ऐसे सुंदर नजारो के बीच तो अपना एक दो फोटो बनता है इसलिये मैने ऐसी चीजो को ढूंढना शुरू किया जिस पर रखकर मै अपना फोटो ले सकूं । इसमें मेरे काम आये वो ड्रम जो वहां पर काफी संख्या में रखे थे । लोहे के इन ड्रमो में जंग लगा हुआ था । मैने सैल्फ टाइमर आन किया और इन ड्रमो पर रखकर एक दो फोटो लिये । अब दूसरी साइड की बारी थी । यहां पर ड्
photos at bijli mahadev at kullu himachal pradesh
बिजली महादेव के मंदिर में फोटो ना आ पाने का मै क्या मानूं?
जो भी हो मै शिवलिंग के फोटो नही ले पाया पर मै अपने फोटो लेना चाहता था पर अपने फोटो लेने के लिये कोई बंदा और तो था नही यहां पर क्योंकि जो एक परिवार अंबाला वालो का था वो तो अभी मंदिर में ही था । काफी बडा परिवार था तो पूजा भी काफी बडी या लम्बी होनी ही थी । पर ऐसे सुंदर नजारो के बीच तो अपना एक दो फोटो बनता है इसलिये मैने ऐसी चीजो को ढूंढना शुरू किया जिस पर रखकर मै अपना फोटो ले सकूं । इसमें मेरे काम आये वो ड्रम जो वहां पर काफी संख्या में रखे थे । लोहे के इन ड्रमो में जंग लगा हुआ था । मैने सैल्फ टाइमर आन किया और इन ड्रमो पर रखकर एक दो फोटो लिये । अब दूसरी साइड की बारी थी । यहां पर ड्रम भी नही थे तो मैने यहां पर एक उंची सी जगह पर ही कैमरा रखा और मै थोडा और नीचे की ओर चला गया । इस तरह से मै अपना पूरा फोटो ले सकता था । ये होते हैं अकेले घूमने के साइड इफेक्ट । अगर दो बंदे भी हों तो मजा आ जाता है । एक बार मै और दीपक मुन्स्यारी घूमने गये थे तो दोनो अपने कैमरे से लैस थे । हमने उस पूरी यात्रा में दूसरे को अपना फोटो खींचने को नही कहा और ना ही खुद अपना फूोटो लिया वो नैचुरली मेरे फोटो ले रहा था जैसे कि उसके लिये आब्जेक्ट मै था और मेरे लिये वो
घर आकर हम दोनेा ने अपने अपने फोटो बदल लिये तो हो गया ना फोटो सैशन
बिजली महादेव के मंदिर में फोटो ना आ पाने का मै क्या मानूं?
जो भी हो मै शिवलिंग के फोटो नही ले पाया पर मै अपने फोटो लेना चाहता था पर अपने फोटो लेने के लिये कोई बंदा और तो था नही यहां पर क्योंकि जो एक परिवार अंबाला वालो का था वो तो अभी मंदिर में ही था । काफी बडा परिवार था तो पूजा भी काफी बडी या लम्बी होनी ही थी । पर ऐसे सुंदर नजारो के बीच तो अपना एक दो फोटो बनता है इसलिये मैने ऐसी चीजो को ढूंढना शुरू किया जिस पर रखकर मै अपना फोटो ले सकूं । इसमें मेरे काम आये वो ड्रम जो वहां पर काफी संख्या में रखे थे । लोहे के इन ड्रमो में जंग लगा हुआ था । मैने सैल्फ टाइमर आन किया और इन ड्रमो पर रखकर एक दो फोटो लिये । अब दूसरी साइड की बारी थी । यहां पर ड्रम भी नही थे तो मैने यहां पर एक उंची सी जगह पर ही कैमरा रखा और मै थोडा और नीचे की ओर चला गया । इस तरह से मै अपना पूरा फोटो ले सकता था । ये होते हैं अकेले घूमने के साइड इफेक्ट । अगर दो बंदे भी हों तो मजा आ जाता है । एक बार मै और दीपक मुन्स्यारी घूमने गये थे तो दोनो अपने कैमरे से लैस थे । हमने उस पूरी यात्रा में दूसरे को अपना फोटो खींचने को नही कहा और ना ही खुद अपना फूोटो लिया वो नैचुरली मेरे फोटो ले रहा था जैसे कि उसके लिये आब्जेक्ट मै था और मेरे लिये वो
घर आकर हम दोनेा ने अपने अपने फोटो बदल लिये तो हो गया ना फोटो सैशन
राम राम जी, अरे भाई ये दो लडकिया कौन हैं.....
ReplyDeleteयात्रा का चस्का लगा है अच्छी बात है ये यात्रा ही कुछ ऐसी होती है की एक यात्रा कर लो फिर यात्रा का मन करता रहता है और मैं भी आशा करता हु की आप इसे तरह यात्रा करते रहे इसे मंगल कामना की साथ जय शिव महादेव
ReplyDeleteमनु जी मुझे एक कैमरा लेने है यात्रा की लिए कोई आईडिया (Range---5000-8000)
ReplyDeleteरूपचन्द्र शास्त्री मयंकJuly 7, 2013 at 6:31 AM
ReplyDeleteमैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
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पूर्व के कमेंट में सुधार!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
सूचनार्थ...!
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बहुत सुन्दर मनोरम प्रस्तुति...!
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