जंजैहली वैसे तो मंडी का एक गांव ही था और कुछ साल पहले तो यहां तक आने के लिये भी कोई बहुत बढिया सडक नही थी । पर अब हालात बेहतर हैं । वैसे जंजैहली की भौगोलिक स्थिति इस तरह की है कि आप यहां पर करसोग घाटी से होकर भी आ सकते हैं वाया चिंदी और मंडी से भी । मै पंडोह डैम के रास्ते आया था । एक बात जो मुझे यहां पर होटल के मालिक
जंजैहली वैसे तो मंडी का एक गांव ही था और कुछ साल पहले तो यहां तक आने के
लिये भी कोई बहुत बढिया सडक नही थी । पर अब हालात बेहतर हैं । वैसे जंजैहली
की भौगोलिक स्थिति इस तरह की है कि आप यहां पर करसोग घाटी से होकर भी आ
सकते हैं वाया चिंदी और मंडी से भी ।
मै पंडोह डैम के रास्ते आया था । एक
बात जो मुझे यहां पर होटल के मालिक ने बतायी थी वो बडी रोचक थी कि यहां से
शिमला का एक रास्ता है जो कि मात्र 100 किलोमीटर है । वो सीधा रास्ता है
और आप उससे ही जाना पर मुझे उस समय जिद चढी हुई थी कि नही मै तो कमरूनाग
होकर जाउंगा । कमरूनाग जाने के लिये रोहांडा जाना पडता और रोहांडा जाने के
लिये मुझे चैल चौक से होकर जाना था इसलिये मै उस रास्ते को नही गया ।
अब तो जंजैहली कस्बे जितना हो गया है । काफी सारी दुकाने हैं बैंक और एक दो
शोरूम भी हैं । पर्यटको की आमद की वजह से काफी सारे गेस्ट हाउस और
रैस्टोरैंट भी हैं पर यदि आप काफी दिन के लिये जा रहे हैं और वाहन आपके साथ
है तो यहां पर आपको कुछ नही मिलने वाला है । यहां पर वाहन मिस्त्री के नाम
पर एक ही दुकान है वो ही गाडी और बाइक दोनो में सिर खपा कर देख लेता है

bhai bahut choti post thi.kuch bhi samaj me nahi aaya.
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