तीन ओर पर्वत श्रंखलाये हैं जो कि बर्फ से ढकी हैं तो एक ओर दूर तक घाटी दिखती है । नीचे देखने पर घर और इमारते चींटी की तरह दिखते हैं । सबसे बडी आकृति जो दिखती है वो है नदी की जो कि सर्पीली बल खाती हुई है । शांति की तो यहां पर भरमार है । असीम शांति बिखरी पडी है जिसको तोडती हुई पंछियो की आवाजे हैं । यहां पर मंदिर के पास कौए भरपूर मात्रा में हैं । ये बडे साइज के हैं
चलने से पहले मै वापिस उसी औरत की दुकान पर पहुंचा । उसने तब तक परांठा बना लिया था । हालांकि उसके पास बैठने के लिये बैंच नही थी । पर वहां पर जमीन पर घास काफी बढिया थी इसलिये मैने वहीं पर बैठकर चाय से परांठा खाया । उस औरत से थोडी जानकारी भी ली उनके गांव के बारे में । उसका गांव नीचे ही था और उनके पास सेव के बाग भी थे । यहां पर लडकी को भी लडके की तरह जमीन में बराबर का हिस्सा दिया जाता है । इस औरत ने अभी नयी नयी दुकान लगायी थी । मैने उससे पूछा कि क्या इस दुकान के लिये कोई किराया देना होता है तो उसने कहा कि नही अभी तक तो कोई किराया नही लिया जाता ।
ये अच्छी बात है क्योंकि यहां पर कोई निश्चित कमाई नही है । इन लोगो की हिम्मत है जो 100 से 200 रूपये कमाने के लिये इतनी मेहनत कर लेते हैं
बिजली महादेव मंदिर पर नजारो की भरमार है और वो भी 360 डिग्री । चारो और प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पडी है । तीन ओर पर्वत श्रंखलाये हैं जो कि बर्फ से ढकी हैं तो एक ओर दूर तक घाटी दिखती है । नीचे देखने पर घर और इमारते चींटी की तरह दिखते हैं । सबसे बडी आकृति जो दिखती है वो है नदी की जो कि सर्पीली बल खाती हुई है । शांति की तो यहां पर भरमार है । असीम शांति बिखरी पडी है जिसको तोडती हुई पंछियो की आवाजे हैं । यहां पर मंदिर के पास कौए भरपूर मात्रा में हैं । ये बडे साइज के हैं
चलने से पहले मै वापिस उसी औरत की दुकान पर पहुंचा । उसने तब तक परांठा बना लिया था । हालांकि उसके पास बैठने के लिये बैंच नही थी । पर वहां पर जमीन पर घास काफी बढिया थी इसलिये मैने वहीं पर बैठकर चाय से परांठा खाया । उस औरत से थोडी जानकारी भी ली उनके गांव के बारे में । उसका गांव नीचे ही था और उनके पास सेव के बाग भी थे । यहां पर लडकी को भी लडके की तरह जमीन में बराबर का हिस्सा दिया जाता है । इस औरत ने अभी नयी नयी दुकान लगायी थी । मैने उससे पूछा कि क्या इस दुकान के लिये कोई किराया देना होता है तो उसने कहा कि नही अभी तक तो कोई किराया नही लिया जाता ।
ये अच्छी बात है क्योंकि यहां पर कोई निश्चित कमाई नही है । इन लोगो की हिम्मत है जो 100 से 200 रूपये कमाने के लिये इतनी मेहनत कर लेते हैं
अति सुन्दर, वन्देमातरम
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/ चर्चा मंच <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut sundar.
ReplyDeleteBeautiful clicks...
ReplyDeleteLove your photographs. Keep clicking. God bless.
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