उस गांव में मैने एक रास्ते जाते आदमी से पूछा तो उसने बताया कि जहां पर ये सडक खत्म हो जायेगी वहीं से कच्चा रास्ता शुरू हो जायेगा जो कि 12 किलोमीटर है । वैसे अभी बर्फ है पता नही कहां तक बाइक जा पायेगी । उसके बताये अनुसार वहां से थोडी दूर पर ही सडक खत्म हो गयी और कच्चा रास्ता शुरू हो गया । 6 किलोमीटर तक कार रास्ता तो पूरा कच्चा था और जगह
janjehli to raigarh ,trekking जंजैहली से रायगढ
सुबह सवेर उठा तो संध्या होटल के मालिक और खानसामा दोनो सोये हुए थे और होटल का मेन गेट बंद था । मैने उन्हे उठाने की कोशिश की पर वे तो गहरी नींद में थे । मै नहाया धोया और अपना सामान होटल के कमरे में ही छोडने का फैसला किया क्योंकि उन्होने बताया था रात को कि अगर आप बढिया चलने वाले हो तो बारह बजे तक वापिस भी आ सकते हो ।
मैने सिर्फ कैमरा और कुछ खाने के बिस्कुट के पैकेट जो कि मेरे पास थे वो ले लिये । जब मै चलने को हुआ तो खानसामा उठ चुका था । यही नही उसने मेरे लिये परांठे भी तैयार कर दिये थे जेा कि उसने रात को वादा किया था । साथ ही वो परांठे बडे अच्छी तरीके से पैक थे । मैने रात को 500 रूपये जमा करा दिये थे जिसमें कमरे के 300 रूपये और खाना था यानि अभी नाश्ते के पैसे ना तो मुझे देने थे और ना ही उसने कुछ कहा ।
मैने शटर खोलने को कहा तो उसने मुझे होटल का पिछला दरवाजा दिखा दिया जो कि खुला था । मतलब साफ था कि वो अभी शटर उठाने के मूड में नही था ।
होटल से चलने के बाद मै एक किलोमीटर बाद फिर से जंजैहली कस्बे में पहुंचा जो कि अभी सोया हुआ था पूरी तरह से । जंजैहली से दो तीन किलोमीटर आगे एक गांव और आता है जिसका नाम अब मुझे याद नही है । उस गांव में मैने एक रास्ते जाते आदमी से पूछा तो उसने बताया कि जहां पर ये सडक खत्म हो जायेगी वहीं से
कच्चा रास्ता शुरू हो जायेगा जो कि 12 किलोमीटर है । वैसे अभी बर्फ है पता नही कहां तक बाइक जा पायेगी ।
उसके बताये अनुसार वहां से थोडी दूर पर ही सडक खत्म हो गयी और कच्चा रास्ता शुरू हो गया । 6 किलोमीटर तक कार रास्ता तो पूरा कच्चा था और जगह जगह बर्फ थी जो कि पिघल रही थी और उसका पानी सडक पर आने की वजह से बाइक दूसरे गीयर से आगे नही चल पा रही थी । इतना होता तो भी ठीक था पर आगे चलकर रास्ता ऐसा हो गया कि कीचड और फिसलन पूरे रास्ते में थी जिसमें बाइक के पहिये पर मिटटी लगने की वजह से नया टायर भी बार बार घूम जाता था । मेरे जूते भी मिटटी में सन चुके थे । एक जगह रायगढ नाम की आयी यहां पर एक झौंपडा भी नही था पर रायगढ लिखा था । यहां से एक रास्ता नीचे की ओर जा रहा था और एक शिकारी देवी की ओर । यकीन मानियेगा पहला और आखिरी साइनबोर्ड यही था ।
भाई..
ReplyDeleteआपके ट्विट्टर और फेसबुक के लिंक आपस में बदल गए हैं, ठीक कर लो...
और आपके ट्वीट प्रोटेक्टेड हैं... दीखते नहीं....
ghumakkadi koi aap se sekhe.jai mata di
ReplyDeletebful pics
ReplyDeletebohot hi khoobsoorat !!
ReplyDeleteNice captures :)
ReplyDeleteThis is exciting.
ReplyDeleteLiked ur blog..very interesting!!!
ReplyDelete