रायगढ से बाइक का चलना भारी हो गया था क्योंकि अब तक तो सिर्फ गीली मिटटी फिसलन कर रही थी पर अब टुकडो टुकडो में बर्फ भी मिलने लगी थी जो कि तिरछे आकार में इधर उधर पडी थी और उस पर बाइक चलाना मतलब ब
bike stop , trek start of shikari devi
लम्बे लम्बे चीड के पेडो के बीच में पडी बर्फ को देखकर मन हर्षित था पर मुझे नही पता था कि बर्फ कितनी मुसीबत लाने वाली है । रायगढ नाम की जगह से शिकारी देवी की दूरी 6 किलोमीटर लिखी थी ।
ये शायद पहला और आखिरी साईनबोई था और यहां पर मेरे हिसाब से पीक सीजन में पार्किंग होती होगी क्योंकि यहीं एक जगह थी जो खुली थी नही तो यहां से जंजैहली और यहां से शिकारी देवी तक का पूरा रास्ता लम्बे लम्बे और घने पेडो ने घेर रखा था जिसमें को कहीं कहीं मुश्किल से धूप आती है ।
रायगढ से बाइक का चलना भारी हो गया था क्योंकि अब तक तो सिर्फ गीली मिटटी फिसलन कर रही थी पर अब टुकडो टुकडो में बर्फ भी मिलने लगी थी जो कि तिरछे आकार में इधर उधर पडी थी और उस पर बाइक चलाना मतलब बहुत ही खतरनाक था । एक किलोमीटर पूरा नही चल पाया था कि बाइक को रोक देना पडा क्योंकि अब आगे कोई रास्ता नही था बाइक के लिये । आगे पूरी बर्फ थी वो भी करीब दो फुट उंची । मैने बाइक से उस पर टक्कर मारकर भी देखी कि क्या बाइक चल पायेगी पर अगला पहिया ही फिसलने लगा और बराबर में गहरी खायी थी ।
अब बाइक को यहीं पर खडी करने के अलावा कोई विकल्प नही था और पांच किलोमीटर पदयात्रा करने के लिये मुझे एकदम खडी चढाई बर्फ पर चढनी थी वो भी उस बर्फ पर जिस पर अभी निशान भी नही थे और वो पहली जमी हुई और चिकनी थी । यहां पर घास या कोई पेड भी पास में नही था जिसे पकडकर चला जा सके आखिरी फोटो को देखकर आप अंदाजा लगा लोगे कि बाइक से विदा लेने का वक्त आ गया था ।